अपनी मर्यादा कभी नहीं भूलेंगे – रश्मि प्रकाश 

“ शैल याद है ना कल स्कूल जाना है…. कृष का एडमिशन करवाना है…. तुम वक़्त पर तैयार हो जाना।” कह आलेख चादर ओढ़ सोगया 

“ हाँ याद है…. हम दोनों तैयार हो जाएँगे ।” कह अपने बेटे कृष के सिर पर चुंबन अंकित कर उसे कस कर पकड़ सोने की कोशिश करनेलगी 

सामने ही आलेख की पीठ दिख रही थी….. पाँच साल हो गए पर आलेख ने शैल से कोई शिकायत नहीं कीं बस अपनी ज़िम्मेदारी बख़ूबीनिभा रहा है….. 

शैल अतीत को भुलाना चाहती है पर पता नहीं क्यों वो भूलना नहीं चाहती या फिर एक डर सा लगा रहता है उसे ….

 शैल खो गई अपने पाँच साल पहले की दुनिया में…..

“ सुनो सरला हमारी दोनों बेटियों के लिए रिश्ता एक ही घर से आया है….. सोच रहा हूँ दोनों एक दूसरे को समझती है साथ रहेंगी तोअच्छा ही होगा…..।” शैल के पिता ने उसकी माँ से कहा था 

माँ ने भी सहमति दे दी चट मँगनी पट ब्याह की तैयारी होने लगी….. एक दिन अचानक शैल की बहन शालू की तबीयत बिगड़ गई पताचला उसके हृदय में दिक़्क़त है….. ऑपरेशन करने के बाद ज़िन्दगी कितनी रहेगी इसका कोई भरोसा नहीं है…. अभी दवाइयाँ दे दी गईऔर जल्दी ऑपरेशन करवाने कहा गया …..शैल के पिता ने सोचा शादी कर देते हैं उसके बाद ऑपरेशन करवा देंगे…. फिर दवाइयों सेथोड़ा सुधार हो रहा था।

शालू की शादी आलेख से तय हुई थी और शैल की अलोक से….शालू चाहती थी कि ये बात आलेख को बता दी जाए पर घर वाले सचछिपाने के चक्कर में थे….. किसी तरह शादी से ठीक एक दिन पहले शालू ने फ़ोन कर आलेख से कहा,“ देखिए मैं आपसे शादी नहीं करसकती मुझे कोई और पसंद है…. आप किसी तरह इस शादी के लिए मना कर दीजिए…. प्लीज़ प्लीज़….।”




“ जी आप ये क्या कह रही है….. कल शादी है और आज आप… मैं तो मन ही मन आपको पत्नी के रूप में स्वीकार कर चुका था औरआप…..पर जब आप किसी और को चाहती है तो मैं देखता हूँ ।” भरे मन से आलेख ने कहा था 

आलेख किसी से कुछ नहीं कहा…. घर में सब रस्मों को यथापूर्वक होने दिया…. क्योंकि शादी आलोक की भी उसी घर में हो रही थीकहीं बात बाहर आई और उनकी शादी भी कैंसिल ना हो जाए।

बारात दरवाज़े पर पहुँची तो आलेख ने कहा,“ पहले आलोक के फेरे करवा दीजिए….. मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है…. “औरबहाना कर बैठ गया…..।

मुहूर्त देख पंडित ने भी विलंब ना करने की बात कर दी….

आलोक की शादी के बाद जैसे ही आलेख की शादी की बात आई पता चला दुल्हन भाग गई है….

बहुत हंगामा होने लगा…… लोग शैल को छोड़कर जाने की बात करने लगे तब आलोक इसके लिए राजी ना हुआ 

पिता ने जायदाद से बेदख़ल करने तक की धमकी दे डाली….

तब आलोक से रहा नहीं गया वो बोल पड़ा,“ना मुझे आपके पैसे चाहिए ना आपकी प्रॉपर्टी…… अब ये शादी हो चुकी है…. इसकी बहनके भाग जाने से इसे दुख देने का क्या मतलब…. भैया की शादी नहीं हो पाई इसका दुख रहेगा…. पर जो हो गया उससे विमुख नहीं होसकता ।”

हार कर सब को शैल को घर लाना पड़ा…. बहुत ताने सुनने पड़े उसे…. आख़िर बात उसे भी समझ नहीं आई दीदी ने ऐसा क्यों किया….।

पगफेरे के समय जब घर गई तो दीदी उदास सी कमरे में पड़ी थी…. 

“ तुमने ऐसा क्यों किया दीदी….?” शैल ने पूछा 

“ मुझे माफ करना शैल…. मेरी वजह से तुम्हें बहुत सुनाया होगा ना….. पर मैं भी क्या करती मुझे पता है मैं ज़्यादा दिन जीने वालीनहीं…. आलेख जी से शादी मैं भी करना चाहती थी पर फिर क्या होता…. मेरे मरने के बाद वो टूट जाते इसलिए पहले ही मैंने मना करदिया…. बस उनसे बीमारी नहीं बताई कह दिया किसी और से प्यार करती हूँ….सुन एक चिट्ठी जाते वक़्त लेती जाना आलेख जी को देदेना।” शालू रोते रोते बोली 




दीदी को रोता देख शैल भी रो पड़ी….

ससुराल जाकर उसने चिट्ठी आलेख को थमा दी…

“ नमस्ते आलेख जी,

मुझे पता है आप को बहुत कुछ सुनना पड़ा होगा… सच ये है कि मेरे हृदय में दिक़्क़त है ज़्यादा दिन आपका साथ नहीं दे सकती थीइसलिए आपसे झूठ बोली…. मैं आपकी ज़िंदगी ख़राब नहीं करना चाहती थी…हो सके तो मुझे माफ कर जल्दी ही शादी कर लें… नहींतो शैल को लोग बहुत ताना कसेंगे…. वो बेचारी मेरी वजह से क्यों सुने।” 

चिट्ठी पढ़ कर आलेख को रोना आ गया…. जब आप किसी से खुद को जोड़ लेते हैं तो तकलीफ़ स्वभाविक हो जाती हैं…..

महीने बाद सावन आने वाला था शैल ने आलोक से कहा ,“बाजार ले चलिए ना मुझे हरी चूड़ियाँ लेनी है…।

दुकान पर भीड़ देख आलोक ने कहा,“ मैं इधर बाइक पर इंतज़ार कर रहा हूँ तुम जल्दी से चूड़ियाँ ले आओ..।”

चूड़ियाँ लेकर शैल बाहर निकल ही रही थी की देखा एक पागल सांड आलोक की तरफ़ आ रहा है वो दौड़ कर उस तक पहुँचती इतने मेंसांड ने आलोक को बाइक से गिरा दिया और दूसरी तरफ़ से तेज गति से आती कार के चपेट में आलोक आ गया ।

शैल के देखते देखते उसका सुहाग चला गया……. 

अब तो शैल की ज़िन्दगी वीरान हुई से हुई ताने भी खूब मिलने लगे…ये सब देख शैल को आलेख ने उसके मायके भेज दिया…. 

मायके आए दो महीने हुए भी नहीं थे कि पैसे के अभाव में ना शालू का ऑपरेशन हो पाया ना उसे बचाया जा सका…. 

शैल ये सब सदमा बर्दाश्त ना कर सकी और बेहोश हो गई….. 

पता चला वो माँ बनने वाली है….

शैल के ससुराल में खबर भेजा गया तो वो लोग मानने को ही तैयार नहीं हो रहे थे कि ये उनके घर का वारिस होगा….

आलेख को अपने माता-पिता पर बहुत ग़ुस्सा आया वो बोलने लगा,“ वो जब से आई,तुम लोग बस उसको सुना ही रहे थे…. मेरी शादीनहीं हुई क्योंकि उसकी बहन बीमारी की वजह से मना कर चुकी थी….फिर मेरा मन नहीं किया शादी करने का…. आलोक चला गयाउसमें भी उसकी गलती बता रहे हो….. अब ये बच्चा आलोक का है पर आपको विश्वास ही नहीं हो रहा….. वो बहुत साफ दिल कीलड़की है माँ…. तुमने उसे जितना सुनाया उसने कभी पलट कर नहीं बोला…. आज हमारे आलोक का अंश आने वाला है तो आप लोगउस लड़की पर आरोप लगा रहे हो…. मैं उसे सिर्फ़ इसलिए उसके मायके जाने को बोला ताकि आप लोगों के ताने सुनने को ना मिले…. पर अब मैं उसे इस घर में लाने जा रहा हूँ….. सोचा तो यही था शायद उसके माता-पिता उसका कहीं और ब्याह कर देंगे…. अब ये खबरमिली है तो मैं  उनके घर जा रहा हूँ ।” 

“ देख आलेख …ये लड़की हमारे घर नहीं आ सकती….आलोक ने मनमानी की और उसे लाया वो चला गया…. अब तू मनमानी कर उसेलाना चाहता है…. हम तुम्हें नहीं खोना चाहते ….. बेटा ये सब ज़मीन जायदाद हमारे बाद सब तेरा ही होगा ना…. तुम्हें कुछ हो गया तोहम क्या करेंगे…?” माँ ने थोड़ा ग़ुस्से और याचना भरे लहजे में कहा 




“ ना मुझे आपके पैसे चाहिए ना आपकी प्रॉपर्टी….. ये सब किस काम का माँ जब तुम एक औरत का दुख नहीं देख सकती वो अपनापति खो चुकी है उसका बच्चा होने वाला और तुम उसे स्वीकारना नहीं चाहती….. मैं शादी ही नहीं करना चाहता पता नहीं तुम उसके साथभी जाने कैसा सलूक करो।” ग़ुस्से में कह आलेख शैल के घर के लिए निकल गया 

“ मैं शैल को ले जाने आया हूँ…. अब वो हमारे घर पर रहेंगी….. उसे यहाँ कुछ दिन दिल बहल जाए इसलिए भेजा था इधर शालू के चलेजाने से वैसे ही माहौल गमगीन हो रखा है…. फिर अब इसका पूरा ख़्याल रखना होगा…. उधर डॉक्टर भी अच्छे मिल जाएँगे इसलिए लेनेआया था फिर माता-पिता भी चाहते हैं बच्चा उधर ही हो…।” आलेख ने कहा 

 शैल के पिता ने इजाज़त दे दी…. आलेख शालू को घर ले आया….. उसका पूरा ख़्याल रखता…..ये सब देख शैल की सास एक दिनग़ुस्से में बोल बैठी,“ जब इतनी ही फ़िक्र है तो इसी से कर ले ब्याह….. कम से कम लोग बाहर सौ बातें तो नहीं बनाएँगे ।” 

“ ये क्या बकवास कर रही हो माँ…. दिमाग़ ठिकाने पर तो है..।” आलेख लगभग चीखते हुए बोला

“ सही कह रही हूँ बेटा….मोहल्ले में लोग बातें बना रहे हैं …. आलोक के साथ कितने दिन ही रही ये …बच्चा कहीं आलेख का ही तो नहींहै तभी इतना ख़्याल रख रहा…।” माँ गंभीर हो बोली 

“ माँ जी ये बच्चा आलोक का ही है…. मैं अपने बच्चे की कसम खा कर बोलती हूँ….. आलेख जी के साथ छि छि…।”। कह  शैल कमरेमें जा मुँह छिपाकर  रोने लगी 

“ शैल प्लीज़ चुप हो जाओ…. तबियत बिगड़ जाएगी ।” आलेख ने कहा

“ आप वापस मुझे मायके छोड़ आइए…. मुझे नहीं रहना यहाँ..।” रोते हुए शैल ने कहा 

“ शैल तुम क्यों किसी की बात सुनती हो…. मैं जो भी कर रहा हूँ आलोक की निशानी का सोचकर ….तुम्हारे मायके में भी लोग बातबनाएँगे फिर बच्चे की परवरिश का सोचो…. यहाँ रहोगी तो मैं हूँ ना…।” आलेख समझाते हुए बोला 

“ आख़िर कब तक…. कल को आपकी शादी हो जाएगी फिर…।” शैल ने कहा 

“ तो तुम ही कर लो मुझसे शादी…..मुझे पत्नी की ज़रूरत नहीं है शैल…. बस ये सोचता हूँ शालू चाहती थी मैं शादी कर लूँ ताकि कोईतुम्हें कुछ ना सुनाए… पर आलोक और शालू के चले जाने के बाद मेरा शादी से मन उठ चुका है… बस इस बच्चे का सोचने लगा हूँ…. ऐसा लगता आलोक वापस आ रहा…. और उसका ख़्याल मुझे ही रखना है….. तुम सोच लेना बाक़ी मैं सब सँभाल लूँगा…. बस बच्चे कीख़ातिर जो भी सोचना।” कह आलेख कमरे से चला गया 

शैल जानती थी उसके लिए मायके में रह कर समाज का मुँह बंद करना मुश्किल होगा…. बिना बाप का बच्चा…. नहीं नहीं…. मेरे बच्चेको पिता का साया दूँगी…. कर लूँगी आलेख से ब्याह बस बच्चे की ख़ातिर ।




दूसरे दिन आलेख से कहा,“ बस बच्चे को पिता का साया मिले इसलिए आपसे शादी करने को तैयार हूँ पर कभी पत्नी नहीं बनपाऊँगी……।”

आलेख भी बस बच्चे के लिए ही सोच रहा था हामी भर दी।

माता-पिता को मनाया और साधारण तरीक़े से मंदिर में ब्याह कर लिया…. तबसे आज तक वो हमेशा कमरे में एक बेंच पर किनारे सोताऔर पलंग पर शैल….. समय पर कृष का जन्म हुआ और आलेख उसे भरपूर प्यार करता…. कभी सीमा रेखा लाँघने की कोशिश ना की।

शैल को उसे देखकर दया आती पर वो भी अपनी मर्यादा लाँघना नहीं चाहती थी ।

“ उठो शैल जाना नहीं है क्या?” आलेख के उठाने पर शैल यादों से बाहर निकल आई

“ कब से उठा रहा हूँ…. सपना देख रही थी क्या..?” आलेख ने पूछा 

“ नहीं अपनी ज़िन्दगी को समझ रही थी….. आलेख आप से एक बात कहनी है….।” शैल ने पूछा 

“ हाँ कहो ना..।” आलेख ने कहा 

“आज से आप बिस्तर पर सोयेंगे…. अपने बेटे के साथ…… ।” कह शैल ने आलेख का हाथ पहली बार एक पत्नी के रूप में पकड़करआलेख को पति स्वीकार कर लिया ।

आलेख शैल को देखता रह गया ….

बहुत बार कुछ रिश्ते जाने अनजाने में कैसे जुड़ जाते है….. पता नहीं चलता…. शायद उपर वाला यही चाहता हो…..शैल और आलेखबस बच्चे की ख़ातिर पति पत्नी बन कर रह रहे थे कभी अपनी मर्यादा नहीं लाँघी पर कभी कभी प्यार अच्छाइयों से भी हो जाता है… जोशैल को हो गया था ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# मर्यादा 

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