देखिए भाभी जी आज मेरी बहू को अपने स्कूल से सबसे अच्छी टीचर का ये गिफ्ट मिला है ।ये कहते हुए प्रस्सति पत्र और गिफ्ट दिखाते हुए खुशी से सुधा जी की आंखें छलछला आई।आज धूप में बैठी इस पड़ोस की सुधा जी की सहेलियां जिनको सुधा जी बहू को मिला गिफ्ट दिखा रही थी। सभी सहेलियां एक दूसरे को देख रही थी और आंखों ही आंखों में बातें कर रही थी। तभी बीच में सुधा जी की एक सहेली रंजना बोली पड़ी आप तो हमेशा अपनी बहू की तारीफ करती रहती है, हां तो है
ही इतनी अच्छी हमारी पूजा बहू,मैं तो ऐसी बहू पाकर धन्य हो गई हूं। तभी दूसरी सहेली वन्दना बोली इतनी तारीफ हर समय न किया करो नहीं तो सिर चढ़ जाएगी फिर रोओगी बैठकर।अरे भाभी जी किसी के अच्छे काम की तारीफ करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। बेटी की तो हम तारीफ की रहते हैं
लेकिन यदि बहू भी कोई अच्छा काम करें तो उसकी भी तारीफ करनी चाहिये बहू की तारीफ न करके ही हम गलती कर जाते हैं हम , इससे सास बहू के रिश्ते मजबूत होते हैं । यदि सास बहू के रिश्ते मजबूत बनाने है और एक दूसरे के दिलों में प्यार जगाना है तो हम बड़ों को भी कुछ समझदारी दिखानी चाहिए तभी तो रिश्ते बने रहते हैं और साथ ही रिश्तों की मिठास भी।
सुधा जी और विवेक के परिवार में दो बेटियां और एक बेटा था गौरव। बेटियों की शादी हो चुकी थी और बेटे वैभव की शादी अभी दो साल पहले हुई है।बहू पूजा स्कूल में टीचर हैं ।वो शादी के पहले से टीचिंग करती थी। लेकिन जब पूजा की शादी सुधाजी के बेटे से तय हो रही थी तो सुधा जी ने कहा था
पूजा से बेटा मैं नौकरी तुमसे नहीं करवाऊंगी।बेटा यदि बहू नौकरी करती है तो ससुराल में अच्छे से ध्यान नहीं दे पाती है ।और मेरे घर में ईश्वर की दया से कोई कमी नहीं है ।बेटा तुम नौकरी छोड़ दोगी शादी के बाद। लेकिन पूजा उस समय तो कुछ न बोली लेकिन शादी तय होने के बाद पूजा अपने मम्मी पापा से नाराज़ होने लगी
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कि इस शर्त पर मैं शादी नहीं करूंगी कि की नौकरी छोड़नी पड़ेगी। लेकिन पूजा के मम्मी पापा ने कहा बेटा इतना अच्छा घर, वर मिल रहा है और सबकुछ तो घर में है तो क्यों जी को हलकान करना मत करो नौकरी । नहीं मां मैं अपनी तरफ से कोशिश तो करूंगी सासु मां को मनाने की ।और शादी होने तक पूजा ने तीन महीने की बिना तनख्वाह की नौकरी पर रही छोड़ा नहीं।
और शादी हो गई पूजा और वैभव की । पूजा ससुराल आ गई। शादी के सारे काम रस्मों रिवाज सब हो गए ।सब मेहमान भी अपने अपने घर चले गए।तब तक पंद्रह दिन बीत गए थे आज सभी घर के लोग एकसाथ बैठकर खाना खा रहे थे। पूजा बिल्कुल चुपचाप बैठी थी तभी विवेक और सुधा जी ने पूछा क्या बात है पूजा बेटा तुम्हे क्या यहां अच्छा नहीं लग रहा है , कोई परेशानी है तुम खुश नहीं दिख रही हो बेटा कुछ बात है तो बताओ ।हम लोगों को अपनी ही मम्मी पापा समझों।और जो कुछ भी मन में है बेझिझक कहो।
तब पूजा हिम्मत जुटा कर बोली। मम्मी पापा एक बात मैं आप लोगों से करना चाहती हूं प्लीज आप लोग नाराज़ मत होइएगा। नहीं नहीं कहो जो कुछ भी कहना चाहती हो मम्मी मैं अपनी नौकरी आगे करना चाहती हूं।पर बेटा प्लीज़ मम्मी मेरा सपना है कि मैंने जो शिक्षा ग्रहण की है उससे मैं बच्चों को शिक्षित कर पाऊं।और घर में आपको कोई दिक्कत नहीं होगी सबकुछ मैं संभाल लूंगी। प्लीज़ मम्मी जी प्लीज़ पापा जी । फिर सुधा और विवेक जी बोले ठीक है सोच-समझ कर बताते हैं ।
घर में सुधा और विवेक जी ने आपस में मशवरा किया। विवेक जी बोले देखो सुधा यदि हम लोगों ने ज्यादा सख्ती दिखाई तो हम लोगों के रिश्तों में दरार आ जाएगी और बहू के मन में एक गांठ बन जाएगी कि मुझे मेरे मन का करने नहीं दिया फिर हम लोगों का सम्मान कभी न कर पाएगी। इसलिए जिद छोड़ दो और मान
जाओ । सुधा जी को पति विवेक की बात ठीक लगी और वो राजी हो गई ।
आज सुबह सुधा जी ने पूजा को बुलाया और कहा बेटा पूजा तुम कर सकती है अपनी नौकरी ।सच में मम्मी जी और मारे खुशी के पूजा मम्मी जी के गले लग गई।उसकी खुशी देखकर सुधा जी ने मन में कहा हमलोग कितना बड़ा जुल्म करने जा रहे थे पूजा पर कितनी खुश हैं वो।अब पूजा अपनी छुट्टी रद्द करके स्कूल जाने लगी। सुधा जी की बेटियां घर आई तो वो भी मम्मी पर नाराज़ होने लगी कि क्यूं मम्मी जब भाभी नौकरी करेगी तो जब हम लोग घर आएंगी तो कौन हम लोग की सेवा करेगा।वो नहीं बेटा ऐसा नहीं होगा पूजा ने कहा है ।
अब पूजा ने नौकरी के साथ साथ घर में भी सबकुछ अच्छे से संभाल लिया। हां उसके काम में सुधा जी भी बराबर से हाथ बंटाती थी। लेकिन जब बेटियां आती तो उनको बहुत बुरा लगता। मम्मी दिनभर पूजा पूजा करती तो तो बेटियां कहती क्या मम्मी दिनभर पूजा पूजा के ही रट लगाए रहती है । बेटा पूजा बहुत अच्छी है
सबकुछ कितने अच्छे से संभाल लिया है । और हर समय हंसते रहना मिलजुल कर काम करना बहुत अच्छा लगता है मुझे । बहुत अच्छी है पूजा । हां मम्मी तुम्ही तो बहू की अच्छाइयों के आगे और कुछ दिख ही ंंनहीं रहा है।हम लोगों की तो कभी तारीफ नहीं करती । देखो बेटा जो तारीफ के लायक होगा उसकी तारीफ तो होगी ही चाहे बेटी हो या बहू हो।
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ननदों को अच्छा नहीं लगता था लेकिन फिर भी चुप रह जाती थी ।
आज सुधा जी की अचानक तबियत खराब हो गई डेंगू हो गया था । अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। फिर क्या था पूजा स्कूल से छुट्टी लेकर मम्मी जी की देखभाल में जुट गई। अस्पताल ,घर सब एक कर दिया।एक हफ्ते बाद अस्पताल से घर आ गई सुधा जी तब भी कुछ नहीं करने देती पूजा।हर समय सुधा जी का इतना ध्यान रखा कि अब दोनों बेटियां भी कहने लगी कि सच में मम्मी भाभी बहुत अच्छी है ,हम दोनों ने देख लिया
आपका कितना ख्याल रखती है इतना तो शायद हम लोग भी न कर पाते । हां बेटा तभी तो कहती हूं तेरी भाभी बहुत अच्छी है। किस्मत वाली हूं कि पूजा मिली है नहीं तो आजकल लोगों के घर का हाल देख रही हूं क्या हो रहा है बहू के आ जाने पर, सास ससुर की क्या दुर्दशा हो रही है। दिनभर वहीं लडाई झगडे मन मुटाव।और हां बेटा एक बात और जितना हम किसी को प्यार से जीत सकते हैं उतना नफरत से नहीं ।हम किसी को प्यार देंगे तो दूसरा पागल तो नहीं कि हमसे बिना मतलब झगड़ा करेगा।बेटा भाभी से थोड़ी सीख लो
और अपने घर को भी स्वर्ग बनाओ।बेटा अच्छे व्यवहार से बड़े से बड़ा दिल जीता जा सकता है। प्यार हर नफरत को मिटा देता है मैं बहुत खुश हूं पूजा को पाकर।उसकी अच्छाइयों को नजरंदाज तो नहीं कर सकती अच्छी है तो है समझीं मेरी बिटिया। हां मम्मी समझ गई कि क्यों तुम भाभी की इतनी तारीफ करती हो।
आज सुधा के अड़ोस पड़ोस की सारी सहेलियां मान गई कि सुधा की बहू बहुत अच्छी है । क्यों सुधा हर समय उसकी तारीफ किया करती है।आज जब सुधा की सब सहेलियां बैठी गप्पे लगा रही थी तो पूजा स्कूल से आई और एक पैकेट सास की तरफ बढ़ाते हुए बोली शादी के सालगिरह की बधाई हो मम्मी।
ये आपके लिए है मेरी तरफ से छोटा सा तोहफा आपके लिए , पेकेट में एक जोड़ी बिछिया और पायल था।
।और मम्मी के साथ ही सभी सहेलियों के पैर छूए और सबको मिठाई खिलाई। सुधा जी बोली गिफ्ट लाने की क्या जरूरत थी बेटा। क्यों नहीं मम्मी बड़े तो छोटो को गिफ्ट देते ही रहते हैं।आप हमारी वर्षगांठ पर कितना कुछ देती है तो छोटो का भी फ़र्ज़ बनता है कि कभी बड़ों को भी गिफ्ट दिया जाए । नहीं नहीं बेटा बस तुम लोग प्यार से रहो ,खुश रहो और घर परिवार को बांध कर रखो बस यही सबसे बड़ा गिफ्ट है हमारे लिए। वो तो मैं करती हूं न बताएं आप सबलोग सही है कि नहीं , हां हां बेटा बहुत सही कह रही हो । फिर सबने आशीर्वाद दिया सदैव खुश रहो और खूब फूलों फलों बेटा।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
20 मार्च