बारिश का मौसम था मंद – मंद बारिश हो रही थी । रवि बालकनी में खड़ा था , बारिश की हल्की हल्की बूंदों से उसका जिस्म भीग रहा था और यादें भी , गाँव की मिट्टी की सोंधी सी ख़ुशबू बारिश की पहली बूंदों के साथ हवा में बह रही थी ।
उस ख़ुशबू में उसके बचपन की यादें वो दोस्तों के साथ बिताये हुए लम्हे वो मस्ती , दादा – दादी के प्यार की गर्माहट और माँ के हाथों के खाने की खुशबू और छोटी बहन की वो शरारतें सब कुछ समाया हुआ था ।
“ रवि रवि … जोर से उसको हिलाते हुए विनी चिल्लाई , कहाँ ध्यान है तुम्हारा , कहाँ खोये हो , एकदम हड़बड़ा कर रवि बोला .. हाँ हाँ क्या कुछ कहा तुमने ! विनी बोली क्या हुआ है आपको बताओ तो जरा …
कुछ नहीं बस यूँ ही उदास होकर रवि ने कहा लेकिन विनी उसे अच्छी तरह से जानती थी कि वो किस बात को लेकर परेशान है ।
रवि एक बड़ी कंपनी में सी ई ओ था , सब कुछ था उसके पास पैसा , शौहरत ,इज्जत और उसे समझने वाली और हर कदम पर साथ देने वाली पत्नी ,लेकिन फिर भी कभी – कभी उसे बहुत खालीपन महसूस होता था उसे हर कदम पर माँ की याद आती थी ऐसा नहीं है कि वो अपने गाँव जाना नहीं चाहता था
लेकिन अपनी माँ की देखभाल और छोटी बहन की पढ़ाई की खातिर उसे शहर आना पड़ा ,उसने और विनी ने बहुत बार माँ को समझाया कि वो दोनों भी शहर चलें उनके साथ लेकिन माँ नहीं गई अपना घर और गाँव छोड़कर उस घर में उसके बाबूजी की यादें जो बसी थी ।माँ ने विनी को भी रवि के साथ भेज दिया ।
ये लो रवि गरमा गरम चाय पीकर बताओ कैसी बनी है कहकर चाय का प्याला रवि को पकड़ाते हुए कहा कि रवि मुझे माँ की बहुत याद आ रही है क्यों ना हम गाँव चले रवि ने विनी की और देखा और आँखों ही आँखों से बात हो गई जैसे-: वो विनी को धन्यवाद देना चाह रहा हो फिर अगले ही दिन वो गाँव के लिए रवाना हो गये ।
सालो बाद उसने गाँव का सफ़र किया था , शहर की चमक – धमक एक पल में फीकी पड़ गई थी जब उसने गाँव का दरवाजा देखा था उसकी आँखों के सामने उसका बचपन जैसे एक चलचित्र की भाँति उभर कर आ गया उसने अपने घर को देखा वही मिट्टी की दीवारें वही नीम का पेड़ जिसके नीचे वह अपने दोस्तों के साथ खेलता था सब कुछ वैसा ही था जैसा उसने छोड़ा था ।
घर के अंदर जाते ही माँ की खुशबू ने उसे झपक लिया वो ही खुशबू जो उसने सालो से महसूस नहीं की थी , माँ का हाथ उसके सिर पर था और आँखों में आँसू
“बेटा तू आ गया “ माँ ने कहा और रवि को गले लगा लिया रवि ने बहुत देर तक अपनी माँ को गले लगाए रखा और रोता रहा उसकी गोद में सिर रखकर ,उसने महसूस किया कि जैसे सालों से कुछ खोया हुआ था जो अब उसे वापस मिल गया है दिन कब निकल गया पता ही नहीं चला रात को रवि अपने दोस्तों से मिलने गया
उन्होंने साथ में बातें की बचपन की यादें ताजा की औरअपने – अपने जीवन के सफ़र को एक दूसरे के साथ शेयर किया ।उस रात रवि ने ख़ुद को इतना खुश और हल्का महसूस किया उसने समझा की सारी दुनियां की अमीरी से ज्यादा कीमती है अपनों का प्यार और अपनेपन की महक ।
रवि अपने आप को बहुत ही खुश किस्मत मान रहा था कि उसे अपनों का साथ मिला ।।
शीतल भार्गव
छबड़ा जिला बारा
राजस्थान