पराया देश पराए लोग पर फिर भी काव्या खुश थी क्योंकि जिसके लिए इतनी दूर सात समुन्द्र पार आईं थी वो पराया नहीं था बल्कि वो तो उसका सुहाग मिहिर था।
काव्या जिंदगी को भरपूर जीने वाली लड़की घर भर की लाडली काव्या।
” शालिनी काव्या के लिए एक रिश्ता आया है एनआरआई लड़का है वो अपने वर्मा जी के दोस्त का बेटा है !” एक दिन काव्या के पापा कबीर जी अपनी पत्नी से बोले।
” अरे विदेश भेजोगे बेटी को मिलने तक को तरस जाएंगे नहीं नहीं मुझे नहीं करनी यहां बेटी की शादी !” शालिनी जी बोली।
” काव्या की मां लड़के वाले तो यहीं के हैं बस लड़का विदेश में बसा है और कुछ सालों बाद उसके मां बाप उसे यहीं बुलाने वाले हैं घर परिवार अच्छा है लड़की खुश रहेगी वहां !” कबीर जी बोले।
शालिनी जी का मन नहीं मान रहा था पर कबीर जी ने उन्हें समझा बुझा कर चुप करा दिया था साथ साथ एनआरआई से शादी की सुन काव्या की आंखों में पलते विदेश के सपने को देख भी उन्होंने बेमन से रिश्ते को हामी भर दी। जानकारी में होने के कारण ज्यादा जांच पड़ताल भी नहीं की गई।
क्योंकि मिहिर इस वक़्त भारत आया हुआ था तो देखना दिखाना हुआ और चट मांगनी पट ब्याह हो गया। और काव्या का वीज़ा लगवा एक महीने के अंदर मिहिर उसे लंदन ले आया उड़ा कर। मां बाप से बिछड़ने पर काव्या बहुत रोई पर यहां इस धरती पर कदम रखते ही मानो उसे परी लोक का एहसास हो रहा था और उसे मिहिर किसी शहजादे से कम नहीं लग रहा था जो उसे सबसे चुरा इस परी लोक में ले आया हो।
” काव्या ये है मेरा और अब तुम्हारा भी घर तुम फ्रेश हो लो इतने मैं कुछ ऑर्डर करता हूं!” मिहिर उसे घर लाकर बोला।
“बहुत सुंदर घर है और इसका इंटीरियर भी बहुत अच्छा है ।” काव्या घर देख कर बोली।
” हां मिलि इंटीरियर डेकोरेटर हैं ना उसने है सजाया सब !” मिहिर अपनी रौ में बोल गया।
” मिलि?” काव्या ने सवालिया नज़रों से देखा।
” मिलि मेरे साथ ये फ्लैट शेयर करती है और प्लीज़ टिपिकल इंडियन वाइफ मत बन जाना यहां ये सब आम है तुम दरवाजा बन्द कर लो और खा पीकर आराम करो। मैं शाम को आता हूं !” मिहिर बिना किसी झिझक के बोला।
काव्या बिना कुछ बोले सारा घर देखने लगी। मिहिर चला गया काव्या फ्रेश हो थोड़ा बहुत खाकर लेट गई। थकी तो थी ही थोड़ी देर में उसकी आंख लग गई जो घंटी की आवाज़ से खुली।
” हेल्लो ! मै मिलि और तुम मिहिर की वाइफ ?” दरवाजा खोलते ही एक विदेशी लड़की इंगलिश में बोली।
” हैलो हां मैं काव्या मिहिर की बीवी !” काव्या ने जवाब दिया।
मिलि बेधड़क घर में घुस आई। मिहिर के आने के बाद दोनों ड्रिंक करने बैठ गए। ऐसा लग रहा था काव्या का वहां होना ना होना उनके लिए कोई मायने नहीं रखता हो काव्या को बहुत अजीब लग रहा था। ये रोज का सा नियम हो गया था । दोनों आते घंटों बाते करते रहते ड्रिंक करते रहते काव्या घर के काम, खाने आदि में लगी रहती। रात को भी कभी मिहिर अपनी इच्छापूर्ति के लिए उसके करीब आता कभी देर रात मिलि के साथ बैठा रहता काव्या को बुरा भी लगता पर मिहिर को जैसे इससे मतलब ही नहीं।
” मिहिर क्या मिलि कहीं और शिफ्ट नहीं हो सकती !” एक दिन काव्या मिहिर से बोली।
” क्यों यहां क्या दिक्कत है उसे बीवी हो बीवी बनकर रहो बॉस बनने की कोशिश मत करो !” मिहिर गुस्से में बोला और चला गया।
काव्या हैरान रह गई जिस सपने के साथ वो यहां शादी करके आईं थी वो तो कहीं खो गया था। क्या करे किससे कहे अपने मन की परदेश में कोई अपना भी तो नहीं था और जिस अपने के सहारे यहां आईं थी वो भी यहां आकर बदल गया था। भारत में सब बात अपने घर पर बता वो अपने मां पापा को परेशान नहीं करना चाहती थी। काव्या घुट घुट कर जी रही थी। इसी तरह दो महीने बीत गए।
” काव्या ये मेरे कुछ दोस्त हैं तुम इनके लिए खाने का इंतजाम करो !” एक दिन मिहिर कुछ लोगों के साथ आया और बोला।
काव्या खाना बनाने लगी मिहिर अपने दोस्तों के साथ ड्रिंक करने लगा मिलि अभी तक नहीं आई थी।
” काव्या तुम भी हमारे साथ पियो!” मिहिर के दोस्तों में से एक इंग्लिश में बोला।
” माफ़ कीजिए मैं नहीं पीती !” काव्या ने शिष्टता से जवाब दिया।
” अरे थोड़ी सी तो बनती है !” एक दोस्त जबरदस्ती उसे पिलाने लगा तो काव्या ने उसे धक्का दे दिया और कमरे में भाग आईं।
तभी उसने बाहर उनकी बातें सुनी मिहिर ने उनसे पैसे लिए थे जिसके बदले वो काव्या को उन्हें एक रात को सौंपने लाया था साथ ही मिहिर उनसे बोल रहा था वो तो शादी ही इसलिए करके लाया जिससे घर संभालने को एक नौकरानी मिल जाए और कमाई का साधन भी । काव्या को एक धक्का सा लगा उसने जल्दी से दरवाजे की कुण्डी लगाई। तभी दरवाजा पीटा जाने लगा मिहिर गुस्से में चिल्ला रहा था और दरवाजा खोलने को बोल रहा था।
” हे भगवान अब क्या करूं मैं इस पराए देश में ?” उसने खुद से रोते हुए कहा और अपना पासपोर्ट और पैसे निकालने लगी अलमारी में से । एक बैग में कुछ सामान डाल वो पीछे के रास्ते से निकल गई अनजान देश में अनजान राहों पर वो भागी जा रही थी बस।
” अरे काव्या तुम यहां क्या कर रही हो ?” तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी जो उससे इंगलिश में पूछ रही थी उसने पलट कर देखा सामने मिलि खड़ी थी। काव्या डर गई ।
” डरो मत मुझे बताओ क्या हुआ मैं शायद तुम्हारी कोई मदद कर सकूं !” मिलि ने काव्या के कंधे पर हाथ रख कर बोली।
पराए देश में सहानुभूति के दो बोलों से काव्या पिघल गई और रोते हुए मिलि के गले लग गई और सारी बात उसे बता दी। मिलि ने काव्या को थोड़ी देर रोने दिया फिर शांत करवाया।
” देखो काव्या मुझे नहीं पता मिहिर तुम्हे यहां क्या कह कर लाया है मुझे तो उसने ये बताया कि वो शादी करके लाएगा भारत से एक गरीब लड़की को जो घर के सब काम करेगी यहां नौकरानी के खर्चे से बचेंगे हम लोग। बाकी मिहिर और मैं लिव इन में हैं पिछले दो साल से !” मिलि ने जैसे एक और धमाका किया।
” पर मिहिर तो मुझे झूठे सपने दिखा कर लाया था यहां मैं पंजाब के एक अच्छे घर से तालुक रखती हूं। तुम भी एक औरत हो प्लीज़ मेरी मदद करो मैं यहां किसी को नहीं जानती मुझे भारत वापिस जाने में मदद करो प्लीज़ मैं पासपोर्ट लाई हूं साथ में और ये पैसे भी रख लो। मैं अपना सब कुछ खो चुकी हूं इस शादी के नाम पर एक इज्जत बची है उसे नहीं खो सकती !” काव्या मिलि से रोते हुए बोली।
” तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ काव्या तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ पुलिस स्टेशन चलूं शिकायत करने मिहिर की !” मिलि ने सुझाव दिया उसे काव्या की हालत देख बहुत बुरा लग रहा था।
” पुलिस ने शिकायत का मतलब है मुझे यहीं रुकना होगा जबकि अब मैं यहां नहीं रह सकती मुझे मेरे मां पापा के पास जाना है !” काव्या डरते हुए बोली।
मिलि ने उसे एक होटल में ठहराया और उसके भारत जाने की व्यवस्था की मिहिर ने काव्या को ढूंढा पर वो उसे नहीं मिली। मिलि ने भी मिहिर पर कुछ जाहिर नहीं होने दिया।
आज काव्या वापिस जा रही है अपने देश जिस खुशी के साथ उसने इस धरती पर कदम रखा था उससे कहीं ज्यादा दुख के साथ वो इस धरती को छोड़ रही है। विदेशी चमक ने उसका सब कुछ छीन लिया पर इतना संतोष था उसे कि उसने उन लड़कों से अपनी इज्जत बचा ली वरना सिवा मरने के कोई रास्ता नहीं बचता उसके पास।
भारत आकर काव्या ने जब अपने मां बाप को अपनी आप बीती सुनाई तो वो गुस्से में मिहिर के मां बाप के पास गए वहां वो लोग भी अपने बेटे की करतूत के लिए शर्मिंदा थे।काव्या के पापा ने मिहिर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस कर दिया साथ ही काव्या को प्रताड़ित करने का भी पर वो केस दो देशों का मामला होने की वजह से लटका पड़ा है। काव्या के पिता खुद को दोषी मानते है क्यों उन्होंने अपनी बेटी की शादी एक एनआरआई से करके उसके साथ ये अन्याय किया। अब उनकी बेटी ना तलाकशुदा है ना विवाहित।
दोस्तों बेटी की शादी अच्छे घर में हो ये हर मां बाप का सपना होता है पर अपने जिगर के टुकड़े को किसी को सौंपने से पहले अच्छे से जांच पड़ताल करें। वरना कहीं आपको भी काव्या के माता पिता की तरह पछताना ना पड़े। यहां मैं ये नहीं कहती हर एनआरआई लड़का गलत है पर फिर भी जिगर का टुकड़ा सौंपने से पहले सब कुछ देखना समझना जरूरी है। वरना ऐसी शादी बच्चो की जिंदगी नही संवारती बल्कि उनपर अन्याय ही करती है।
#अन्याय
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल