” सीमा..चलो ना…नये जीएम की वाइफ़ की पहली मीटिंग हैं..सुना है..वो स्पीच(भाषण) बहुत अच्छा देती हैं।कल ‘महिला-दिवस’ भी तो है..वो ज़रूर कुछ अच्छा ही बोलेंगी।” राधिका ने अपनी सहेली से कहा तो वो ना-नुकुर करने लगी।तब राधिका बोली,” ठीक है..तुम चलो, अगर बोर होने लगी तो हम वापस आ जायेंगे।” वापस आने की कंडीशन पर सीमा ने हाँ कह दी और तैयार होने लगी।
राधिका ओएनजीसी के काॅलोनी में रहती थी।उसके साथ वाला क्वाटर काफ़ी दिनों से खाली पड़ा था।तीन महीने पहले ही उसमें सीमा रहने आई थी।दोनों के बच्चे हमउम्र थें, इसलिये जल्दी ही दोनों में मित्रता हो गई।पहली मुलाकात में ही सीमा ने उससे स्पष्ट कह दिया कि मैं तो तुम्हें नाम लेकर ही बुलाऊँगी..मुझे मिसेज़ या जी लगाना पसंद नहीं है।उसके इस बेबाकी-से राधिका बड़ी इंम्प्रेस हुई और फिर पार्क हो या शाॅपिंग सेंटर, दोनों साथ ही जाती थीं।
सीमा बोलने में तर्रार थी लेकिन रहन-सहन में सादगी।उसे दिखावा करना अथवा बेवजह की वाहवाही लूटना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।राधिका के कहने पर उसने लेडिज-क्लब ज्वाइन तो कर लिया था लेकिन वहाँ का कभी कोई प्रोग्राम अटेंड नहीं किया।नये जीएम मैडम के वेलकम में चलने के लिये राधिका ने उससे ज़िद की तो उसने हाँ कह दी।
जीएम मैडम सुमन आकाश से मिलने के लिये महिलायें आतुर थीं।क्लब के हॉल की एक भी कुर्सियाँ खाली नहीं थी।किसी तरह से दो कुर्सियाँ खाली करवाकर राधिका और सीमा बैठ गईं।जीएम मैडम के आने पर सभी ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया।पुष्प-गुच्छा देकर उन्हें दो शब्द कहने को कहा गया।
उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर होना चाहिये जिसके लिये शिक्षा बहुत ज़रूरी है।विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन करने वाली महिलाओं के नाम गिनाती हुई वो बोलीं कि हम सभी को बिना अपने पिता-पति का नाम लगाये अपनी खुद की पहचान बनानी चाहिये..।उनकी दमदार आवाज़ को सीमा मंत्रमुग्ध होकर सुन रही थी।तालियाँ बजाकर उसने राधिका से कहा,” ग्रेट लेडी..।”
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सभी महिलायें जब एक-एक करके जाने लगीं तब राधिका बोली,” चल सीमा..जीएम मैम को हम भी ‘हाय’ कहकर आते हैं।” जीएम मैडम की प्रशंसा करते हुए सीमा बोली,” मैम..आप बहुत अच्छा बोलती हैं..,आपका नाम भी बहुत प्यारा है सुमन आकाश।” मुझे छोटे नाम पसंद आते हैं लेकिन आपका नाम साहि..।अरे!..आप हँस क्यों रहीं हैं..मैंने कुछ गलत कहा क्या?”
” नहीं मिसेज़ सीमा..दरअसल मेरा नाम तो सुमन है..आकाश मेरे मिस्टर हैं…।” मुस्कुराते हुए जीएम मैडम बोली तो सीमा के तेवर बदल गये,” मिस्टर का नाम…क्यों..ये दिखाने के लिये आप उनसे बहुत प्यार करतीं हैं या उनके नाम के बिना आपकी कोई पहचान नहीं ।”
जवाब में बोलीं,” अपने नाम के साथ पति का नाम जोड़ना तो आजकल आम बात हो गई है।इसमें गलत क्या है?”
” आम बात…गलत! आपने तो अपने प्यार का सबूत दे दिया तो क्या आपके मिस्टर आपसे प्यार नहीं करते…और यदि करते हैं तो वो भी अपने नाम के साथ आपका नाम भी लिखते होंगे…जब नर-नारी दोनों बराबर हैं तो..।” सुनकर सुमन आकाश मैडम चकित रह गईं।राधिका सीमा का हाथ खींचते हुए बोली,” बस यार.. ..अब चल यहाँ से।
” लेकिन सीमा ने उसका हाथ झटक दिया और कहने लगी,” मैम..आपने तो अभी-अभी महिलाओं के लिये बेचारी शब्द का प्रयोग किया था और कहा था कि महिलाओं का अपना कुछ भी नहीं होता..उनको हल्दी, मेंहदी पति के नाम की लगाई जाती है..उनका सिंदूर- चूड़ी भी पति के नाम की..।उनका सरनेम भी पति का ही दिया होता है।एक नाम ही बस उनका अपना होता है, उन्हें अपने नाम से ही पहचान बनानी है..लेकिन आपने तो अपनी पहचान बनाने के लिये…।” सीमा की बात पूरी होने से पहले ही राधिका उसे खींचकर वहाँ से ले आई और जीएम मैडम हतप्रभ रह गईं ।
अगले दिन सीमा जब राधिका के पास आई तब उसे चाय का कप थमाते हुए राधिका बोली,” तुम्हें इतना बोलने की क्या ज़रूरत थी..देख लेना.. एकाध- दिन में पक्का तेरा बुलावा आ जायेगा।वो तो अच्छा हुआ कि मैंने अपने नाम के साथ राजीव नहीं लगाया वरना तुम तो मेरा..।” दोनों सहेलियाँ हँसने लगी तभी राधिका के इंटरकाॅम की घंटी बजी।उठाने पर उधर से आवाज़ आई,” कल शाम चार बजे आपको और मिसेज़ सीमा को श्रीमती सुमन सूरी ने बुलाया है।
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” सुमन सूरी ने..ये कौन है?” राधिका चौंक पड़ी।तब उधर से आवाज़ आई,” जीएम मैडम..।” अगले दिन जब दोनों सहेलियाँ जीएम आवास पहुँची तो श्रीमती सुमन ने मुस्कुराते हुए उनका स्वागत किया।राधिका बोली,” मैडम..उस दिन सीमा ने कुछ..आइ एम साॅरी…।”
” Don’t say sorry..राधिका..,सीमा ने तो मेरी आँखें खोल दी है।समाज में हम जो बदलाव लाना चाहते हैं, उसकी शुरुआत हमें अपने घर से करनी चाहिए, इसलिए अब से आप लोग मुझे सुमन मैडम ही कहेंगे..।”
विभा गुप्ता
स्वरचित