अपने लिए कब सोचेंगी….. – रश्मि प्रकाश

‘‘ निकुंज जानते हो शीना की बहन की शादी का कार्ड आया है…खुद शादी नहीं की पर बहनों की ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभा रही है….मेरी पगली दोस्त को जिम्मेदारियों ने समय से पहले ही कुछ ज़्यादा बड़ा कर दिया….देखो ना अपनी जिंदगी जीना तो वो जैसे भूल ही गई है…..बस लगी है अपनी बहनों की जिन्दगी संवारने में….मेरी सहेली है मेरी हमउम्र पर देखो आज मेरे बच्चे कितने बड़े हो गए है और वो अब तक अकेले अपने पूरे घर की ज़िम्मेदारी उठा रही है…. इतनी सहनशीलता और कर्तव्यनिष्ठता  बहुत कम लोगों में देखने को मिलती….आज अपनी तीसरी बहन की शादी का न्यौता देने के लिए फोन भी की थी….सोच रही हूँ बाकी दो बहनों की शादी में तो जा नहीं पाई …इस बार चली जाऊँ ….उससे मिलना भी हो जायेगा और  थोड़ी सीख भी देकर आ जाऊंगी….निकुंज आप क्या बोलते हो? ” राशि ने पूछा

‘‘हम्मम राशि …शीना तुम्हारी स्कूल कॉलेज की दोस्त हैं …चली जाओ उसको भी तुमसे मिलकर अच्छा लगेगा।”निकुंज ने राशि से कहा

‘‘मैं शादी से एक दिन पहले चली जाऊं….आप मैनेज तो कर लेंगे ना?‘‘ राशि ने पूछा

‘‘ अरे हां जी ..तुम आराम से जाओ ,बच्चे पास होते तो उनके खाने की चिन्ता होती अब जब दोनों हॉस्टल में है तो क्या चिन्ता… मैं ऑफिस कैंटीन में मैनेज कर लूंगा।‘‘निकुंज ने राशि को तसल्ली देते हुए कहा

राशि दो दिन बाद जाने की तैयारी करने लगी…..अपना सामान पैक करते करते वो शीना और अपनी दोस्ती के दिन याद करने लगी।

पहली बार हॉस्टल में ही तो मिली थी उससे…. रूमेट बनी फिर अच्छी दोस्ती हो गई …..दस साल का समय साथ गुज़ारा था….ग्रेजुएशनके फाइनल ईयर में अचानक खबर आई कि शीना के पापा का दिल का दौरा पड़ने से देहान्त हो गया।शीना उस दिन बहुत रोई थी… किसी तरह वो साल पूरा कर घर गई जब वापस घर से आई वो उदास रहने लगी थी। उसके पापा सरकारी नौकरी करते  थे, अनुकम्पा नियुक्ति के लिए सबने शीना को नौकरी करने की सलाह दी …..और शीना की मम्मी ने भी बहुत भरोसे से अपनी बड़ी बेटी की ओर देखा जिसे  शीना नज़रअंदाज़ ना कर पाई.. और वो उसी दिन से घर की ज़िम्मेदारी उठाने वाली वो एक मज़बूत स्तंभ बन गई ।

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राशि की शादी के बाद शीना से बात लगभग बंद सी ही हो गई थी।ऐसे में जैसे सब दोस्तों की शादियाँ हुई राशि ने सोचा शीना भी शादी करके अपनी गृहस्थी में रम गई होगी।

एक दिन अचानक फोन की घंटी बजी।

‘‘ हैलो, राशि बोल रही है?‘‘उधर से आवाज आई

‘‘ हाँ राशि बोल रही हूं पर आप कौन?‘‘ राशि को समझ नहीं आया कौन हैं उपर से नम्बर भी अनजान 

‘‘ शीना बोल रही हूं यार, तेरे घर का नम्बर कितनी मुश्किल से मिला वो भी पुरानी डायरी में,तेरे घर कॉल की तो पता चला तेरी शादी हो गई और तेरी मम्मी ने यह नम्बर दिया है।‘‘ शीना ने कहा 

बहुत दिनों बाद दोस्तों की गप्पें हो रही थी हर पुरानी यादें ताजी हो रही थी 

उस दिन दोनों ने बहुत देर बात की  तब पता चला शीना ने एक बहन की शादी कर दी पर अभी तक खुद शादी नहीं की है….सब बहनें अपनी अपनी जिन्दगी मजे से जी रही है…..माँ भी अपनी बाकी बेटियों के अच्छे भविष्य के लिए शीना से बोलती रहती है और वो चुपचाप सबकी इच्छा पूरी करने में खुद को झोंकती जा रही।

उसके बाद शीना के फोन आते रहते थे….पर दोनों का मिलना नहीं हो पा रहा था….

इस बार शीना ने बहुत जोर देकर राशि को आने के लिए कहा था जिसे राशि मना नहीं कर पाई थी।

पैकिंग करने के बाद राशि शीना से मिलने के लिए उत्सुक थी।

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दो दिन बाद राशि शीना के घर पहुँच गई 

‘‘ ये क्या हाल बना रखा है तुने शीना …..कैसी हो गई है?‘‘ खूबसूरत शीना को देखकर लगा ही नहीं वो पैंतीस साल की होगी, वक्त नेउसे पहले ही उम्रदराज बना दिया था या वक़्त के थपेड़ों में जूझती शीना कुछ ज़्यादा ही उम्र की लग रही थी लगा ही नहीं वो मेरे उम्र की होगी 

शीना अपनी माँ और बहनों से राशि को मिला कर अपने कमरे में ले जाना चाहती थी पर सब शीना को काम में उलझाकर रखना चाहतेथे…. ऐसा लग रहा था वो सब चाहते ही नहीं शीना को राशि के साथ देर तक रहने दिया जाए ।

फिर भी शीना राशि को ज़बरदस्ती कमरे में ले गई ये कहते हुए,“ इतने दिनों बाद दोस्त से मिली हूँ थोड़ी देर बात तो कर लेने दो… फिर तो काम ही काम करने है।”

कमरा अंदर से बंद कर के शीना राशि को पकड़ कर रोने लगी।

‘‘ क्या हुआ शीना तू अचानक ऐसे क्यों रोने लगी कुछ तो बोल।‘‘राशि परेशान हो कर पूछी

‘‘ राशि ,मुझसे अब ये जिम्मेदारी नहीं उठाई जा रही …..माँ बहन सब अपने बारे में सोचते हैं मेरे लिए कभी कोई कुछ भी नहींसोचता…..ऐसा लगता है मैं पैसा कमाने वाली मशीन बन कर रह गई हूँ….मैं भी इंसान हूँ…..मुझे भी दुख होता….माँ तो बस यही बोलती रही पहले सब बहनों की जिम्मेदारी निभा लो… फिर अपने बारे में सोचना……पापा की जॉब तुम्हें मिली है तो सबकी जिम्मेदारी भी तुम्हारी ही है……अब ये आखिरी जिम्मेदारी निभाने के बाद मैं मुक्त होना चाहती हूं पर कैसे ये समझ नहीं आ रहा है…..सब बहने अपने घर चली गई……माँ के लिए किसी को कोई भी चिन्ता नहीं।‘‘ शीना रोते हुए बोल रही थी

‘‘ शीना अभी भी वक्त है तुम शादी कर लो….अपनी भी ज़िन्दगी देखो…. क्या तुम्हें मन नहीं करता तुम्हारा भी कोई अपना हो….  जो तुम्हारे लिए सोचे… तुम्हारी फ़िक्र करें….. तुम नौकरी कर ही रही हो माँ को भी सँभाल सकती हो…… खुद के लिए अब तुम्हें खुद हीसोचना होगा जब तुम्हारे बारे में कोई सोच ही नहीं रहा है तो।‘‘ राशि ने शीना को समझाते हुए कहा

तब शीना ने बताया ,“ऑफिस में ही एक कलिग है , उसका नाम साकेत  नाम है,….हम दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं वो बहुत बार मुझसे शादी के लिए पूछ चुका है पर जिम्मेदारियों के बोझ तले दब कर मैं कैसे अपनी ख़ुशी का सोच सकती हूँ उसे मना करती जा रही हूँपर वो भी ढीठ है कहता है एक दिन तो तुम हाँ करोगी उस दिन का इंतज़ार करूँगा ।”

अब राशि ने ठान लिया शीना को उसकी खुशी दिला कर ही जायेगी।

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शादी अच्छे से निपट गया।

जब सब मेहमान चले गए तब राशि ने शीना की माँ से शीना और साकेत के बारे में  बात करते हुए कहा“आंटी जी, शीना ने सारी ज़िम्मेदारियाँ बखूबी निभा ली है…..अब एक जिम्मेदारी आप भी निभा दीजिए….आप इन दोनों को अपना आशीर्वाद दीजिए और जितनी जल्दी करवा सके दोनों की शादी करवा दीजिए।”राशि ने कहा

शीना की माँ कुछ देर सोच में डूब गई फिर भरे आँख से बोली,‘‘ मैं स्वार्थी हो गई थी शीना ….मुझे माफ कर दे बेटा…. मैं सोचती तू चली जाएगी तो तेरी बहनों का क्या होगा…. मेरा क्या होगा…. कौन मेरा ख़याल रखेगा…..तुम्हें मैं बस जिम्मेदारी उठाने वाला समझ बैठी…. पापा नहीं है तो तुम्हारे कंधों पर पूरे घर की ज़िम्मेदारी सौंप दी …… बेटा होता तो शायद वो सब सँभालता पर भगवान ने मुझे बेटियाँ ही दी और मैं अपनी एक बेटी को बस काम करने वाला मशीन समझ बैठी….. और उस बेटी को खुश रखने की जिम्मेदारी तक नहीं उठा पाई …..सही कहा राशि बेटा तुमने…. इसने तो अपनी ज़िम्मेदारी निभा ली अब मेरी बारी है ।”

शीना की माँ ने अपनी सब बेटियों को जब शीना और साकेत के बारे में बताया तो सभी बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी सबने शीनाको गले लगाते हुए कहा,“ दीदी हम भूल गए थे कि तुम हमारी बड़ी बहन हो हम तो तुम्हें कर्ता धर्ता समझ बैठे थे…. शादी परिवार ये सबभी तुम्हारे हिस्से में होगा कभी सोचा ही नहीं पर अभी भी देर नहीं हुई है हम सब अपनी बड़ी बहन की शादी की तैयारी करेंगे और अपनेजीजू से मिलेंगे जो हमारी दीदी के लिए अब तक इंतज़ार कर रहे हैं ।”

ये सुन कर शीना शरमा गई तब राशि उसे छेड़ते हुए धीरे से बोली,“क्यों मन में लड्डू फूट रहे हैं?” 

दो दिन बाद बिल्कुल साधारण तरीक़े से शीना और साकेत की शादी हो गई….. साकेत ने शीना को विदा कर ले जाते हुए शीना की माँसे कहा,“ आंटीजी अभी हमारी ज़िम्मेदारी ख़त्म नहीं हुई है….हम जल्दी ही आपको अपने साथ रखने वाले है…. ।” 

ये सुन कर शीना की माँ की आँखें भर गई…. ,“बेटा अभी मैं यही ठीक हूँ…. अब मुझे कोई परवाह नहीं….. पता है मेरी ज़िम्मेदारी उठानेके लिए अब एक बेटा भी मिल गया है।”

शीना माँ के गले लग बहुत रोई….. पता नहीं ये ज़िम्मेदारी से  मुक्त हो अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत करने की ख़ुशी वाली रूलाईं थी यामाँ को छोड़कर जाने की पर जो भी हो राशि खुश थी उसकी दोस्त की ज़िन्दगी में भी अब ख़ुशियाँ दस्तक दे रही थी ।

शीना को विदा कर राशि भी विदाई ले अपने शहर लौट आई …..इस बार उसे ख़ुशी हो रही थी आख़िर अपनी दोस्त के लिए एक अच्छा काम जो कर पाई थी ।

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धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

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