अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते – रश्मि प्रकाश : Moral stories in hindi

अभी कुछ महीने पहले ही राशि नई सोसायटी में शिफ़्ट हो कर आई थी। एक फ़्लोर पर चार फ़्लैट थे जिसमें से दो बंद ही रहते थे वो लोग कहीं और रहते थे साल में एकाध बार आते वो भी कुछ दिनों के लिए। ये बातें सामने रहने वाली मिसेज़ जुनेजा ने बताई थी ।

मिसेज़ जुनेजा से कभी कभी यूँ ही बातचीत हो जाती थी। पता चला मिस्टर जुनेजा के पैर में थोड़ी तकलीफ़ है इस वजह से घर में एक ड्राइवर कम सहायक और एक फ़ुल टाइम काम करने वाली एक सहायिका रहती थी।

“ आपके कितने बच्चे हैं?” राशि ने पूछा

“ दो बेटा है एक बेटी है … बेटी जालंधर में रहती और बेटे यही पंजाब में रहते हैं कुछ ही दूरी पर… अपने अलग अलग घर में ।” मिसेज़ जुनेजा ने बहुत आराम से कहा

“ ओहहह आपके साथ नहीं रहते…?आपको कभी महसूस नहीं होता बच्चे इतने पास रहते फिर भी आप दोनों यहाँ अकेले रहते हैं ?” राशि उत्सुकता वश पूछ बैठी

“ नहीं ये हम सबने मिलकर निर्णय लिया और सब ख़ुश रहते !” मिसेज़ जुनेजा ने मुस्कुराते हुए कहा

राशि सुन कर ये सोचने लगी कैसे बच्चे हैं यही पास में रहते पर माँ बाप से दूर हैं… जिनके पिता को चलने के लिए वॉकर की ज़रूरत होती है… चलने में तकलीफ़ है फिर भी….

राशि ने जब ये बात अपने पति निकुंज को बताई तो वो बोले,“ राशि ये तुम तुम्हारे नजर से देख रही हो… हो सकता उन लोगों के बीच की कोई और बात हो… तुम जो देख रही हो उसको उसी नज़रिए से समझ रही हो…आजकल बहुत पैरेंट्स ऐसे ही पास पास अलग अलग रहते हैं ।”

बात आई गई ख़त्म हो गई थी पर राशि जब भी अपनी बालकनी से मिस्टर जुनेजा को वॉकर से धीरे-धीरे चलते देखती तो उसे उनके बच्चों पर रोष आता।

एक दिन ठंड की धूप में राशि सोसायटी के पार्क में बैठी थी तभी देखी मिसेज़ जुनेजा भी उधर आकर बैठ गई ।यूँ ही बातों का सिलसिला निकला तो वो बताने लगीं… पहले हम लोग यमुना नगर में रहते थे… वहीं हमारा अच्छा खासा व्यापार चल रहा था फिर जब बच्चे बड़े हो कर बिज़नेस करने लगे तो उसे पंजाब में भी फैलाने लगे…फिर बेटे को यमुनानगर से पंजाब आने जाने में परेशानी होने लगी। पंजाब में हमने दो तीन जगह जमीन ले रखी थी और उसपर घर बना रखे थे… यमुनानगर वाला हमारा घर बहुत बड़ा था कभी किसी को परेशानी नहीं होती थी पर पंजाब में घर उस हिसाब से छोटे थे… बेटे ने कहा,“ मम्मी जी यहाँ से आना जाना करना मुश्किल हो रहा हम पंजाब ही शिफ़्ट कर जाते हैं…. ।”

“ पर बेटा वो घर तो बहुत छोटा है हम सब उसमें कैसे रह पाएँगे, फिर तुम्हारे बच्चे भी बड़े हो रहे हैं उन्हें भी अलग कमरे की ज़रूरत होगी ।” मैंने ( मिसेज़ जुनेजा) बच्चों से कहा था।

“ मम्मी आप चाहें तो हम दोनों भाई अपनी मर्ज़ी से अलग अलग घरों में रहने को तैयार हैं. वैसे भी मुझे याद है पापा जी ने वो घर बनवाते वक़्त यही कहा था कि बच्चों में पास रह कर मनमुटाव रहे उससे अच्छा है दूर रहकर हम पास पास रहें… आप दोनों का जहां दिल करें रहना,”बड़े बेटे ने कहा था।

“जानती हो राशि मैं तो पहले उधर ही बच्चों के साथ रहती थी। पाँच साल पहले जब ये सोसायटी बन रही थी तो मेरा बेटा अपने किसी दोस्त को मिलने आया था वो इस अपार्टमेंट का काम देखता था। उसके कहने पर मेरे बेटे ने एक फ़्लैट बुक कर दिया। जब ये अपार्टमेंट तैयार हो गया तो हम घूमने आए ….उसके बाद यहाँ का माहौल देख कर मैंने मिस्टर जुनेजा से यहाँ रहने को कहा। बच्चों ने बहुत मना किया पर हमें भी लगा बच्चों के साथ बहुत रहे अब कुछ दिन हम भी अकेले रहते हैं सबको एक स्पेस देना ज़रूरी होता है… ये जानने समझने को कि कौन हमारी फ़िक्र करता। विश्वास नहीं करोगी हर दिन मेरे बेटे बहू मिलने आते हैं। वो जब भी कुछ मेरी पसंद का बनाते मेरे लिए ले कर आते…. बड़ी बहू को मेरे हाथ की कढ़ी बहुत पसंद है जब मन करता कहती हैं मम्मी जी बना देना … मैं ख़ुशी ख़ुशी बनाती हूँ। छोटी बहू को पनीर पसंदा पसंद तो वो बना देती हूँ… बस ऐसे ही हँसी ख़ुशी हम रहते हैं…..।”

“आपको ऐसा नहीं लगता साथ होते तो ज़्यादा ख़ुशी मिलती, इस तरह आप दोनों अकेले रहते हैं। जुनेजा जी को तो अकेले छोड़ कर आप कहीं जा भी नहीं सकती?” राशि ने पूछा

“अरे बिल्कुल नहीं राशि…. अभी तो मैं चार दिन के लिए अपने मायके गई हुई थी। मेरा पोता अपना काम यहीं से कर रहा था। दोनों बेटे बीच बीच में आकर पापा का हाल लेते रहते…. बहुएँ भी आकर मिल जातीं। कभी एहसास ही नहीं होता हम दूर दूर हैं। सच कहूँ जब लोग बेटे बहू की बात करते उनकी तकलीफ़ देख एहसास होता हम दूर रहते पर उन सबसे ज़्यादा पास हम खुद को महसूस करते। एक बेटा एक साइड में रहता दूसरा दूसरी साइड में हम बीच रास्ते में. जब चाहें वो आते जब चाहें मैं चली जाती…. एक सुविधा यहाँ लिफ़्ट की भी है जिस वजह से यहाँ रहना हमने तय किया था। सच कहूँ तो हम बहुत खुशनसीब हैं…… कहने को लोग कहते हम दूर हैं पर मेरे घर का दरवाज़ा देखा होगा हमेशा खुला रहता …..बच्चे आते जाते रहते तो कैसे कहूँ हम दूर रहते।” मिसेज़ जुनेजा के चेहरे पर अपने परिवार की एकता और प्यार की मिसाल एक प्यारी सी मुस्कान में दिखाई दे रही थी ।

राशि बातें कर के घर आ गई। शाम को जब निकुंज आए तो उन्हें आज की सारी बातें बताते हुए बोली,“आप सही कह रहे थे…. मैं जो देख रही थी उसपर अपने विचार व्यक्त कर रही थी आज मिसेज़ जुनेजा से बातें कर एहसास हुआ अक्सर हम जो देखते वो ही सही नहीं होता उनके नज़रिए से देखने से सच का पता चलता। कितना अच्छा है ना उनका पूरा परिवार यहीं पास में रहता… हर दिन आता और हो हंगामे से उनका घर गुंजता रहता, परिवार हो तो सच में उनके जैसा हो।” राशि को आज मिसेज़ जुनेजा से बात कर एक बात अच्छी तरह समझ आ गई पास रहकर मनमुटाव करके रहने से बेहतर है दूर दूर रहो पर दिल से पास रहो।

रश्मि प्रकाश

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