अपने बच्चे को ध्रुव मत बनने दीजिये – संगीता अग्रवाल

आधी रात को नंदिता की नींद खुली तो उसे प्यास का अनुभव हुआ जैसे ही पानी पीने को उठी देखा जग तो खाली है एक बार तो मन किया यूँही सो जाये वापिस से पर प्यास जोर से लगी थी मजबूरी मे वो जग उठा रसोई की तरफ चल दी ।बेटे ध्रुव के कमरे के पास से गुजरते उसने देखा उसके कमरे की लाइट जल रही है सामने लगी घड़ी पर निगाह डाली रात के दो बज रहे थे हैरानी से वो कभी घड़ी कभी ध्रुव के कमरे की तरफ देख रही थी फिर पानी पीने का विचार अभी त्याग बेटे के कमरे  की तरफ चल दी।

 “ध्रुव क्या  कर रहे हो इतनी रात को!” बेटे को लैपटॉप पर लगे देख नंदिता बोली ।

” वो मम्मा बस थोड़ी देर को गेम खेल रहा हूँ !”ध्रुव बिना नंदिता को देखे बोला ।

” रात के दो बजे है ये कौन सा समय है गेम का !” नंदिता गुस्से मे बोली।

आधी रात को नंदिता की नींद खुली तो उसे प्यास का अनुभव हुआ जैसे ही पानी पीने को उठी देखा जग तो खाली है एक बार तो मन किया यूँही सो जाये वापिस से पर प्यास जोर से लगी थी मजबूरी मे वो जग उठा रसोई की तरफ चल दी ।बेटे ध्रुव के कमरे के पास से गुजरते उसने देखा उसके कमरे की लाइट जल रही है सामने लगी घड़ी पर निगाह डाली रात के दो बज रहे थे हैरानी से वो कभी घड़ी कभी ध्रुव के कमरे की तरफ देख रही थी फिर पानी पीने का विचार अभी त्याग बेटे के कमरे  की तरफ चल दी।

ध्रुव क्या  कर रहे हो इतनी रात को!” बेटे को लैपटॉप पर लगे देख नंदिता बोली ।

” वो मम्मा बस थोड़ी देर को गेम खेल रहा हूँ !”ध्रुव बिना नंदिता को देखे बोला ।




” रात के दो बजे है ये कौन सा समय है गेम का !” नंदिता गुस्से मे बोली।

” मम्मा मेरे गेम पार्टनर्स  कुछ इंडिया के है कुछ बाहर के भी सब रात को ही फ्री होते है थोड़ी बहुत चैटिंग होती है बहुत मजा आता है !” सोलह साल का ध्रुव बोला.

” पर बेटा रात के दो बज रहे है इस वक़्त चेटिंग ठीक नही चलो सो जाओ!”नंदिता ने कहा.

” मम्मा दिन मे हम सब पढाई मे लगे रहते तो रात को ही थोड़ा वक़्त मिलता है.. बस दस मिनट मे बंद करता हूँ.. आप जाके सो जाइये!” ध्रुव बोला.

नंदिता अपने कमरे मे आ गई.. उसे ध्रुव का इस वक़्त अंजान लोगों से बात करना अच्छा तो नही लग रहा था पर युवा होते बेटे पर ज्यादा बन्दिश भी ठीक नही होती ये सोच वो लेट गई पर उसकी आँखों से नींद गायब हो गई.

“सुनो ध्रुव को कल मैने अंजान लोगों से चैटिंग करते देखा वो भी रात के दो बजे!” सुबह नंदिता ने अपने पति मेहुल से कहा.

” क्यों बेवजह चिंता करती हो ऑनलाइन चैटिंग ही तो कर रहा है.. वैसे भी बेटा बड़ा हो रहा है ज्यादा टोकाटाकी मत किया करो तुम!” मेहुल ने कहा.नंदिता मेहुल की बात सुन चुप हो गई पर उसने महसूस किया था कुछ दिनो से ध्रुव सबसे कटने लगा है स्कूल से आते ही और कमरे मे घुस जाता… अपनी बहन दिव्या से भी कम बात करता अब.

” ध्रुव ये सब क्या है हर वक़्त कंप्यूटर के आगे बैठे रहते.. ना अब क्रिकेट खेलते हो ना टी वी देखते हो!” एक दिन नंदिता ने ध्रुव से कहा.

” मम्मा नेक्स्ट ईयर मेरा टवेल्थ का बोर्ड है तो अभी से उसकी तैयारी कर रहा हूँ !” ध्रुव नज़र चुराते हुए बोला.




” पर तुम तो ऑनलाइन गेम चैटिंग मे वक़्त बिताते हो अब..उससे तुम्हारी पढ़ाई पर असर नही पड़ेगा क्या  !नंदिता बोली.

” मम्मा सारा दिन पढ़ने बाद थोड़ा गेम खेल लेता और चैटिंग कर भी लेता तो क्या गलत है… आपको तो मुझमे कमियां ही नज़र आती बस!” ध्रुव गुस्से मे बोला.

” सही तो कह रहा है ध्रुव.. तुम भी ना तुम्हे बच्चों का दोस्त बनना ही नही आता  .. !” तभी मेहुल वहाँ आ बोला.।

नंदिता ने बात बढाना उचित ना समझा और कमरे से बाहर आ गई.. !

धीरे धीरे समय गुजरने लगा ध्रुव ने अब तो सबसे बात करना बंद सा कर दिया . दिव्या को  बात- बात पर झिड़क देता.. नंदिता की बातों का भी उल्टा सीधा जवाब देता. नंदिता मेहुल से कुछ कहती तो वो बेटे का पक्ष लेता जिससे ध्रुव को और शय मिलती।

” नंदिता …नंदिता.. तुमने मेरी जेब से पैसे लिए!” एक दिन ऑफिस से आ मेहुल बोला.

” नही तो मैं ऐसे बिना पूछे कभी लेती क्या पैसे जो आज लूंगी!”नंदिता ने कहा। 

” तो पैसे गए कहा मुझे अच्छे से याद है रात तक जेब मे थे..!” मेहुल कुछ सोचते हुए बोला.

” कहीं ध्रुव् ने तो नही लिए आप उससे पूछिये!” नंदिता कुछ सोचते हुए बोली.

” ध्रुव… बेटा ध्रुव ..!” मेहुल ने थोड़ी आनकानी बाद ध्रुव को आवाज़ लगाई.

” जी पापा!” मेहुल कमरे से आ बोला.

” तुमने मेरी जेब से पैसे लिए क्या!”

” हाँ पापा मुझे बुक लेनी थी आप सो रहे थे तो मैंने जेब से ले लिए दो हजार ले लिए..!”  ध्रुव लापरवाही से बोला.

“पर तुम्हे पापा को या मुझे बताना था ना!”  नंदिता गुस्से मे बोली.

” अरे कोई बात नही जल्दबाज़ी मे भूल गया होगा वो तुम शांत रहो। ”  मेहुल नंदिता को चुप कराते हुए  बोला.




” पर मेहुल ये गलत है… आज उसने तुम्हारी जेब से कुछ पैसे लिए कल को कुछ और भी करेगा तुम्हे पूछना चाहिए था कौन सी बुक लेनी.. !” ध्रुव के कमरे मे जाने बाद नंदिता ने मेहुल से कहा.

“नंदिता उसे जरूरत थी उसने ले लिए इसमे इतना क्या सोचना हमारा बेटा हमसे नही लेगा पैसे तो किससे लेगा.” मेहुल बात खत्म करते हुए बोला.

नंदिता को ये सब सही नही लग रहा था पर वो क्या कर सकती थी उसे समझ नही आ रहा था…. मेहुल उसकी बात समझने को तैयार नही थे और बेटा ध्रुव हाथ से निकला जा रहा था और मेहुल उसको शह दे रहा था 

उसके बाद ध्रुव ने कई बार पैसे निकाले पर हर बार मेहुल ने उसका बचाव किया.

” सुनो मेहुल…ध्रुव अभी तक स्कूल से घर नही आया.. मैने उसके सभी दोस्तों को फोन किया पर किसी को कुछ पता नही! एक दिन नंदिता ने घबराते हुए पति को फोन किया.

“नंदिता घबराओ मत… मै बस घर पहुँचने ही वाला हूँ… यही कहीं होगा वो आ जायेगा!” मेहुल ने कहा.

मेहुल ने घर आके उसके स्कूल टीचर को फोन किया उसकी बस के ड्राइवर को भी फोन किया पर किसी को नही पता वो स्कूल के बाद कहाँ गया. रात हो चुकी थी पर ध्रुव का कुछ पता नही।

” मेहुल कहाँ होगा हमारा बेटा.. किस हाल मे होगा..?” नंदिता रोती हुई बोली.

” पापा भाई कब आयेंगे..!” दिव्या भी रोते हुए बोली.

” बेटा जल्दी आयेगा तुम रूम मे जाओ अपने!” ध्रुव ने उसके सिर पर हाथ फैरते हुए कहा. और खुद अपने कमरे मे जा अलमारी टटोलने लगा.

“नंदिता इधर आओ जल्दी… !” घबरा कर उसने नंदिता को आवाज़ दी.

” क्या हुआ मेहुल ध्रुव का कुछ पता लगा है क्या !नंदिता भागती हुई आई.

” नही पर मेरी अलमारी मे से क्लाइंट को देने के दो लाख रुपए गायब हैं!” मेहुल  बोला.

” क्या……!” नंदिता धम से वहीं बैठ गई.

” तुम खुद को संभालो नंदिता मैं पुलिस स्टेशन जाता हूँ!” मेहुल बोला.

मेहुल ध्रुव की फोटो ले पुलिस स्टेशन गया.. इंस्पेक्टर को सब बात बताई.

” क्या पिछले कुछ दिनों से आप कोई बदलाव देख रहे थे अपने बेटे मे!” इंस्पेक्टर ने पूछा.

” जी वैसे तो कुछ नही बस कुछ दिनों से वो ऑन लाइन गेम ज्यादा खेलने लगा था और तभी कुछ लोगों से चेटिंग भी होती थी उसकी!” ध्रुव ने कहा.

” ओह्ह्ह… मुझे लगता है ये किसी गिरोह का काम है जो ऐसे गेम खेलने वाले बच्चों का ब्रेन वाश कर उन्हे बेवकूफ बनाते उनसे घर मे चोरी करवाते.. कई बार तो बड़े बड़े क्राइम भी करवाते!” इंस्पेक्टर ने कहा.

” सर मुझे मेरा बेटा ढूंढ कर दे दो आप प्लीज़..!” मेहुल रोने लगा.

” देखिये हम पूरी कोशिश करेगे ऐसे केस मे कई बार बच्चे खुद भी वापिस आ जाते.. आप चिंता मत कीजिये मै अभी इस काम पर अपने आदमी लगाता हूँ आप घर जाइये जैसे ही कुछ पता लगता है मैं आपको फोन करता हूँ!” इंस्पेक्टर बोला.

” मेरा बेटा कहाँ है आप उसे लाये नही!” घर पहुँचते ही नंदिता ने मेहुल से पूछा रो रो कर उसका बुरा हाल था।

” मुझे माफ कर दो नंदिता मैने तब तुम्हारी बात नही मानी काश मैं तभी तुम्हारी बात सुन लेता तो ये सब ना होता!” मेहुल भी फूट फूट कर रो दिया.

ध्रुव को गए दो महीने बीत गए अभी तक उसका कोई पता नही चला… पुलिस पूरी कोशिश कर रही पर नतीजा अभी ज़ीरो ही है..उसका फोन भी लगातार बंद ही आ रहा है. नंदिता ध्रुव के गम मे जिंदा लाश बन गई है… दिव्या जैसे हंसना भूल गई है.. और मेहुल उसकी तो मानो दुनिया उजड़ गई…

काश उस वक़्त नंदिता ने थोड़ी सख्ती दिखाई होती…

काश उस वक़्त मेहुल ने नंदिता की बात सुनी होती..

तो शायद आज एक माँ- बाप का बेटा और एक बहन का भाई साथ होता..

दोस्तों मोबाइल और कंप्यूटर आज भले बहुत बड़ी जरूरत बन गए है.. पर हमे ये देखना होगा हमारे बच्चे उनका इस्तेमाल किस लिए कर रहे.. ये ऑनलाइन गेम बच्चों का ब्रेनवाश कर देते और इन्हे चलाने वाले उन्हे अपने इशारों पर नचाते.. वक़्त बीत जाए और आपके पास पछताने के सिवा कुछ ना बचे उससे पहले अपने बच्चों को बचा लीजिये. उनपर नज़र रखिये उनके दोस्त बन उनसे बात कीजिये उनकी गतिविधियों पर नज़र रखिये …अपने बच्चे को ध्रुव मत बनने दीजिये।

सत्य घटना पर आधारित स्वरचित रचना

आपकी दोस्त

संगीता

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