Moral stories in hindi : जल्दी छिपा इन्हें… वह शायद आ रही है.. मंजू जी ने अपनी बेटी आराधना से कहा…
मां के कहने पर आराधना कुछ गहने, जो उसकी शादी के लिए थी वह जल्दी-जल्दी छुपाने लगी… तभी वहां ममता आ जाती है और कहती है… यह लीजिए मम्मी जी… आपकी चाय और यह रही तुम्हारी कॉफी आराधना…
हां हां… इसे यहीं रख दे और अब जा यहां से.. मंजू जी ने कहा…
ममता अभी कमरे से निकली ही थी कि, आराधना कहती है… अच्छा हुआ मम्मी जो, आपने इनकी आहट सुन ली, वरना अभी इन गहनों को नजर लगा देती…
उसकी शादी पर कम गहने दिए हैं क्या..? फिर भी लालच..? आखिर आई किस घर से है वह भी तो देखना पड़ेगा… कभी जिंदगी में इतने गहने देखे हैं..? मंजू जी ने कहा…
ममता को यह सब सुनकर बहुत बुरा लगा… कितने अरमान लेकर वह अपने ससुराल आई थी कि, यहां मुझे एक नया परिवार, नए रिश्ता मिलेंगे… पर जब से वह आई थी, उसे बस ऐसा ही जताया गया कि वह बाहर की है… पति नवीन वैसे तो बड़ा सीधा साधा था… पर उसका रवैया भी ममता को कभी-कभी समझ नहीं आता था… वह अपनी मां और बहन की बातों को ज्यादा अहमियत देता था और ममता की बातों को ऐसी अनसुनी कर देता, मानो उसका इस घर में कोई वजूद ही नहीं..
खैर इन सब को नजरअंदाज कर,.ममता अपना फर्ज पूरे मन से निभा रही थी… उसका मानना था प्यार से सबको वह एक दिन जरूर जीत लेगी… कुछ ही दिनों बाद, उसकी ननद अराधना की शादी थी और घर में उसी की तैयारियां चल रही थी…
1 दिन मंजू जी आराधना के कमरे में बैठी शादी की खरीदारी देख रही थी कि, तभी दरवाजे पर कोई पार्सल आता है… वह पार्सल अराधना का था… इसके लिए ममता आराधना को बुलाने उसके कमरे में जाती है, तो वह सुनती है… आराधना कह रही होती है… मां मैंने एक और लहंगा मंगाया है… थोड़ा हल्का सा है… सोच रही हूं वह अपने मेहंदी पर पहन लूं…
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मंजू जी: हां ठीक है बेटा.. पहन लेना…
आराधना: मां… भाभी के लिए तो हमनें कोई खरीदारी तो की ही नहीं..
मंजू जी: अरे उसके लिए नए सामानों की क्या जरूरत..? मेरे पास ऐसी बहुत सी साड़ियां है, जो मैंने एक या दो बार ही पहनी होगी… उसी में से एक उसे पकड़ा दूंगी पॉलिश करवाकर.. उसे कहां पता चलने वाला है…? फालतू में उसके पीछे पैसे क्यों खर्च करना..?
ममता पहले से जानती थी कि, इस घर के लोग उसके लिए कैसी भावना रखते हैं..? पर ना जाने क्यों अपनी सास और ननद की यह बातें उसे अंदर तक चीर गई… वह चाह कर भी यह बातें भुला नहीं पा रही थी… और उसने सोचा जितना मैं सहूंगी उतना ही यह लोग मुझे हल्के में लेते रहेंगे… वह दुनिया और थी जहां प्यार से सब कुछ जीता जा सकता था… पर आज की हकीकत यह है कि, अगर आप किसी के आगे अपनी गर्दन झुकाओ तो, वह आपका गर्दन काट देगा और यही सोचते हुए ममता ने कुछ तय किया…
शादी की सुबह, ममता अपना बैग समेटे अपने सास के कमरे में जाती है..
मंजू जी: यह क्या है ममता..? किसका बैग है यह..? अब यह मत कहना, के तुम्हारे मायके वाले इसी शहर में रहने के बावजूद बोरिया बिस्तर लेकर शादी पर यहां रहने आ गए हैं…
ममता: नहीं मम्मी जी..! यह मेरे परिवार का बैग नहीं है, यह मेरा बैग है… वह क्या है ना.? आज मेरे भाई का जन्मदिन है, तो वहां आज एक पार्टी है… मैं वही जा रही हूं कल आ जाऊंगी…
मंजू जी: तू पागल हो तो नहीं हो गई है..? आज रात को तेरी ननद की शादी है… उसे छोड़ तुझे अपने भाई के जन्मदिन पर जाना है.?
ममता: हां मम्मी जी… जिस परिवार का में हिस्सा ही नहीं, उस परिवार की शादी में मेरे रहने और ना रहने से किसी को क्या फर्क पड़ता है…. उससे अच्छा जहां मेरी कद्र है, मैं वही जाकर उनकी और अपनी खुशियां मनाऊं…
मंजू जी तुरंत ही नवीन और आराधना को वहां बुला कर ले आती है… उनके आने के बाद… मंजू जी नवीन से कहती है… देख बेटा यह क्या कह रही है..? आज रात को आराधना की शादी है और इसे अपने भाई के जन्मदिन पर जाना है…
नवीन: क्या..? यह क्या कह रही हो तुम ममता..?
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आराधना: भाभी… यह सब आप जानबूझकर कर रही है ना..? ताकि हम सब आपको रोके, मनाए और आप फिर कोई डिमांड रखें अपने रुकने का… यह अच्छा आईडिया लगाया है कोई बड़ी मांग रखने का…
मंजू जी: सारी भाभियां, अपने देवर, ननद की शादी में कैसे भाग भाग कर काम करती है और एक यह भाभी है… कैसे मेहमानों जैसा बर्ताव कर रही है…. देख आराधना.., तेरे भी अरमान थे ना कि तेरी भाभी तैयार होने में तेरी मदद करेगी… पर यहां तो तेरी भाभी को बस अपने भाई की पड़ी है…
मंजू जी के ऐसा कहते ही आराधना उनकी और आश्चर्य भरी नजरों से देखने लगती है… तभी मंजू जी उसे इशारा कर देती है जिसे समझ आराधना खामोश हो जाती है और वह इशारा ममता भी देख लेती है….
ममता: मममी जी.. आप ने सच कहा अरमान तो आराधना के रहे होंगे, पर यह नहीं जो आपने कहा… उसके अरमान होंगे कि उसकी भाभी उसकी शादी में सारे काम करेंगी… सिर्फ उसके तैयार करने को छोड़कर क्योंकि उसके लिए तो उसने महंगा मेकअप आर्टिस्ट बुक कराया है..
और अभी आप की बातों से तो यह भी चौक गई, क्योंकि ऐसा कोई अरमान इसका था ही नहीं.. यहां तो अरमान मेरे थे, जिसे हर कदम पर कुचला गया… मुझसे गहने छुपाए गए, जैसे मैं कोई चोर हूं… मुझे पहनी साड़ी दी गई, जैसे मैं कोई नौकरानी हूं… मुझे कभी भी शादी की तैयारियों में शामिल नहीं किया, गया जैसे मैं कोई गैर हूं…
तो जब मैं चोर नौकर और गैर हूं… फिर मेरा इस शादी में क्या काम..? शादी के पहले मेरे अरमान थे कि मुझे एक नया परिवार, नए रिश्ते मिलेंगे… पर यहां आकर जाना कि मैं तो बस इस घर की नौकरानी हूं… किसी को मेरी जरूरत सिर्फ काम के वक्त ही पड़ती है….
पति को नाश्ते के लिए जरूरत पड़ती, मम्मी जी को घर के कामों के लिए और आराधना को अपनी फरमाइश पूरी करने के लिए… इन सबमें किसी को मेरे अरमान और भावनाओं की कोई कद्र ही नहीं… कभी किसी ने मेरे पास बैठकर मेरे बारे में जानने की कोशिश की… कभी-कभी तो लगता है कि मैं बस इस घर में एक मशीन का किरदार निभाने के लिए ब्याह कर लाई गई हूं…
ममता की बातें सुनकर वहां सब खामोश थे, क्योंकि ममता की कही हुई एक एक बात सच थी… और फिर मंजू जी कहती है.. माफ कर दो हमें ममता..! सच में हम कितने स्वार्थी हो गए थे..? बस अपने अरमान ही हमें याद रहे… जबकि एक लड़की अपना पूरा बचपन, परिवार यहां तक कि अपनी पदवी भी छोड़ कर अपने ससुराल आती है…
सिर्फ एक अरमान लिए कि, उसे एक नया परिवार बसाना है… हम हमेशा यह शिकायत करते हैं कि बहू कभी अपनी नहीं हो सकती… पर जब हम उसके अरमानों को कुचल देंगे, वह अपनी कैसे बनेगी..? आज मेरी बेटी की शादी है.. कल को अगर इसके साथ भी ऐसा हुआ, तो मुझे कितना बुरा लगेगा…
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आराधना: हां भाभी.. माफ कर दो मुझे भी… मैंने भी आपको बड़ा तंग किया… पर अब आपसे वादा है मेरा… मेरी शादी में मेरी भाभी ही मुझे शगुन के जेवर और जोड़ा पहनाएगी… मेकअप का तो नहीं कहूंगी, क्योंकि वह तो मुझे मेकअप आर्टिस्ट से ही करवानी है… आखिर शादी के फोटो एक ही बार खिंचवाने है.. वह तो बेस्ट होने चाहिए ना..?
आराधना की इस बात पर सभी हंसने लगते हैं… फिर नवीन ममता को कहता है… मुझे भी माफ कर दो ममता… वह क्या है ना यह सब कभी मैंने ध्यान ही नहीं दिया… पर आगे से पूरा ध्यान रखूंगा.. तुम्हारे बगैर यह घर बिल्कुल ही बिखर जाएगा, तो इस घर का, यहां के लोगों का कितना ध्यान रखती हो… और आज तुमने यह हमें बताया ना होता, हम तो बस ऐसे ही बने रहते… आज एक और बात मैं तुम्हें सबके सामने कहना चाहता हूं.. तुम्हें पत्नी के रूप में पाकर बड़ा गर्व होता है… पर इज़हार करने में कतराता था… पर अब मैं खुलेआम अपनी भावनाएं कहूंगा और आज मेरी पत्नी भी मेकअप आर्टिस्ट के हाथों तैयार होगी…
गंभीर माहौल अभी शादी और खुशहाली के माहौल में बदल चुका था…
धन्यवाद
#अरमान
मौलिक/स्वरचित/अप्रकाशित
रोनिता कुंडू
VV M