क्या प्रीति बड़ी खुश नजर आ रही हो,कोई खास बात-अपनी सहायिका को खूब चहकता देख मैं उसकी खुशी का कारण पुछने से खुद को रोक ना पाई।बदले में मुस्का कर वो बोली –क्या बताऊँ दीदी कल करवाचौथ था ना,और
पहली बार ऐसा हुआ की राकेश पी कर नहीं आया,बल्कि नहाधो कर साफ कपड़े पहन कर मेरे और बच्चों के लिए मिठाई भी ले कर आया ऐसा दस सालों में पहली बार हुआ दीदी –कहते कहते उसकी आवाज भर्रा गई
पर प्रीति उसका ये रूप एक रील का ही होगा ,देखना आज फिर वही दारू मार कुटाई॥मैं समझ नहीं पाती क्यूँ बर्दाश्त करती हो ये सब, खुद कमाती खाती हो ,अपने दम पर अपनी ,बच्चों की और उसकी भी जिंदगी चला रही हो ,फिर भी उसकी धौंस सहती हो ,छोड़ दो उसको फिर अक्ल ठिकाने आएगी उसकी …मैंने भन्नाते हुए कहा
बदले में वो जैसे कुछ याद करते हुए मुस्कुराइ और फिर से बोल पड़ी …छोड़ तो वो सकता था मुझे दीदी…जब उसका भाई मेरा पति रोड एक्सिडेंट में चल बसा था ॥दो बेटियो वाली की ना ससुराल मे जगह थी ना मैके में …दूर तक मुझे अपने और अपनी बच्चियो के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, उस वक़्त इसी राकेश ने अपनी आठ दिन बाद होने वाली शादी को कैन्सेल कर पूरे समाज के आगे अपने माँ बाप की इच्छा के खिलाफ जाकर मेरे ऊपर चुन्नी डाली थी …वो दिन भूल जाऊ तो जिंदगी ही बेमानी हो जाए …आज उसी की वजह से तो जिंदा हूँ ॥अपने बारे में सोच पा रही हूँ ॥उसके इस एहसान के बदले तो मैं उसके सौ खून माफ कर सकती हूँ दीदी॥
तब से उधेड़बुन में हूँ ….राकेश ने शादी करके एहसान किया,,प्रीति उसे मनमानी करने की आजादी देकर एहसान कर रही है …प्रीति सही है …….या उसका पति…या उनके एहसान एक दूसरे के लिए ???? ….
#कभी_खुशी_कभी_ग़म
मीनू झा