अपना घर अपना घर होता है – वीणा सिंह   : Moral Stories in Hindi

 कंपनी राहुल को छः महीने के लिए विदेश भेज रही थी.…रति और तीन महीने की बेटी रूही को छोड़कर कर जाने का दिल नहीं कर रहा था राहुल। का…. रति की सास नही चाहती थी की रति और उनकी प्यारी पोती उनसे दूर जाए…छोटा भाई नीरज भी रूही को गोद में खूब घुमाता था रति बोलती भी इसे घूमने की आदत पड़ जाएगी..

राहुल रति को समझाया देखो मां और नीरज के रहते तुम मायके जाने की जिद्द कर रही हो उन्हे बुरा लगेगा…मां की जान बसती है रूही में..रति ने कहा मैं मायके से जल्दी हीं वापस आ जाऊंगी.. मां भाभी भैया से मिले बहुत दिन हो गया… कान्हा के छठिहार में भी नही जा पाई थी रूही होने वाली थी उसे देखा भी नहीं है…

कान्हा के लिए सोने काचेन कपड़ा खिलौने भतीजी के लिए उपहार भाभी और मैं के लिए कपड़े फल मिठाई लेकर अति उत्साह से रति मायके पहुंची… सासु मां के आसूं और देवर का उदास चेहरा उसे नही दिखा… राहुल बीच का रास्ता निकाला… रति कुछ दिन मायके रहकर वापस आ जायेगी फिर मम्मी पोती के साथ रहेंगी…

रूही दो महीने की हुई थी तभी छोटी बहन रूबी के पास मम्मी को मजबूरी में जाना पड़ा था क्योंकि उसकी सास चलने फिरने में लाचार थी… जाते जाते बहु और पोती को तेल लगाने वाली खाना बनाने से बर्तन कपड़ा पोंछा झाड़ू करने वाली की व्यवस्था कर के गई थी…

ड्रायफ्रूट्स में हल्दी जीरा और न जाने क्या क्या डाल कर मसाला बनाया था.. जबरदस्ती रति को एक ग्लास दूध के साथ खिलाती थी… जाते जाते राहुल को सख्त हिदायत दे कर गई थी… बहु और पोती का ख्याल रखने के लिए..

             रति और रूही को राहुल मायके छोड़ आया.. रति मन हीं मन छः महीने रहने की बात सोच कर आई थी…

                  बड़ी भाभी को भी छः महीने पहले दूसरा बच्चा हुआ था… एक बेटी थी इस बार बेटा हुआ था… मां भाभी का कुछ ज्यादा हीं ख्याल रख रही थी… सुबह उठकर अपनी पोती मिनी का लंच बनाती तैयार करती फिर बस स्टॉप पर छोड़ने जाती.. वहां से आती तो मुझे आवाज लगाती रति चाय तो पिला…

मैं रूही को मां को देती तब तक कान्हा भी उठ जाता.. मां कान्हा की मालिश करती.. फिर भाभी को दूध पिलाने के लिए पकड़ा किचेन में चली जाती… भाभी को गरम दूध सूखे मेवे मल्टी ग्रेन बिस्किट देती.. खा लो बहु नाश्ता बनने में समय लगेगा… मैं खुद रूही की मालिश करती नहलाती….

मैने एक दिन मुंह खोलकर कहा मां रूही की मालिश भी कर दिया करो.. मां बोली बेटा तेरे जिम्मे तो कोई काम नहीं है रूही को संभालने के सिवा… बहु अभी कमजोर है ऑपरेशन से कान्हा का जनम हुआ है इसलिए अभी पूरा काम मैं नहीं करने देती…. तुम भी दूध लेकर पी लिया करो… मैं कितना करूंगी…. रात में मां रोज घुटने में मुझसे मूव या दर्द की दवा लगवाती…

एक दिन मीनू के स्कूल जाने के समय कान्हा उठ कर रोने लगा… भाभी ने कहा मां मालिश कर दीजिए लगता है इसी के लिए रो रहा है… मां बोली रति तुम मीनू को बस स्टॉप छोड़ दो रूही अभी सो रही है… मैं छोड़कर वापस आई तो रूही बेतहासा रो रही थी… मां कान्हा को लिए दूर से हीं चुप हो जा चुप हो जा कर रही थी….

मैने रूही को गोद में उठाया सीने से लगाया… मां रूही इतना रो रही थी और तुम…कान्हा को लेटा देती रूही को गोद में उठा लेती तो क्या हो जाता… मां बोली कान्हा उसको रोता देख डर गया था लेटाती तो रोने लगता… तेरी भाभी बाथरूम में थी.. धीरे धीरे मुझे अहसास हो रहा था मैं यहां आकर बहुत बड़ी गलती कर दी हूं…

मेरी आंखें खुल गई थी… एक सप्ताह हीं हुआ था रूही को लेकर आए मुझे अहसास हो रहा था मैं और मेरी बच्ची इस घर में उपेक्षित हैं… मां भी हरदम कान्हा कान्हा करते रहती…भाभी को भी बेटा पैदा करने का गरूर  उनके व्यवहार में साफ झलक रहा था… बात बात में उन्होंने एक दिन कहा बेटा जात को नजर बड़ी जल्दी लग जाती है..

बेटी को नजर कहां लगती है इसलिए रोज रात में कान्हा की नजर मां जी उतारती हैं राई अजवाइन लाल मिर्च से… आपके भाई के बाद कान्हा हीं लड़का पैदा हुआ है जेठ जी को दो बेटी हीं है बुरा मत मानिएगाऔर आपको भी….. जवाब तो था मेरे पास पर चुप रह गई….

              भैया भी आते ऑफिस से तो कान्हा कान्हा करते भाभी के कमरे में घुस जाते… कभी बहन और भांजी के साथ बैठने के लिए उनके पास वक्त नहीं था…

और दसवें दिन मैने अपनी सासू मां को फोन किया नीरज को (छोटे देवर) भेज दीजिए मैं वापस अपने घर आना चाहती हूं….. आपकी पोती को आपकी जरूरत है… सासु मां की खुशी उनके आवाज में झलक रही थी… 

      और मैं वापस आ गई अपने घर अपने लोगों के पास… #अपना घर तो वाकई अपना घर होता है #कन्यादान और विदाई के बाद हीं मायका पराया हो जाता है ऐसा लोग कहते हैं… बहुत हद तक ये सच भी है….

 

Veena singh

#अपना घर अपना घर  होता है 

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