अपमान का घूँट – के कामेश्वरी

सौम्या जैसे ही कॉलेज से घर पहुँची तो देखा माता-पिता दोनों खुश नज़र आ रहे थे ।

उसने कहा — क्या बात है आप दोनों बहुत खुश नज़र आ रहे हो दीदी का फ़ोन आया था क्या ?

माँ ने कहा— अरे! नहीं सौम्या तुम्हें तो मालूम है न रम्या सिर्फ़ शनिवार और रविवार को ही फ़ोन करती है ।

फिर आप दोनों की ख़ुशी का क्या कारण हो सकता है । ठीक है आप दोनों यहीं बैठो मैं फ़्रेश हो कर आती हूँ कहते हुए अपने कमरे की तरफ़ जाती है ।

गिरिधर और कौशल्या दोनों की दो बेटियाँ थी एक रम्या दूसरी सौम्या । रम्या ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और उसकी शादी एक साल पहले ही एक अमेरिका में आ ई टी कंपनी में नौकरी करने वाले पारितोष से करा दी थी । अब बची थी सौम्या जो एम बी ए की आख़िरी सेमेस्टर की परीक्षा लिखने वाली है ।

यह दोनों उसकी भी जल्द से जल्द करके अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्त हो जाना चाहते थे ।

रम्या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भी माता-पिता की बात मानकर पढ़ाई पूरी करते ही शादी कर ली एक बार भी आजकल के बच्चों के समान जिद नहीं की थी कि वह नौकरी करेगी । सौम्या ऐसी नहीं थी उसमें आत्मसम्मान कूटकर भरा था उसकी सोच यह थी कि पढ़ाई ख़त्म करने के बाद एक दो साल नौकरी करके फिर शादी करना चाहिए हमें किसी के सामने हाथ फैलाने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए ।

हम सब जानते हैं कि माता-पिता की सोच से बच्चों की सोच नहीं मिलती है ।

सौम्या जैसे ही कमरे से बाहर आई थी कि माँ ने सबके लिए चाय बनाकर ले आई । बातों बातों में माँ ने कहा कि आज सोनी मौसी आई थी और उन्होंने तुम्हारे लिए बहुत ही अच्छा रिश्ता बताया है । रम्या वहाँ से उठकर जाने लगी।

माँ ने कहा कि— सौम्या एक बार सुन तो ले रिश्ते के बारे में ।



सौम्या ने कहा कि माँ जब आपको मालूम है कि मैं दो साल नौकरी करने के बाद ही शादी करूँगी फिर भी आप सबकी बातों को सुनती हैं और ज़बरदस्ती मुझे सुनाने की कोशिश करती हैं ।पापा आप भी माँ को समझाते क्यों नहीं हैं । जब मुझे शादी करनी होगी तब मैं खुद आप दोनों को बताऊँगी और आपके बताए हुए लड़के से ही शादी करूँगी यह मेरा वादा है ।

उठकर अपने कमरे में जाने लगी तब पहली बार पापा ने कहा कि बेटा मैंने उन्हें सब कुछ समझा दिया है।  तुम्हारी परीक्षाओं के बाद ही शादी करेंगे । वह भी अगर तुम दोनों एक-दूसरे को पसंद करोगे तो ही ।शादी के बाद वे तुम्हें नौकरी करने से रोकेंगे भी नहीं । इसलिए फिक्र मत करो परिवार बहुत अच्छा है । एकबार हम देख लेते हैं अच्छा है तो आगे बढ़ेंगे नहीं तो जब तुम कहोगी तभी तुम्हारी शादी करेंगे यह मेरा तुमसे वादा है ।

माता-पिता का मान रखने के लिए वह उन लोगों से मिलने के लिए तैयार हो गई थी ।

पापा ने कहा कि मैं उनसे बात कर लेता हूँ और उनके आने का समय निश्चित कर दूँगा । वैसे ही दस पंद्रह दिन हो गए सौम्या अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई । उस जैसे ही वह घर पहुँची पापा ने कहा कि सौम्या कल शाम को उन्हें बुलाया तो चलेगा न?

सौम्या ने कहा कि— ठीक है पापा परंतु मम्मी आपको पहले से ही बता दे रही हूँ कि अगर मुझे लड़का पसंद नहीं आया तो आप फ़ोर्स नहीं करना माँ ने हँसते हुए कहा कि नहीं रे तू रम्या थोड़ी न है कि मेरी बात मान ले ।

विजय अपने माता-पिता और चाचा चाची के साथ सौम्या के घर आया । देखने में अच्छा ही लग रहा था । सौम्या और विजय को अलग जाकर बातें करने के लिए कहा तो दोनों वहाँ से बाहर कॉफी हाउस में बैठकर बातें की दोनों को दोनों की बातें अच्छी लगी ।

जब दोनों वापस आए तो उन्होंने अपनी तरफ़ से हाँ कह दिया परंतु सौम्या ने कहा कि शादी मेरी परीक्षा ख़त्म होने के बाद ही होगी । सब उसकी बात मान गए । जब रम्या को सौम्या की शादी फ़िक्स होने की बात बताई तो वह बहुत खुश हो गई थी क्योंकि उसे इंडिया आने को मिलेगा ।

रम्या अपने पति विजय को भी सौम्या की शादी फ़िक्स होने की बात बताई ख़ुशी की बात यह थी कि उन्हें विजय के परिवार के बारे में मालूम था उनसे जब पूछा गया था तो उन्होंने कहा कि वे बहुत ही अच्छे लोग हैं फिर क्या अब सब निश्चिंत हो गए ।


सौम्या की परीक्षा ख़त्म होते ही शादी का मुहूर्त निकाल दिया गया और सही समय पर दोनों की शादी धूमधाम से हो गई । रम्या भी अमेरिका से आई थी। गिरिधर जी के घर में बहुत सारी ख़ुशियाँ थी । सबने मिलकर सौम्या को ससुराल विदा किया था । रम्या भी वापस अमेरिका चली गई थी ।

अब घर में सिर्फ़ गिरिधर जी और कौशल्या ही रह गए थे । सौम्या पति के साथ हनीमून पर गई थी । वहाँ से आते ही उसने माता-पिता को फ़ोन किया । वह बहुत चहक रही थी इसका मतलब वह खुश थी ।

उसके बाद एक महीना सौम्या के पास से न फ़ोन आया और न ही वह खुद आई थी । ऐसा लग रहा था कि वह अपने ससुराल में रम गई है ।

सौम्या अपने घर में अपने आपको ढाल रही थी । विजय के साथ उसका जीवन भी ख़ुशियों से भरा हुआ था । एक दिन रात को विजय देर से घर आया और दोस्तों का वास्ता देने लगा कि उन्होंने बातों में ऐसा फँसा दिया कि समय का पता ही नहीं चला था । अब हर दिन वह वक़्त बेवक्त आने लगा था ।

एक दिन सौम्या ने धीरे से ही उससे पूछा कि आख़िर बात क्या है आजकल आपके दोस्त आपको बहुत रोक लेते हैं । इतनी सी बात पर वह ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा कि अब मुझे तुमसे पूछकर बाहर अपने दोस्तों के साथ मिलने जाना पड़ेगा क्या मैंने माँ से पहले ही कहा था कि मुझे शादी नहीं करनी है

मेरी आज़ादी चली जाएगी परंतु उन्होंने मेरी एक बात नहीं सुनी । विजय के ज़ोर से बोलने की आवाज़ सुनकर सास दौड़ते हुए आकर कमरे में घुस गई और वह भी चिल्लाने लगी कि मैंने तुम्हारी सब बातें सुन लिया है बेटा मुझ पर छोड़ दे मैं इसे ठीक कर देती हूँ यह अपने आप को समझती क्या है पढ़ी लिखी है तो अपनी जगह मैं कोई कम नहीं हूँ ।

रम्या अपने आपको अपमानित महसूस कर रही थी उसे याद नहीं है कि इतना अपमान किसी ने उसका किया हो । उसके आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे । उसी दिन उसने ठान लिया था कि अब मैं विजय के मामले में कुछ नहीं बोलूँगी क्योंकि वह अपने माँ के लाड प्यार से बिगड़ गया है ।


सौम्या उदास रहने लगी थी । एक दिन उसकी सहेली दीप्ति ने फ़ोन किया और कहा बहुत दिन हो गए हैं तुम से मिलकर अभी आजा मिलकर कॉफी पिएँगे । सास पड़ोस में रहने वाली अपनी बहन के घर गई थी शाम तक आने की बात कहकर गई थी

इसलिए सौम्या फट से तैयार होकर दीप्ति से मिलने गई । दोनों एक कॉफी हाउस में कॉफी पीने के लिए गए बहुत दिनों बाद मिले थे इसलिए बहुत सारी बातें करने लगे तभी दीप्ति की नज़र विजय पर पड़ी जो किसी लड़की के साथ आया था दीप्ति ने कहा सौम्या विजय !!

सौम्या ने भी देखा और उसे देख कर विजय घबरा गया और सौम्या से कहा यह मेरे साथ ऑफिस में काम करती है कॉफी पीने आए थे और बिना कॉफी पिए ही उसे लेकर चला गया ।

सौम्या भी घर आ गई थी । विजय आज जल्दी घर आ गया था । उसी समय उसकी माँ भी आ गई दोनों ने मिलकर सौम्या को आड़े हाथों लिया। इस बार सौम्या ने उनकी बातों को दिल पर ले लिया और अपना सामान बाँध कर मायके चली गई विजय ने रोकने की कोशिश भी नहीं की थी ।

सौम्या के जाने के बाद विजय की माँ ने विजय को डाँटा कि तुम भी कैसे बेवक़ूफ़ी जैसी हरकतें कर रहे हो तुम्हारे ससुराल वाले बहुत पैसे वाले हैं और दो ही लड़कियाँ हैं उनसे बिगाड़ लेगा क्या?तब विजय को भी होश आया । माँ बेटा सौम्या के घर पहुँचे । गिरिधारी जी ने कह दिया कि हमारी बेटी आपके घर नहीं आएगी

यही मेरा फ़ैसला है यहीं मेरे साथ मिलकर मेरा बिज़नस सँभाल लेगी । अब माँ बेटे को शॉक लग गया मिन्नतें कर के विजय को भी उनके ही घर में छोड़ कर माँ चली गई थी । विजय के यहाँ रहते हुए साल हो गया । एक दिन सौम्या अपनी सहेली दीप्ति के साथ उसके रिश्तेदार के घर गई थी

वहाँ ऐसे ही बातों बातों में पता चला कि विजय की एक बार शादी हो चुकी थी और उसने तलाक़ ले लिया था । सौम्या तो टूट गई थी जब उसे मालूम हुआ कि यह बात रम्या के ससुराल वालों को भी मालूम है घर आकर वह बहुत रोई पापा सबने मिलकर मेरा अपमान किया है मेरे जज़्बातों से खेला है । मैं इसके साथ नहीं रह सकती मैं भी विजय से तलाक़ ले लूँगी ।

जब रम्या के ससुराल वालों से पूछा तो उन्होंने कहा कि बहनजी आपको मालूम है न सौ झूठ बोल कर भी एक शादी करानी चाहिए । इसलिए हमने आप से कुछ नहीं कहा । सौम्या को बहुत ग़ुस्सा आया था कि यह कहाँ का रिवाज है लड़की की तो ज़िंदगी ही बरबाद हो गई है ।

सोचिए दोस्तों सौम्या तो पढ़ी लिखी है और अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है और पिता के पास बहुत पैसा है पर कुछ लड़कियों को यह सब नसीब नहीं होता है उनका क्या हाल होता होगा?

के कामेश्वरी

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