आज बहुत लंबे अरसे के बाद आयुष को फीनिक्स मॉल से निकलते हुए देखा… मुझे देखकर आयुष भी ठिठक कर खड़ा हो गया… कुछ कहता तब तक मेरे पति राजेश गाड़ी पार्किंग में लगा कर आ गए… मन खिन्न हो चुका था.. पर इतने अच्छे मूड में राजेश थे कि… खूब सारी शॉपिंग करने के बाद खाना खाया और वापस गाड़ी व्हाइट फील्ड की ओर दौड़ पड़ी और आँखें बंद किए पति के सवालों का जवाब हां ना में देती रही… मेरा मूड देखकर उन्होंने गुलाम अली की गजल लगा दी चुपके चुपके रात दिन..
घर वापस आ कर भी मन उद्विग्न सा था… एक हीं मुहल्ले में हमारा घर था…बचपन से युवावस्था का सफर साथ हीं तय किया था..
मैं और आयुष पहले अच्छे दोस्त थे.. धीरे धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई… तीन साल तक हम दोनों एक दूजे के प्यार में कितने सपने बुनते… मेरी खूबसूरती की कसमें खाता आयुष.. हम दोनों अपनी जोड़ी को दुनिया की बेस्ट जोड़ी समझते… मैं नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी.. पांच साल का कोर्स था… एक साल बचे थे तभी आयुष की नौकरी लग गई… बिजली विभाग में एसडीओ बन गया… रिश्तों की लाइन लग गई उसके घर.. पर मै निश्चिंत थी मन की डोर तो मेरे संग हीं बंधी थी आयुष की…मेरे घर में भी चर्चा होने लगी
अब आयुष की नौकरी भी लग गई है.. शादी की बात की जाए…. पापा और चाचा मिठाई लेकर आयुष के घर गए.. बधाई देने. घरवालों के अंदाज बदले हुए थे.. आयुष की मम्मी तो सामने भी नहीं आई…अक्सर पापा मम्मी सेवो कहती थी हमारी दोस्ती जल्दी हीं रिश्तेदारी में बदल जाएगी भगवान ने चाहा तो सिया हमारे घर में बहु बनकर आ जाएगी…
पर अब दहेज की मोटी रकम ने उनकी आंखों पर पैसे की पट्टी बांध दी थी.. आयुष के स्वर भी बदलने लगे थे… मैं इन सब से अनभिज्ञ अपने अगले सेमेस्टर की तैयारी में व्यस्त थी.. आयुष की नौकरी लगना मेरे सपनों के साकार होने की पहली कड़ी थी.. प्रसन्नचित से पढ़ाई कर रही थी.. अक्सर सहेलियां आयुष के नाम से मुझे छेड़ती.. पर किस्मत कोई और खेल खेल रही थी..
इस कहानी को भी पढ़ें:
फाइनल सेमेस्टर के एग्जाम खत्म होने पर घर आई तो पता चला आयुष की शादी बड़बिल के आयरन ओर के बहुत बड़े व्यापारी की बेटी से तय हो चुकी थी.. मेरी मम्मी को आयुष की मम्मी ने बुरी तरह जलील करते हुए कहा बेटी को अच्छे संस्कार देने की जगह लड़के पटाने की ट्रेनिंग दी हो..
आयुष भी चुप था… मेरे पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी.. इतना अपमान उफ्फ… मैं तड़प कर रह गई.. दिल टूटने का दर्द उफ्फ किससे कहती… लड़के पटाने का आरोप उफ्फ ये अपमान…
अगले छह महीने के अंदर आयुष की शादी हो गई… मम्मी मुझे मौसी के पास भेज दी कुछ दिनों के लिए बनारस.. अक्सर अस्सी घाट की सीढ़ियों पर बैठकर आंसू बहाती… धीरे धीरे खुद को संभाला… मम्मी पापा भी दुःखी थे… मुझे हीं उन्हें इस दुःख से उबरने की कोशिश करनी होगी… वापस घर आ गई.
और फिर ज्यूडिशरी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग करने दूसरे शहर चली गई.. मन खिन्न हो चुका था.. बस पढ़ाई पर फोकस करती और चुप चुप सी रहती.. राजेश से वहीं मुलाकात हुई… थोड़ी बहुत बातचीत हो जाती…
पहले अटेम्प्ट में मैं और राजेश सिलेक्ट हो गए… ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा पास करने के बाद एक साल के लिए न्यायिक अकादमी में प्रशिक्षण के लिए चले गए.. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद राजेश ने बिना लाग लपेट के मुझे शादी के लिए ऑफर किया.. मैने इंकार कर दिया.. उन्होंने वजह पूछा कोई और पसंद है?
मैने सारी कहानी बता दी… राजेश बोले जिंदगी किसी के लिए रुकती नहीं है अपने पेरेंट्स के लिए सोचो… तुम हां करो तो अपने पेरेंट्स को तुम्हारे घर भेजूंगा… मैं कोशिश करूंगा तुम्हे खुश रखूं और तुम्हारे प्रति वफादार रहूं… मैने सोचने का समय मांगा.. फिर हमारी पोस्टिंग हो गई..
और फिर हमारी शादी हो गई.. राजेश ने अपना वादा पूरा किया… हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश करते.. आज तन्वी और तनुल हमारे दो प्यारे प्यारे बच्चे हैं… अपनी जिंदगी में सबकुछ है नाम शोहरत प्रेम विश्वास सब कुछ… मगर फिर भी कभी कभी मन पुरानी बातों में उलझ जाता है… बच्चों को दादी दादा के पास छोड़कर आज राजेश और मै अपनी छुट्टियां एंजॉय करने निकले थे तभी….
इस कहानी को भी पढ़ें:
आज मैने आयुष से रिश्ता टूटने के बाद पहली बार मम्मी से आयुष का जिक्र किया.. मम्मी एक सांस में कहने लगी अरे बेटा आयुष से रिश्ता टूटना तुम्हारे लिए वरदान बन गया… इतनी अच्छी नौकरी इतना अच्छा जीवन साथी… आयुष अब खूब पीने लगा है… कितना इलाज हुआ पर शादी के 12साल बाद भी आयुष पिता नहीं बन पाया…
उसकी पत्नी अपने मायके का रोब दिखा कर पूरा परिवार को अपने इशारे पर नचाती है… आयुष की सारी रौनक गायब हो गई है… अपनी उम्र से ज्यादा का दिखता है… मंदिर के कीर्तन में आयुष की मां मिली थी पिछले सप्ताह.. मुझसे माफी मांग रही थी.. हमलोगों ने आपका दिल दुखाया बहुत बुरा बर्ताव किया.. सिया बिटिया का भी दिल दिखाया उसी की बददुआ लगी है…
घर में हमेशा क्लेश होते रहता है.. श्वेता किसी को कुछ समझती नहीं.. धमकाती रहती है कोर्ट कचहरी तक घसीट कर ले जाऊंगी मेरा दिमाग खराब हुआ तो… आयुष भी अब पहले जैसा कहां रहा… बेटा शादी तोड़कर आयुष के घर वालों ने हमलोगों का जो# अपमान किया आज वो वरदान #बन गया है… समय हर किसी के किए की सजा इसी जनम में देता है…. और #अपमान को वरदान# में बदल देता है..
#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #
Veena singh