अपवित्र कौन ? – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” हेलो सौरभ और तान्या इनसे मिलिए मेरी वाइफ चेताली !” ऑफिस की पार्टी मे सौरभ के साथ काम करने वाले उसके दोस्त रोहन ने अपनी पत्नी से परिचय करवाया। तान्या ने चेताली को गले लगा लिया।

” हेलो भाभी आपसे मिलकर अच्छा लगा !” सौरभ चेताली से बोला। 

सब लोग पार्टी मे एन्जॉय कर रहे थे पर तान्या देख रही थी कि चेताली चुप चुप है । जहाँ कुछ लोग डांस फ्लोर पर डांस कर रहे थे वही कुछ ग्रुप बना बाते कर रहे थे पर चेताली एक कौने मे खड़ी धीरे धीरे कोल्ड ड्रिंक पी रही थी। 

” क्या बात है चेताली तुम्हे पार्टी पसंद नही आई क्या ?” तान्या उसके पास आ बोली। 

” नही ऐसा तो नही !” चेताली बोली।

” तो चलो डांस करते है !” तान्या उसका हाथ पकड़ बोली । चेताली ने बहुत ना नुकुर की पर तान्या उसे डांस फ्लोर पर ले आई । बेमन से ही सही पर चेताली डांस करने लगी । अचानक डांस करते हुए किसी का हाथ चेताली की कमर को छू गया तो चेताली डर कर वहाँ से चली गई और एक कोने मे दुबक सी गई। तान्या को चेताली का व्यवहार बड़ा अजीब लग रहा था। 

” क्या हुआ चेताली सब ठीक तो है ?” वो उसके पास आ पूछने लगी । 

“हाँ हाँ सब ठीक है अब हम घर जाएगे !” नज़र चुराते हुए चेताली बोली और रोहन को बुला वहाँ से चली गई। थोड़ी देर बाद पार्टी खत्म हो गई । 

” सौरभ ये चेताली कुछ अजीब सी नही लगी तुम्हे ?” रास्ते मे तान्या ने पूछा ।

” नही तो ..हाँ थोड़ी रिजर्व है पर सबका अपना नेचर होता है !” सौरभ बोला। 

पर तान्या को कुछ तो अजीब लगा । फिर उसने सोचा अभी दो महीने ही तो हुए है चेताली और रोहन की शादी को तो हो सकता है ये उसका वहम हो। 

अगले रविवार को तान्या ने सौरभ से कह चेताली और रोहन को खाने पर बुलाया । क्योकि सभी लोग अपनी नौकरी के सिलसिले मे अपनों से दूर रहते थे तो यूँही एक दूसरे से मेल जोल बढ़ा लेते थे। खाने की मेज पर भी चेताली चुपचाप सी ही थी जबकि रोहन , सौरभ और तान्या खूब बात कर रहे थे। 

” चल रोहन थोड़ा बाहर घूम कर आते है पान वान खायेंगे !” सौरभ खाने के बाद बोला । 

” चलो चेताली हम लोग मूवी देखते है !” तान्या बोली और घरेलू सहायिका से मेज साफ करने की बोल खुद चेताली के साथ सोफे पर आ गई।

दोनो साथ बैठी मूवी देख रही थी कि अचानक चेताली ने जोर से तान्या का हाथ पकड़ लिया । तान्या ने उसकी तरफ देखा तो वो पसीने मे नहा सी रही थी और उसके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। 

” क्या हुआ सब ठीक तो है चेताली ?” तान्या ने उससे पूछा ।

” वो ..वो !” चेताली टीवी की तरफ इशारा करती बोली।

” वो सिर्फ एक मूवी है बस हकीकत नही !” तान्या प्यार से उसका हाथ पकड़ कर बोली। 

” नही मुझे नही देखनी मूवी !” ये बोल चेताली वहाँ से उठकर दूसरे कमरे मे आ गई । तान्या ने टीवी बंद कर दिया और वो भी चेताली के पास आ गई । तभी रोहन और सौरभ भी आ गये। चेताली के चेहरे पर अब भी दर्द की रेखाएं थी । रोहन के पूछने पर उसने तबियत खराब का बहाना बनाया और दोनो चले गये। 

” ये अचानक इन्हे क्या हुआ ?” सौरभ ने हैरानी से तान्या से पूछा ।

” पता नही हम लोग तो मूवी देख रहे थे उसमे ..ओह माई गॉड ..क्या चेताली !” सौरभ को जवाब देते देते तान्या खुद से बात करने लगी।

” अब तुम्हे क्या हुआ है तुम क्यो ऐसे बड़बड़ाने लगी ?” सौरभ झल्ला कर बोला। 

” कुछ नही आप जाइये आराम कीजिये !” तान्या बोली और सौरभ के जाने के बाद वही सोफे पर बैठ कुछ सोचने लगी । बहुत देर तक सोचने के बाद उसने कुछ फैसला किया और उठकर कमरे मे आ गई। 

” सौरभ मुझे ऐसा लगता है चेताली के मन मे कोई अनकहा दर्द है जो उसे परेशान कर रहा है !” उसने कहा।

” ये तुम कैसे कह सकती हो ?” सौरभ ने सवाल किया। 

” बस मुझे ऐसा ही लगता है वैसे तुम्हारी रोहन से कोई बात हुई चेताली को लेकर ?” तान्या ने पूछा।

” कुछ खास तो नही बस उसका इतना ही कहना है चेताली अभी खुलकर ना प्यार जाहिर करती है ना ही गुस्सा । शायद शादी को ज्यादा वक्त नही हुआ इसलिए !” सौरभ बोला।

” हम्म्म …चलिए सोते है अब !” तान्या बस इतना बोल कपड़े बदलने चली गई। 

” हेलो चेताली कही घूमने चले क्या ?” अगले दिन तान्या ने उसे फोन किया। 

” नही भाभी मुझे भीड़ मे घुटन सी होती है ।” चेताली बोली।

” चलो तो मैं तुम्हारे घर आती हूँ आज कढी -चावल बनाये है मिलकर लंच करेंगे !” तान्या ये जानती थी चेताली अकेली उसके घर नही आएगी इसलिए वो बोली और तैयार हो खाना पैक कर निकल गई। 

” चेताली तुम रोहन के साथ खुश नही हो ?” खाने के बाद तान्या ने पूछा। 

” नही भाभी ऐसा कुछ नही !” निगाह नीची किये उसने जवाब दिया। 

” देखो चेताली कुछ अनकहे दर्द जिंदगी तबाह भी कर सकते है इसलिए किसी के सामने जाहिर कर देने चाहिए । मुझपर विश्वास करो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ !” तान्या ने हमदर्दी से कहा। 

” भाभी रोहन बहुत अच्छे है बहुत ध्यान भी रखते है मेरा पर …!” 

” पर क्या ?” 

” मुझे लगता है मैं उनके लायक नही हूँ !” 

” और ऐसा क्यो लगता है तुम्हे …क्या तुम सुन्दर नही हो , पढ़ी लिखी नही हो , या फिर तुममें और कोई कमी है ?” 

” भाभी मैं …मैं !” चेताली को समझ नही आ रहा था क्या कहे अचानक वो जोर जोर से रोने लगी। तान्या एक बार को तो डर गई फिर उसने चेताली को गले लगा लिया पर उसे चुप नही कराया क्योकि वो खुद चाहती थी चेताली अपने मन का गुबार निकाल ले। तान्या के गले से लग चेताली को अपनेपन का एहसास हुआ मानो किसी ने उसके जख्मो पर मरहम सा लगा दिया हो। थोड़ी देर रोने के बाद जब उसका मन हलका हो गया तब उसने सिर उठा तान्या की तरफ देखा । 

” भाभी सही कहा आपने अनकहा दर्द बहुत तकलीफ देता है मैं कितने सालो से ये तकलीफ झेल रही हूँ पर आपको बता कर थोड़ा मन हलका करना चाहती हूँ जानती हूँ आप किसी से कुछ नही कहेंगी !” ये बोल चेताली रुकी तब तान्या ने उसके हाथ पर हाथ रख उसे मूक आश्वासन दिया  ।” मुझमे बहुत बड़ी कमी है भाभी….मैं ..मैं अपवित्र हूँ !” चेताली ने किसी तरह अपनी बात पूरी की ।

” क्याआआआआ!” 

” हाँ भाभी आज से चार साल पहले की बात है ये तब मैं कॉलेज मे थी किसी ने अपने एकतरफा प्यार मे मुझे ये तोहफा दिया मेरे कॉलेज मे ही पढ़ता था वो । उसने एक दिन मुझे परपोज किया जबकि मुझे सिर्फ पढ़ाई से मतलब था । उसका परपोजल स्वीकार ना करने की कीमत मैने अपनी इज्जत से चुकाई । मुझे किसी बहाने उसने अकेले मे बुलाया और …..!” इतना बोल चेताली ने आँखे मीच ली मानो वो उस दर्द को अब भी महसूस कर रही हो । 

” तुमने अपने मम्मी पापा को नही बताया ..पुलिस मे रिपोर्ट नही की ?” तान्या ने पूछा ।

” अपनी अस्मत खोने बाद बदहवास सी घर पहुंची थी मैं माँ के गले लग रोना चाहती थी पर माँ ने मुझे ही दोष दिया कि मैने ही उस लड़के को अवसर दिया होगा !” ये बोल चेताली फिर रो दी । 

” और तुम्हारे पिता ?” 

” उन्होंने …उन्होंने तो मुझे अपवित्र करार दे मुझे अपने सामने आने से ही मना कर दिया !” हिचकी लेती चेताली बोली ।

” क्याआ !! कोई माँ बाप ऐसा कैसे कर सकते है ? तुमने उस लड़के के खिलाफ पुलिस मे रिपोर्ट क्यो नही लिखवाई उसे सजा क्यो नही दिलवाई ?” तान्या गुस्से और दुख से बोली। 

” कैसे लिखवाती भाभी जब जिन माता पिता की मैं लाडली थी उन्होंने ही किनारा कर लिया मुझसे । फिर भी हिम्मत कर बोला था मैने उन्हे पर उन्होंने अपनी इज्जत की , मेरी बहन की दुहाई दी । मैं अकेली पड़ गई थी भाभी ..मेरा कॉलेज छुड़वा दिया गया मुझे घर मे कैद सा कर दिया गया। मेरा मन करता था मैं मर जाऊं !” चेताली सुबकती हुई बोली। 

” ये बहुत गलत हुआ तुम्हारे साथ क्योकि जो तुम्हारे साथ उस लड़के ने किया उसमे तुम्हारा दोष नही था !” तान्या फिर से चेताली को गले लगा बोली। 

” जब मेरे शरीर के जख्म मिटे तब मेरे लिए लड़का देखा जाने लगा , मैने इंकार किया हाथ पैर तक जोड़े कि मुझे मेरे पैरो पर खड़ा होना है पर किसी ने मेरा साथ नही दिया । मुझे एक ऐसे गुनाह की सजा दी जा रही थी जिसमे मेरा कोई दोष नही था । मेरे लिए कोई रिश्ता आता तो मैं अपने साथ हुए हादसे की बात उन्हे बताने को कहती पर मुझे कसम दे दी गई थी कि मैने किसी को कुछ भी बताया तो सब लोग जहर खा लेंगे !” चेताली इतना बोल रुक गई। 

” क्या रोहन ये बात जानता है ?” तान्या ने पूछा। 

” नही भाभी इसी बात का तो गम है । मुझे कई लड़के देखने आये पर किसी ने किसी वजह से किसी ने किसी वजह से इंकार कर दिया । फिर रोहन का रिश्ता आया उन्होंने हाँ कर दी । पर माँ पापा ने तब भी मुझे कसम दे विदा किया कि मैं कभी रोहन को कुछ नही बताउंगी । भाभी रोहन बहुत अच्छे है , बहुत प्यार करते है मुझे पर मैं उनके पास आने से भी डरती हूँ क्योकि मैं अपवित्र हूँ .. मैं अपवित्र हूँ !” चेताली जोर जोर से रोने लगी। 

” किसने कहा तुम अपवित्र हो !” तभी दरवाजे पर एक आवाज़ गूंजी।

” रोहन आप !” सामने रोहन को देख चेताली का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। 

” हाँ मैं एक फाइल यहां रह गई थी वो लेने आया था पर तुम्हे बात करते देख रुक गया ।” रोहन बोला और चेताली की तरफ बढ़ने लगा। तान्या भी डर सी गई कहीं उसके कारण कुछ अनर्थ ना हो जाये।

” रोहन प्लीज तुम शांति से बात करना इसमे चेताली की ..!” तान्या बोलने को हुई पर रोहन ने उसे चुप करा दिया।

” तुम अपवित्र नही हो चेताली ..अपवित्र तो वो है जिसने तुम्हे प्यार करने का दम भर तुम्हारा शोषण किया , अपवित्र तो वो माता पिता है जिन्होंने अपने खून पर विश्वास नही किया उसका साथ नही दिया बल्कि उसे ऐसे गुनाह की सजा दी जो उसने किया ही नही !” रोहन चेताली के पास आ उसका झुका चेहरा उठा कर बोला। 

दंग रह गई तान्या रोहन के मुंह से ये सुन और चेताली की आँखों से तो और ज्यादा पानी गिरने लगा । तान्या कुछ अनर्थ ना हो इसलिए वहाँ रुकी थी किन्तु अब वो समझ गई अनकहा दर्द अब बाहर आ चुका है अब दोनो पति पत्नी के आपस की बात बची है इसलिए वो वहाँ से चुपचाप निकल गई। 

उसने घर आ सौरभ को भी सब बात बताई साथ ही इंतज़ार करने लगी चेताली के फोन का हालांकि उसे सब ठीक होने की उम्मीद थी पर फिर भी एक बेचैनी थी। उसका इंतज़ार रात के नौ बजे दरवाजे की घंटी के साथ खत्म हुआ । 

” रोहन , चेताली तुम !” दरवाजा खोलते ही तान्या बोली ।

” हाँ भाभी हम कल मनाली घूमने जा रहे है सोचा आपसे मिलते चले , आपको धन्यवाद भी तो देना था !” चेताली रोहन को देखते हुए मुस्कुरा कर बोली। 

” अचानक से ये प्रोग्राम !” सौरभ बोला। 

” हाँ यार ऑफिस मे मेल भेज दिया चार दिन की छुट्टी का  !” सोफे पर बैठता रोहन बोला ।

” चल चेताली हम चाय बनाते है !” तान्या ये बोल रसोई मे आ गई। 

” भाभी आपका जितना शुक्रिया अदा करूँ कम है जो अनकहा दर्द मुझे घुट घुट कर जीने पर मजबूर कर रहा था वो बाहर आते ही सब सही हो गया !” रसोई मे आते ही चेताली बोली। 

” मेरे आने के बाद कुछ हुआ तो नही था ना ?” तान्या को प्यार से गले लगाते हुए तान्या ने पूछा। 

” भाभी एक बार तो रोहन को वहाँ देख लगा सब खत्म अब , पर उसने मुझे हिम्मत दी आपके आने के बाद मैने उससे सब छिपाने के लिए माफ़ी मांगनी चाही पर उसने कहा माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिए जो मैं पति होकर वो दर्द नही देख सका जो तान्या भाभी ने देख लिया। उसने मेरे दिल से सब बोझ हटा दिया ये बोल कि गंगा मे कितना भी कचरा डाला जाये वो पवित्र ही रहती है वैसे ही तुम भी पवित्र हो क्योकि तुमने कोई गलती नही की बल्कि किसी और ने तुम्हारे साथ गलत किया और तुम्हारे माता पिता ने तुम्हारा साथ ना दे और भी गलत किया !” चेताली बोली।

” चलो शुक्र है सब ठीक हो गया !” तान्या ने भी राहत की सांस ली । 

” ये सब आपके कारण हुआ भाभी ना आप मेरी जिंदगी मे आती ना मैं इस दर्द से उबरती । साथ ही रोहन जैसा पति मुझे मिला ये ईश्वर का प्रसाद है !” चेताली बोली। 

” अब सब भूल आगे की जिंदगी खुशनुमा बनाओ !” तान्या बोली।

” हाँ भाभी यही करना है अब , रोहन ने तो मुझे उसके खिलाफ पुलिस कम्प्लेन भी करने को बोला था पर भाभी मैं वो लम्हें , वो शख्स फिर नही चाहती अपने सामने । बस मेरे मन का दर्द निकल गया। रोहन मेरे साथ है मेरे लिए यही बहुत है !” चेताली बोली।

” हमेशा खुश रहो तुम दोनो !” तान्या खुशी के मारे भरी आँखों को पोंछते हुए बोली । 

चाय पी रोहन और चेताली चले गये क्योकि उन्हे सुबह के लिए पैकिंग भी करनी थी ।

” क्या बात है हमारी बीवी ने तो आज बहुत बड़ा काम किया है रोहन की नज़र मे तुम्हारे लिए इतना सम्मान देख मुझे बहुत अच्छा लगा !” सौरभ उनके जाते ही बोला। 

” हाँ तो इसका इनाम भी तो कुछ होना चाहिए !” तान्या भी हंस कर बोली। 

” बंदा हाजिर है …कहो तो मैं भी छुट्टी का मेल डाल दूँ !” सौरभ शरारत से बोला। 

” धत…!” तान्या हँसते हुए बोली सौरभ ने उसे गले गला लिया।

” बस अब यही दुआ है चेताली और रोहन की आने वाली जिंदगी पर पिछली जिंदगी का साया ना पड़े !” सौरभ तान्या को गले लगाए लगाए बोला।

” नही पड़ेगा क्योकि रोहन ने सच्चे दिल से चेताली को स्वीकार किया है उसके अतीत के साथ । जब तक वो अनकहा दर्द दोनो के बीच था डर तब तक का था ।” तान्या बोली और दोनो सोने चल दिये। 

दोस्तों बलात्कार पीड़िता जिस दर्द से गुजरती है वो वही जानती है । ऐसे मे उसे घर वालों की समाज की जरूरत होती है उनके साथ की जरूरत होती है पर जब उनका साथ नही मिलता तो उसके मन मे एक अनकहा दर्द उसे खुल कर जीने नही देता। उसके शरीर से ज्यादा मन पर लगे जख्म उसे दर्द देते है जो अपनों के साथ से मिट सकते है । यहाँ मैं रोहन जैसे युवकों का भी धन्यवाद करना चाहूंगी क्योकि ऐसे युवकों की हमारे समाज़ को बहुत जरूरत है जो पत्नी के दर्द को ना केवल समझे बल्कि उन्हे खत्म करने की कोशिश भी करे । 

धन्यवाद 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!