Moral Stories in Hindi : सुबह पांच बजे का अलार्म जोर जोर से बज रहा था लेकिन सुरभि की हिम्मत ही नहीं हो रही थी बिस्तर छोड़ने की… ठिठुरन भरी ठंड इतनी कि रजाई से बाहर निकालते ही हाथ की उंगलियां भी मानो बाहर की अनदेखी हवा से मिलने की हिम्मत नही बटोर पाती थीं और हवा भी मानो पूरी ताकत लगा देती थी हाथों को बाहर आने से रोकने की..!!
कल ऑफिस सदस्यों के साथ गर्मजोशी से लिया गया ऑडिट निबटाने का सुरभि का निश्चय भी ठंड की धृष्टता से सहम कर ठिठुर सा गया था ।
अनु अनु बेटा ऑफिस फोन लगा कर बोल दो मम्मी को फीवर है आज नहीं आ पाएंगी सुरभि ने बेटे को आवाज देकर कहा और फिर से नींद के आगोश में जाने को उद्धत हो गई।
मैं क्यों झूठ बोलूं आप ही बोल दीजिए अनुल ने मेरी बात मुझको ही वापिस करते हुए कहा।
मुझे तो फीवर है ना तो मैं कैसे खुद ये बात बोलूं तुम्हारे बोलने से ही रियल लगेगा सुरभि ने जोर से कहा।
अरे तो छुट्टी ले लो आज की फीवर का बहाना क्यों!! पति सलिल ने टोक दिया था।
इसी बहाने के कारण ही छुट्टी मिल पाएगी आज ऑफिस की ऑडिट होनी है बॉस किसी को छुट्टी नहीं देंगे
ऑडिट होनी है तब तो तुम्हें जरूर जाना चाहिए सलिल ने फिर से टोका।
हेलो जी सर गुड मॉर्निंग मम्मी को बहुत तेज फीवर हो गया है वे आज ऑफिस नहीं आ पाएंगी अनूल ने कॉल स्पीकर में करते हुए कहा
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आज ऑडिट होनी है आना ही पड़ेगा उधर से आवाज गूंज उठी थी
जी सॉरी सर पर मम्मी नहीं आ पाएंगी उनकी बिलकुल हिम्मत नहीं है… और अनुल ने तुरंत कॉल काट दी थी।
पूरे दिन सुरभि ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ करके रखा इस डर से कि कहीं बॉस का फोन ना आ जाए!!
दूसरे दिन ऑफिस पहुंचते ही सुरभि को सहकर्मियों के मध्य कुछ अलग सा वातावरण महसूस हुआ…आलोक जी ने देखते ही व्यंग्य से कहा आइए मैडम आज तो आपकी तबियत ठीक हो गई लगता है बस कल ही खराब होनी थी…!!
क्यों ऐसे क्यों कह रहे हैं आप?
क्योंकि कल सिर्फ आपके ना आने की वजह से बॉस ऑडिट पार्टी के सामने सभी फाइल्स प्रस्तुत नहीं कर पाए हम सबकी मेहनत पानी में गई और ऑडिट ऑफिसर ने नाराज होकर उन्हें स्पष्टीकरण नोटिस भी दे दिया है अक्रोशित् स्वर था आलोक का।
लेकिन फाइल्स से मेरा क्या लेना देना आप लोग सब थे तो!!झल्ला कर सुरभि ने कहा।
क्योंकि वे फाइल्स आपके ही पास थीं यहां आपके चैंबर में नहीं थीं आप उन्हें घर ले गई थीं ये बात ऑफिस प्यून ने बताई लेकिन आपको हजारों बार कॉल करने पर भी आपका मोबाइल ऑफ आ रहा था !!इस बार मीना ने तड़ाक से प्रत्युत्तर दिया।
ओह ..!! एक झटके से सुरभि को याद आ गया कि फाइल्स का कुछ काम पूरा करने के लिए वह उन्हें घर ले गई थी और भूल गई।
ऑफिस के सभी सहकर्मी सुरभि के प्रति नाराजगी व्यक्त कर रहे थे पूरे ऑफिस में उसे अपने लिए उपेक्षा महसूस होने लगी।बॉस के कमरे में गई पर बॉस नहीं थे।
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सबने बताया उन्हें कल बहुत बेइज्जती सामना करना पड़ा उनकी तबियत खराब हो गई है उन्होंने हफ्ते भर की छुट्टी ले ली है।
अपने चैंबर में अकेले बैठे बैठे सुरभि को अपनी बहानेबाजी और गैरजिम्मेदार रवैए पर ग्लानि होने लगी सभी को अनजाने में ही उसने अपने से अलग कर दिया था ऑफिस में बैठना असह्य होने पर वह उठकर घर जल्दी आ गई।
अरे मम्मी आप इतनी जल्दी आ गईं आज अनु ने देखते ही पूछा तो सुरभि अनुल को इस वक्त स्कूल के बजाय घर में देख कर चकित रह गई
अनु तुम घर में
हां मां मैं स्कूल नहीं गया आज!!
पर आज तो तुम्हारा मैथ्स का टेस्ट है ना..!
हां इसीलिए तो नहीं गया मैं लापरवाही से दिया अनु का जवाब सुरभि को तिलमिला गया था।
पर टेस्ट तो जरूरी था अनु टीचर को क्या जवाब देंगे!!
वो मम्मी मैंने फोन करके बता दिया है।
क्या बता दिया तुमने टीचर को अनु?
यही कि मुझे बहुत तेज फीवर है इसलिए हिम्मत नहीं हो रही है स्कूल आने की… कहता अनु हंसता हुआ अंदर चला गया था… और सुरभि अवाक सी धम से वहीं सोफे पर गिर सी गई।
उफ्फ ये मैं क्या सिखा रही हूं अपने ही बेटे को!! बहाने बनाना झूठ बोलना जिम्मेदारियों से जी चुराना …! लापरवाह बनना सिखा रही हूं मैं उसकी मां उसे।कितनी शीघ्रता से उसने मेरी इसी बात का अनुसरण भी कर लिया आगे जिंदगी में भी वह यूं ही जिम्मेदारियों से किनारा करने की कोशिश करता रहेगा बजाय उन्हें पुरजोर तरीके से निभाने के…!!
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सुरभि को याद आ गया ….उस दिन जब पड़ोसन शोभा जी अनु का लैपटॉप अपने बेटे के लिए मांगने आईं थी तब भी मैंने झूठ ही कह दिया था सॉरी शोभा जी पर अनु का लैपटॉप भी इस समय बिगड़ गया है शॉप में पड़ा है सुधरने के लिए तब भी अनु आश्चर्य में था..” मम्मा शोभा आंटी के बेटे रोहित भैया का ऑनलाइन इंटरव्यू होना है और उनका लैपटॉप सही में खराब हो गया है इसीलिए वह खुद मांगने आईं थीं… मैं देने जा रहा हूं अपना लैपटॉप आपने झूठ क्यों बोला उनसे।
तब भी मैंने उसे डांटा था कि अरे ऐसे किसी के भी मांगने पर अपनी कीमती चीजें देते फिरोगेगे तो बस लोग तुमसे मांगते ही रहेंगे समझे !!मना करना सीखो कोई जरूरत नहीं है अपना कीमती लैपटॉप उन्हे देने की फिर तो वो रोज रोज मांगने आ जायेंगी… हम क्या करें उनके बेटे का इंटरव्यू है तो खुद कर ले व्यवस्था।
उस दिन के बाद से शोभा जी ने आज तक मुझसे बात नहीं की ।
अपने बेटे को मैं मानवता का भी उल्टा पाठ पढ़ा रही हूं !!आत्मावलोकन ने आत्म ग्लानि बढ़ा दी।
अनु बेटा जरा अंदर टेबल से मेरी ऑफिस की फाइल्स ले आना मुझे जाना है.. सुरभि की आवाज सुन कर अनुल् बाहर आ गया ।
कहां जाना है मां अभी तो आप ऑफिस से आई हैं
बेटा मेरी लापरवाही के कारण ऑफिस की ऑडिट अधूरी रह गई ये फाइल्स मेरे पास थीं ये मेरी जिम्मेदारी थीं और मैंने फोन नही उठाया बॉस का भरोसा भी तोड़ा मैं अभी इन्हे लेकर बॉस के घर जा रही हूं माफी भी मांगनी है और बॉस को मेरे कारण मिले स्पष्टीकरण का जवाब भी ऐसा लिखना है ताकि ऑडिट पार्टी पूर्णत संतुष्ट हो जाए …
फाइल्स संभालते हुए दृढ़ता से सुरभि ने कहा तो अनुल फिर से आश्चर्य में पड़ गया…. शायद वह भी आत्मावलोकन करने लगा था..!
फिर पीछे से आवाज देकर बोल उठा ..”रुकिए मां मैं भी आपके साथ चलता हूं मुझे आप स्कूल छोड़ देना टीचर से सॉरी बोलकर मुझे भी मैथ्स का टेस्ट देना है।
चल बेटा … आत्मविभोर् सी सुरभि बेटे के साथ आत्म ग्लानी को जीवन भर की कुंठा में परिणित होने से रोकने चल पड़ी थी..।
लतिका श्रीवास्तव