कमली अपनी माँ के पार्थिव शरीर के पास बैठकर को रही थी । उसका इस दुनिया में माँ के सिवा कोई नहीं था । अब माँ के चले जाने से वह बहुत अकेली पड़ गई थी । कमली सुंदर जवान और अठारह साल की बच्ची थी।
गली के सारे मर्द उससे हमदर्दी जता रहे थे । किसी ने भी न अपनी आयु देखी न कमली की । लोगों की मदद से उसने अपनी माँ का अंतिम संस्कार पूरा कर तो दिया पर दुनिया से उसे डर लगने लगा समझ नहीं पा रही थी कि किस पर विश्वास करूँ किस पर नहीं । माँ जब ज़िंदा थी तभी से जगदीश उसके पीछे पड़ा था कि वह उससे शादी करना चाहता है । जगदीश उम्र में भी ज़्यादा बड़ा नहीं था पास के गाँव में रहता था लॉरी ड्राइवर था । अच्छा ख़ासा कमा भी लेता था ।
माँ जिस सेठ के घर में काम करती थी वहीं पर उनका माल लेकर आया था । कमली को देखते ही उस पर फ़िदा हो गया था । उसे वहाँ थोड़े दिन रुकना पड़ा क्योंकि सेठ जी वापस माल भेजने वाले थे । उन दिनों में ही इनकी अच्छी ख़ासी दोस्ती हो गई थी ।
माँ ने एकबार दोनों को साथ देखा भी था कमली की क्लास भी ली और उसे समझाया भी कि ऐसे राह चलते किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए पर जवानी का जोश था इसलिए कमली को माँ की बातें अच्छी नहीं लगी । अब तो माँ भी नहीं है ।
माँ की मौत की ख़बर सुनते ही जगदीश भागते हुए आ गया क्योंकि उसे मालूम है कि अब कमली से बेरोकटोक मिल सकता है । जगदीश गली के सभी परिवार वालों को बता देता है कि वह कमली को चाहता है और उससे शादी करना चाहता है । बहुत से लोगों ने उन दोनों को कई बार साथ देखा था इसलिए हामी भर दी । औरतों को अच्छा लगा मर्दों को बुरा लगा ख़ैर ज़िंदगी किसी के रोके नहीं रुकती । कमली जगदीश के साथ उसके गाँव की तरफ़ कई अरमानों को अपने में समेटे चली गई । रास्ते भर जगदीश ने उसे ज़िंदगी के और नए जीवन के कई ख़्वाब दिखाए ।
रात हो चली थी दोनों को भूख भी बहुत लगी थी इसलिए जगदीश ने अपनी लॉरी एक ढाबे में रोकी ताकि दोनों कुछ खा पीकर फ़्रेश हो सके । उतरते ही उसने कमली से कहा कमली तुम फ़्रेश हो कर आ जाओ मैं खाना मँगाता हूँ । कमली के जाते ही उसने अपना फ़ोन ऑन किया जो अब तक बंद था वह नहीं चाहता था कि कमली और उसके बातचीत में कोई ख़लल पड़े । उसने देखा उसकी बेटी के दस मिस्डकॉल काल थे ।
उसने बेटी को फ़ोन मिलाया वह नाराज़ थी उसको समझाने लगा बेटा मैं घर ही आ रहा हूँ बहुत सारे पैसे लाऊँगा फिर मैं तुम और माँ कहीं घूमने जाएँगे तुम्हारे लिए बहुत सारे गिफ़्ट भी लाऊँगा अब अपनी माँ को फ़ोन दे । जैसे ही जगदीश की पत्नी ने फ़ोन लिया उसने कहा देख किशोरी मेरी बात ध्यान से सुन बहुत ही अच्छा माल हाथ लगा है सेठ को बेच दूँगा तगड़ा पैसा मिलेगा कल तक आ जाऊँगा बिटिया का ध्यान रख आते ही हम घूमने चलेंगे ठीक है कहते हुए फ़ोन काट दिया ।
जगदीश ने सोचा कमली को गए काफ़ी देर हो गई है अभी तक नहीं आई । वह उसे ढूँढने गया पर तब तक कमली शहर जाने वाली बस में सवार हो चुकी थी क्योंकि उसने जगदीश सारी बातें सुन ली थी । शहर के बस स्टैंड में उतरते ही उसे कुछ भिखारी दिखाई दिए जो आने जाने वालों से भीख माँग रहे थे । कमली वहीं जाकर खड़ी हो गई क्योंकि उसे कहाँ जाना है मालूम नहीं था । उन्हीं भिखारियों की टोली में से एक बूढ़ी औरत ने कमली को देख अपने पास बुला लिया । कमली डरते डरते उसके पास बैठ गई । औरत ने अपना नाम अम्मा बताया कहा सब मुझे ऐसा ही बुलाते हैं तुम भी अम्मा ही बुलाना । दस बजे अम्मा ने कहा चलो कुछ खाकर आते हैं । अम्मा ने दूर बैठे लोगों से कहा यह मेरी पोती हैं गाँव से आई है कुछ खिलाकर लाऊँगी । वहाँ बस स्टैंड में सबकी अपनी अपनी जगह होती है नए लोगों को वे आने नहीं देते ।इसीलिए अम्मा ने कमली का परिचय पोती कहकर दिया ताकि लोगों को शक न हो । वह कमली को लेकर एक ठेले पर गई ।जहाँ अजय दोसा , पूरी, वडा सब बनाकर बेचता था ।
कमली ने देखा अम्मा को देखते ही उसने एक छोटा सा स्टूल दिया और उन्हें बिठाया और जल्दी से उनके लिए दोसा बनाया । शायद उसे मालूम था कि अम्मा रोज यही खाती हैं । अम्मा ने कहा अजय आज एक दोसा मेरी पोती के लिए भी दे दे । ठीक है अम्मा कहते हुए उसने प्लेट धोए और उन दोनों को दोसा बनाकर दिया । दोसा खाने के बाद कमली ने अजय से कहा भाऊ आपके यहाँ प्लेट मैं धो दिया करूँगी और मुझे पैसे देने की ज़रूरत नहीं दो वक़्त का खाना दे देना । हमारे समाज में आज भी कोई लड़की किसी भी लड़के को भाऊ या भैया बुलाती हैं तो लड़के उन्हें बहुत सम्मान देते हैं । सब नहीं तो कुछ तो ऐसे हैं जो हमारे संस्कार नहीं भूले हैं । लड़कियाँ भी अपरिचित लड़के को भाऊ बुलाते हुए अपने आपको सुरक्षित समझती हैं ।
कमली ने जब अजय को भाऊ कहा तो उसने भी कहा ठीक है आ जाओ वैसे भी मुझे अकेले ही सारा काम करना पड़ रहा है ।मेरी मदद हो जाएगी । उस दिन से कमली अम्मा के साथ रहती थी पर रोज सबेरे अजय के साथ काम करने के लिए आ जाती थी । अजय की माँ ने कमली को देखा उसे पहली ही नज़र में भा गई थी क्योंकि काम बहुत अच्छा करती थी । मुँह नहीं खोलती थी ।
उसने अजय से कहा अजय लड़की बहुत ही अच्छी है तेरा ब्याह उससे करा दूँ क्या? तेरी क्या राय है । अजय ने कहा माँ उसने बहुत ही विश्वास के साथ मुझे भाऊ कहा है और मैं उससे शादी करके उसके विश्वास को तोड़ नहीं सकता । उसे मैं अपनी बहन बनाकर अपने घर में रखूँगा और उसके लिए अच्छा रिश्ता लाकर उसकी शादी कराऊँगा । वैसे भी मेरी कोई बहन तो है ही नहीं जब पहली बार मुझे उसने भाऊ बुलाया था तो मैंने उसे बहन कीं नज़र से ही देखा है । माँ ने कहा ठीक है अम्मा से कह दे कि आज से कमली हमारे साथ रहेगी । कहते हुए वहीं वहाँ से चली गई । अजय ख़ुश हो गया और कमली से कहा कि आज से तू हमारे साथ रहेगी हमारे घर में ही । हमारे भारतीय संस्कार अब भी ज़िंदा हैं । सभी लड़के एक जैसे नहीं होते हैं । माँ ही अपने बेटे को एक औरत का सम्मान करना सिखा सकती है ।
के कामेश्वरी