आज राखी का दिन है और दोनों बहन भाई मृदुला और शैलेश अस्पताल में एडमिट है। पूरा परिवार भी मृदुला और शैलेश की मम्मी मालाजी और शैलेश की पत्नी नित्या और दोनों बेटियां शगुन और रोली के साथ साथ मृदुला के पति गोविंद जी और मृदुला का बेटा शिवम भी छुट्टियों में हास्टल से घर आकर आज अस्पताल में सभी के साथ है।
सभी ने आज का रक्षाबंधन मिलकर अस्पताल में मनाने का ही निर्णय लिया हैं ।अभी पिछले साल की ही तो बात है सभी कुछ अच्छा चल रहा था पर अचानक दीपावली के आसपास शैलेश के पेट में कुछ परेशानी महसूस होने लगी,वह कुछ थका थका सा रहने लगा। उसे कुछ खाया पिया नहीं पचता था। शैलेश की एक छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक की दुकान थी वह पूरा समय पहले उसे देता जिससे उसका घर परिवार चलता।
लेकिन जब से शैलेश को पेट में कुछ दिक्कत महसूस हुई है वह हर समय कमजोरी और थकान महसूस करता, उससे ज्यादा काम नहीं होता, दुकान पर भी पूरा समय दे नहीं दे पा रहा था ।हर समय उसे लगता कि उसके पेट में कुछ तो समस्या है। पहले पहले उसे लगा शायद डाइजेशन की समस्या है और पाचन सही होने पर सब कुछ सही हो जाएगा ।उसने आसपास के डॉक्टर और वैध को भी दिखाया लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ा।
अब तो शैलेश की मां और पत्नी भी बहुत परेशान रहने लगी। वह उसे अच्छे डॉक्टर को दिखाने को कहती तो शैलेश कहता कि त्योहारों के दिन चल रहे हैं त्योहारों के बाद देखते हैं। लेकिन शैलेश ज्यादा खर्च के कारण कहीं चेकअप नहीं करना चाहता था। उसे लगता की छोटी-मोटी समस्या है समय के साथ ठीक हो जाएगी।
ऐसे करते-करते ही महीने दो महीने बीत गये और भाई दूज का दिन आ गया।
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आज जब मृदुला भाई दूज पर अपने पति गोविंद जी के साथ में मायके आई तो शैलेश का उतरा चेहरा देखकर उसे लगा कि शैलेश हमेशा हंसने वाला उसका भाई आज कुछ उदास है। उसने शैलेश से पूछा कि शैलेश दुकान पर कोई समस्या है या तबीयत ठीक नहीं है। शैलेश ने यह कहकर टाल दिया कि अभी त्योहारौ और दुकान के काम की थकान है थोड़े दिन में सब सही हो जाएगा।
लेकिन मृदुला को उसके जवाब से संतुष्टि नहीं हुई,उसने घर में मां और भाभी से इस सबके बारे में पूछा तो मां आंखों में आंसू भर लाई। उसने कहा पता नहीं कैसा रोग लगा है कोई दवाई नहीं लगती पहले जैसे खाता पीता था हंसता था ,अब हर समय थका हुआ रहता है कमरे में ही लेटा रहता है। पहले दोनों बच्चियों के साथ हंसी-मजाक करता,समय बीताता था ,अब छोटी-छोटी बातों पर छल्लाने लगता है। भाभी भी अपनी साड़ी के आंचल से आंखों के कोर में आए आंसूओं को पौछतें हुए बोली दीदी आप ही अपने भैया से बात करो कहीं अच्छी जगह अपना चेकअप करा लें। आपका कहना वो कभी नहीं टालेंगे।
मृदुला शैलेश से लगभग 8 बरस बड़ी थी और उसने शैलेश के बचपन से लेकर अब तक उसको हर काम में मदद की थी। वो बड़ी बहन कम एक मां की तरह उसका ध्यान रखती। शैलेश भी अपने दीदी को बहुत मानता था। उसने आज तक अपनी बहन को हर सुख दुख में अपने साथ खड़े देखा ।बस इस समय वह अपनी बहन को और परेशान नहीं करना चाहता था
लेकिन मृदुला कहां मानने वाली थी उसने अपने पति गोविंद जी को सारी बात बताई और गोविंद जी भी स्वभाव के बहुत अच्छे भले इंसान थे, दोनों ने शैलेश को अच्छे अस्पताल में जांच करने के लिए कहा पर शैलेश खर्चे के कारण थोड़ा पीछे हट रहा था तब गोविंद जी ने कहा शैलेश तुम खर्चे की चिंता मत करो, सब हो जाएगा सबसे पहले तुम्हारा सही होना जरूरी है और सही जांच होने के बाद ही तुम्हारी बीमारी का सही कारण पता चलेगा।
हालांकि गोविंद जी भी एक मध्यम वर्ग के परिवार से ही थे, वे बैंक में नौकरी करते और मृदुला सरकारी स्कूल में टीचर थी।पर दोनों में ही संतुष्टि भाव प्रेम स्नेह दोनों के परिवारों के प्रति भरपूर भरा था । चाहे दोनों में से किसी भी परिवार को उन दोनों की जरूरत होती वे दोनों हर समय हर संभव मदद के लिए तैयार रहते।
शैलेश के मन में भी अपनी दीदी जीजा जी के प्रति प्रेम और सम्मान था। शैलेश उन दोनों को मना ना कर सका। उसकी एक अच्छे अस्पताल में सारी जांच हुई, तब जाकर पता चला कि उसके लीवर में इंफेक्शन हुआ है और धीरे-धीरे लीवर डैमेज हो रहा है। सारा परिवार सकते में आ गया ।डॉक्टर ने बताया कि लीवर का ऑपरेशन जल्द से जल्द करना पड़ेगा।
पर लीवर का डोनर इतनी आसानी से कहां मिलने वाला था।इन सब में छः महीने बीत गए। शैलेश की मां काफी बूढी हो गई थी और उन्हें शुगर की परेशानी थी ,पत्नी पर भी दो छोटी बच्चियों और परिवार की जिम्मेदारी थी । सभी का दिमाग सुन्न हो चुका था ।किसी का भी दिमाग सही से काम नहीं कर रहा था। अब तो शैलेश की महीने दो महीने में डायलिसिस करानी पड़ती।
यदि परिवार में किसी को कुछ बीमारी हो जाए तो वैसे ही दिमाग काम करना बंद कर देता है ऐसा ही कुछ यहां था। जान पहचान के लोगों में अस्पतालों में काफी खोजबीन की गई पर लीवर का डोनर नहीं मिल रहा था। ऐसा करते करते जुलाई का महीना आ गया, शैलेश की हालत अब देखी नहीं जाती थी।
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तब एक दिन मृदुला ने सभी के सामने अपना प्रस्ताव रखा कि वो अपने भाई को लिवर डोनेड करेगी। एक बारगी तो सब को यह सही नहीं लगा। लेकिन मृदुला ने सभी को समझाया,देखो ईश्वर की कृपा से मुझे बीपी या शुगर जैसी कोई बीमारी नहीं है और मेरा बेटा भी बड़ा होकर बाहर हॉस्टल में पढ़ रहा है और गोविंद जी काफी कुछ संभाल लेते हैं। ईश्वर पर भरोसा रखो वह सब ठीक कर देंगे और मुझे स्कूल से भी 3 महीने की सिकलीव आसानी से मिल जाएंगी।
मैं अपने भाई को यूं अब तड़पते हुए नहीं देख सकती। आखिर में जब कोई और रास्ता नहीं दिख रहा था तो सभी ने इस प्रस्ताव के लिए हां कर दी। डॉक्टर ने भी मृदुला की जांच के बाद उसे लिवर डोनेड करने के लिए बिल्कुल सही पाया।
फिर सारी तैयारी के बाद मृदुला ने अपने भाई शैलेश को लीवर डोनेड कर नया जीवनदान दिया। आज मृदुला अपने भाई के लिए बहन से बढ़कर मां बन गई। आज ऑपरेशन हुए एक हफ्ता बीत गया था ,और दोनों अभी भी अस्पताल में अच्छे स्वास्थ्य के लिए भर्ती थे। राखी का दिन भी आ गया । मां घर से राखी का थाल सजा लाई ,भाभी भी दोनों भाई बहन के लिए थोड़ी मीठी सेवइयां और दलिया बनाकर लाई।
शैलेश की बेटियों ने भी मृदुला के बेटे को राखी बांधी और जब आज जब मृदुला ने शैलेश को राखी बांधी तो पूरा अस्पताल का स्टाफ भी आंखों में आंसू लिए इस अनोखे रक्षाबंधन को देखकर हर्ष और गर्व महसूस कर रहा था और सभी कह रहे थे कि भाई बहन में प्यार हो तो ऐसा।
सभी पाठकों को मेरा सादर नमस्कार है। मेरी ये कहानी एक सच्ची घटना सेअपने ही लोगों से प्रेरित है।आप सभी से एक निवेदन है कि यदि आपको कहानी पसंद आती है तो उस पर अपने अनमोल विचार और टिप्पणियां रखकर मेरा मार्गदर्शन करें।
मौलिक स्वरचित
ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश
#बहन