कर्नल रविंद्र सैनी दिल्ली की एक पॉश कॉलोनी में रहते हैं जहां पर उनका पांच कमरों का एक बंगला बना हुआ है बांग्ला तो पाँच कमरों का बना है लेकिन उस बंगले में रहने वाले अकेले कर्नल सैनी ही है घर में सारी सुख सुविधाएं हैं उन्हें कोई काम भी नहीं करना पड़ता है !! खाना बनाने के लिए रसोईया है ,कहीं आने जाने के लिए घर में कार भी रखी है। कर्नल सैनी के पास सुख-सुविधाओं की तो कोई कमी नहीं है लेकिन अगर किसी चीज की कमी है तो वह है अपनेपन की , लोगों की और अपनों के साथ की !!
बुढ़ापे में जितनी जरूरत अपनों के प्यार – और साथ की होती है उतनी और किसी चीज की नहीं होती है। ऐसा नहीं है कि रविंद्र सैनी के बेटा बेटी या बहू नहीं है उनके दो बेटे और एक बेटी है !! एक बेटा पुणे में साइंटिस्ट है और दूसरा बेटा प्रयागराज में एक बहुत बड़ा वकील है और बेटी चंडीगढ़ के एक बड़े कॉलेज में प्रिंसिपल है !!
सैनी जी के तीनों ही बच्चे बहुत ही अच्छी अच्छी पोस्ट पर है लेकिन एक भी बेटे या बेटी के पास अपने पिता से मिलने का समय नहीं है !! दोनों बेटे और एक बेटी अपने अपने कामों में इतने व्यस्त हैं कि महीने भर में सिर्फ दो मिनट के लिए अपने पिता से बात करते हैं। थोड़ा सा हाल-चाल जानते हैं और बस फोन को काट देते हैं !! सैनी जी ने कितनी -बार अपने बेटों से कहा है बेटा जब से तुम्हारी मां गई है तब से मुझे इधर अकेले अच्छा नहीं लगता है।
अकेला घर खाने को दौड़ता है जब तक घर में मां थी तब तक तो बुढ़ापे का समय निकल जाता था लेकिन अब अकेले दिन नहीं कटता है मन करता है कि अपने बेटे बहू के पास चले जाओ उनके साथ अपनी बची कुची जिंदगी को बिताओ लेकिन एक भी बेटा अपने पिता की बात को सीरियसली नहीं लेता है एक कान से सुनता है दूसरे कान से निकाल देता है। एक दिन रविंद्र सैनी अपने बंगले के छोटे से पार्क एरिया में बैठे हैं
अकेले बैठे बैठे चाय पी रहे हैं लेकिन उनका दिल बहुत घबरा रहा है आज उन्हें अपनी पत्नी की बहुत याद आ रही थी क्योंकि आज उनकी पत्नी को गए हुए पूरे 2 साल हो गए हैं। पूरे दो साल से वह इस घर में अकेले रह रहे हैं इन 2 सालों में उनका एक भी बेटा और बेटी उनसे मिलने नहीं आए। क्योंकि उनके पास तो अपने काम के अलावा समय ही नहीं है बस जब मां का देहांत हुआ था तभी 4 दिन की छुट्टी लेकर के आए थे और उसके बाद वापस चले गए थे।
कर्नल रविंद्र सैनी बैठे-बैठे सोचते हैं की निर्मला तुम जब हमारे साथ रहती थी तो यही बंगला कितना हंसता खिल खिलाता था इसी बंगले में हमारे छोटे-छोटे बच्चे खेलते थे पूरा घर आंगन हरा भरा रहता था लेकिन अब तो बच्चे बड़े बड़े हो गए हैं तो अपनी घर गृहस्थी और नौकरी में व्यस्त हैं। और तुम भी मुझे छोड़ करके चली गई हो अरे कम से कम बुढ़ापे तक तुम ही मेरा साथ दे देती पर तुम भी मुझे छोडकर चली गई।
अपनी पत्नी को याद करते करते उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं वह अपनी चाय का कप अंदर रसोई में लाकर रख देते हैं अपने कमरे में आकर गहरी सोच में डूब जाते हैं कि अकेले बुढ़ापे में जिंदगी काटना कितना मुश्किल होता है मुझे तो अपनी जिंदगी बहुत भारी लग रही है अरे कम से कम बच्चे ही मुझसे बात करते रहें मिलते रहें मैं तो बच्चों से ज्यादा उम्मीद वैसे भी नहीं करता हूं। बस इतना चाहता हूं कि वह मुझसे ठीक से बात कर ले थोड़ा सा समय दे दे इधर आ नहीं सकते हैं तो कम से कम रोज मुझे शाम को 5 मिनट के लिए फोन ही कर लिया करें पर मेरे बच्चे मेरे लिए इतना भी समय नहीं निकाल सकते हैं
अचानक से वह फोन उठा कर के अपने दोनों बेटो को फोन करते हैं दोनों बेटे फोन तो उठा लेते हैं लेकिन यह कहकर फटाफट से फोन काट देते हैं कि वह अभी बिजी है कोई जरूरी बात हो तो मैसेज कर देना हम आपको फ्री होकर के कॉल करेंगे। फिर वह अपनी बेटी को कॉल करते हैं बेटी भी कॉलेज में होती है और कहती है डैडी अभी कॉलेज में एग्जाम चल रहे हैं मेरी ड्यूटी लगी हुई है चैकिंग करना पड़ता है !! मैं आपसे बाद में बात करती हूं और बेटी भी फोन को काट देती है। रविंद्र सैनी अपने बेटे के फोन आने का इंतजार करने लगते हैं पूरा हफ्ता निकल जाता है
लेकिन एक भी बेटा उन्हें फोन नहीं करता है क्योंकि किसी भी बेटे के पास उनके लिए समय ही नहीं है। जो थोड़ा बहुत समय होता है वह अपने परिवार और बच्चों को देते हैं। लेकिन बूढ़े पिता के प्रति भी तो उनका कुछ ना कुछ फर्ज बनता है रविंद्र सैनी 10 दिन बाद फिर से अपने दोनों बेटों को सुबह 5 बजे ही फोन करते हैं और कहते हैं बेटा अभी तो तुम ऑफिस भी नहीं गए होंगे इसीलिए मैंने तुम दोनों को सुबह सुबह फोन कर दिया जिससे बात हो जाए। बेटे बडबडाते हुए कहते हैं हां बताओ किस लिए फोन किया है पूरी नींद खराब कर दी ऐसा भी क्या जरूरी काम था
जो इतनी सुबह सुबह फोन मिला दिया। बेटा,, मैं कह रहा था कि अगले महीने दिवाली है तुम्हारी मां को गए हुए भी पूरे 2 साल हो गए हैं तब से तुम लोग एक भी त्यौहार पर घर नहीं आए हो बिना बच्चों के त्यौहार पर घर सूना सूना लगता है तो मैं सोच रहा हूं कि तुम सब इस बार दिवाली पर बच्चों को लेकर घर आ जाओ साथ में मिलकर दिवाली मनाएंगे। छोटा बेटा चिल्लाता हुआ कहता है
आपने मुझसे बिना पूछे ही कैसे सोच लिया कि मैं दिवाली पर घर आऊंगा अरे मैं आपको बताने ही वाला था कि मैंने इधर एक बहुत बड़ी सोसाइटी सोसाइटी में अपना फ्लैट खरीद लिया है और उस घर में मेरी -पहली दिवाली है तो मैं तो आ नहीं पाऊंगा अपने घर में ही मैं दिवाली मनाऊंगा!! आप बड़े भाई से पूछ लो अगर वह आए तो ठीक है। बेचारे कर्नल सैनी जी मायूस हो जाते हैं और बड़े बेटे से भी पूछते हैं तुम तो आ जाओगे ना तुम्हें तो कोई दिक्कत नहीं है आने में,, बड़ा बेटा कहता है
मेरे ऑफिस में दिवाली पर ज्यादा छुट्टियां नहीं है सिर्फ 2 दिन की छुट्टी है और इन 2 दिनों की छुट्टी में तो मैं घर पर कैसे आऊंगा क्योंकि 2 दिन 3 दिन तो आने जाने के लिए लग जाते हैं, इसीलिए मेरी तो मजबूरी है कि में घर नहीं आ पाऊंगा। रविंद्र सैनी जी फिर से मायूस हो जाते हैं फोन को सोफे पर पटक कर अपनी छडी उठा कर बंगले से बाहर निकाल कर टहलने लगते हैं आज उन्हें अपने दोनों बेटों पर गुस्सा आ रहा था एक भी बेटा घर आने के लिए, अपने बूढ़े बाप का हाल-चाल लेने के लिए तैयार नहीं है
अरे मेरी भी तो कुछ इच्छाएं हैं कि अपने नाती पोतों से मिलू अपने बेटे बहुओं के साथ रहू और उनके पास मेरे लिए 1 दिन का भी समय नहीं है। टहलते हुए रविंद्र सैनी जी एक निर्णय लेते हैं कि बेटे नहीं आ पा रहे हैं तो क्या हुआ उनके पास समय नहीं है तो क्या हुआ, पर मेरे पास तो समय है मैं तो जा सकता हूं अपने बेटों के पास ऐसा सोचते ही उनकी आंखों में चमक आ जाती है। वह वापस से आकर अपने बेटे को फिर से फोन करते हैं और बड़े बेटे से कहते हैं बेटा तुम्हारे पास छुट्टियां नहीं है समय नहीं है
तो कोई बात नहीं लेकिन इस बूढ़े बाप के पास तो समय ही समय है मैं तुम्हारे पास आ जाता हूं। ठीक है पिताजी आ जाइए और अपने साथ उधर से एक कुक और टेक केयर करने वाला जरूर ले आइए क्योंकि मेरे घर में तो 4 कमरे हैं और चारों ही कमरे बटे हुए हैं एक भी कमरा खाली नहीं है लेकिन हां पास की ही सोसाइटी में मेरा एक 2 बीएचके का फ्लैट है उसमें मैं आपके लिए सारी खाने पीने की व्यवस्थाएं कर दूंगा।
इसीलिए कह रहा हूं कि अपने साथ एक खाना बनाने वाला कुक और आपकी दवाइयों का ध्यान रखने वाला जरूर ले आइएगा। क्योंकि मेरे पास तो इतना समय नहीं होगा कि मैं आपके पास आकर आपका ध्यान रख सकूं बेटे की बात सुनकर के रविंद्र सैनी जी दंग रह जाते हैं सोचते है कि जब बेटे के पास जाकर के भी अलग फ्लैट में ही रहना है तो फिर अपना बंगला ही अच्छा है जब उधर जाकर भी बहु बेटे नाती पोतों के साथ नहीं रह पाऊंगा तो कम से कम अपने घर में अपनी पत्नी की यादों के साथ तो रहता हूं।
लेकिन आज उनको अपने दोनों ही बेटों पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अब उनका गुस्सा इतनी जल्दी शांत होने वाला नहीं था उन्होंने अपने बेटों को सबक सिखाने की ठान ली थी सोच लिया था कि आप अपने बेटों को सबक सिखाके रहेंगे। अरे बेटे ऐसी कौन सी पोस्ट पर पहुंच गए हैं जो अपने बुढे बाप के लिए उनके पास एक दिन का भी समय नहीं हैं 2 साल से ऊपर हो गया एक बार भी मुझसे मिलने नहीं आए मेरी तबीयत के बारे में नहीं पूछा महीनों तक फोन नहीं करते हैं।
अब ऐसे नहीं चलेगा बच्चों के भी अपने माता-पिता के प्रति कुछ फर्ज होते हैं माता-पिता तो अपने बेटे के प्रति सारे फर्ज निभाते हैं लेकिन जब माता-पिता के प्रति बच्चों के फर्ज निभाने की बारी आती है तो बच्चे बड़े होकर के अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और व्यस्तता का नाम देकर फ्री होना चाहते हैं। और फिर नरेंद्र सैनी जी ने आज ऐसा कदम उठाया जिसकी चर्चा हर जगह होने लगी क्योंकि सैनी जी अपने बेटों के खिलाफ कोर्ट में पहुंच गए थे।
और आज एक बूढे बाप ने अपने ही बेटों के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज की है हर कोई इस केस को सुनकर दंग था आखिरकार कर्नल सैनी का अपने बेटों से ऐसा क्या झगड़ा हो गया जो उन्होंने अपने ही बेटों पर केस कर दिया। जज साहब भी इस अनोखे केस को देखकर के आश्चर्यचकित थे उन्होंने सैनी जी से पूछा आपको क्या शिकायत है अपने बेटे से,, बूढ़े बाप ने कहा कि मैं अपने बेटे से उसकी हैसियत के हिसाब से हर महीने अपना खर्चा चाहता हूं जब साहब फिर से कहते हैं वह तो आपका हक है तो इसमें कोर्ट केस करने की क्या जरूरत है आपके बेटे हर महीने आपको खर्च दे देंगे।
बूढ़े बाप ने फिर कहा मेरे पास पैसों की कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी मुझे अपने बेटों से खर्चा चाहिए चाहे वह कम दें या ज्यादा थे वह उनकी मर्जी है जज साहब सैनी जी की बात को सुनकर के आश्चर्यचकित होकर कहते हैं जब आपके पास पैसों की कमी नहीं है तो फिर आप अपने बेटों से अपने लिए खर्चा क्यों मांगना चाहते हैं। बूढ़े पिता ने अपने बेटे का नाम और पता देते हुए कहा जज साहब क्या आप मेरे बेटे को अदालत में बुलाएंगे तो आपको सब कुछ पता चल जाएगा। जब दोनो बेटे अदालत में आये तो जज साहब ने बेटे से कहा कि आपके पिताजी आप से हर महीने खर्चा लेना चाहते हैं,,
चाहे वह कम ही क्यों ना हो। बेटा भी जज साहब की बात सुनकर दंग रह जाता है और अपने पिताजी की तरफ देखता है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया मेरे पिताजी तो बहुत अमीर है उनके पास बंगला है गाड़ी है पैसों की कोई कमी नहीं है फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। जज साहब ने कहा यह अनोखी मांग तो तुम्हारे पिताजी की है उन्हें से पूछिए कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।
बूढ़े पिता ने जज साहब से कहा कि आप मेरे बेटे से कहिए कि वह मुझे हर महीने ₹500 देगा और वह भी अपने हाथों से और उस पैसे में बिल्कुल भी देरी नहीं करेगा जज साहब ने बेटे से कहा कि तुम हर महीने ₹500 बिना किसी देरी के अपने पिता के हाथ में रखोगे। अदालत तुम्हें यह आदेश देती है। अदालत ने आदेश दिया है बूढ़े पिता ने केस किया है तो बेटों को तो अदालत की बात माननी ही पड़ेगी वह हर महीने अपने बूढ़े पिता को अपने हाथों से ₹500 देने के लिए तैयार हो जाते हैं और फिर केस उधर ही रफा-दफा हो जाता है।
लेकिन जज साहब के मन में एक प्रश्न बार-बार आ रहा था कि ऐसी क्या वजह रही है जिसकी वजह से सैनी जी अपने बेटों से गुजारा भत्ता मांग रहे हैं जबकि उनके पास तो पैसों की कोई कमी नहीं है अरे ₹500 उनके लिए क्या मायने रखते हैं लेकिन फिर भी वह ₹500 अपने बेटों से मांग रहे हैं। केस खत्म हो जाने के बाद जब रविंद्र सैनी जी कोर्ट से जाने लगते हैं तो जज साहब सैनी जी को अपने पास बुला कर पूछते हैं कि अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपसे एक बात पूछ सकता हूं कि आपने अपने बेटे के खिलाफ मुकदमा क्यों किया आप तो बहुत अमीर है और जब मुकदमा किया ही था
तो ₹500 ही क्यों मांगे? पिता ने मुस्कुराते हुए कहा जज साहब मैं अपने बेटे को देखना चाहता था अरे मैं तो अपने बेटों का चेहरा देखने के लिए तरस गया था मेरे दोनों ही बेटे अपने कामों में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने पिता से मिलने का समय ही नहीं है एक जमाना गुजर गया है उन से नहीं मिला हूं और ना ही उनसे फोन पर बात हो पाती है मुझे अपने बेटों से बहुत प्यार है
इसीलिए मैंने उन पर ही केस किया है ताकि हर महीने ₹500 की धनराशि देने की वजह से मैं उनसे मिल सकूं उन्हें देख सकूं और देख कर के खुश हो लिया करू वैसे तो मेरे बच्चों के पास समय नहीं होता है लेकिन कोर्ट का आदेश मानने के लिए और मेरे पास पैसे देने आएंगे तो मैं अपने बेटों से मिलूंगा देख लूंगा मन को तसल्ली हो जाएगी। बूढ़े पिता की बात सुनकर के जज साहब की आंखों में भी आंसू आ जाते हैं और वह सैनी जी से कहते हैं कि आपने अगर पहले कहा होता तो मैं आपके दोनों बेटों को आपका ख्याल ना रखने के जुर्म में सजा भी दे देता लेकिन बूढ़े बाप ने कहा आप सजा कराते तो फिर यह तो मेरे लिए और भी दुख की बात होती क्योंकि सच में मैं अपने बेटों से बहुत प्यार करता हूं
और मैं बिल्कुल भी नहीं चाहूंगा कि मेरी वजह से मेरे बेटो को कुछ भी सजा मिले या मेरे बेटे जरा सी भी तकलीफ में रहे। पिता का बेटो के खिलाफ यह अनोखा केस देखकर जज साहब की भी आंखें भर आई !! दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हम जिंदगी की भाग दौड़ में पैसे कमाने में इतने वयस्त ना हो जाए कि अपने परिवार के अपने बूढ़े मां बाप के पास बैठने का भी समय ना निकाल सके।
उनसे मिलने का समय ना निकाल सके। पिता का तो नाम ही ऐसा है जो हमेशा जिम्मेदारियों संघर्ष और दुख को सहन कर जाता है वह हमेशा अपने परिवार की खुशियों के बारे में सोचता है। परिवार से दूर होकर भी और अपने बच्चों को हमेशा खुशियां देना चाहता है। तो दोस्तों आपको आज की कहानी कैसी लगी अगर पसंद आई हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा।। ऐसी ही कहानियां पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो जरूर कीजिएगा !!
आपकी सहेली स्वाती जैंन