अनमोल रिश्ते – स्नेह ज्योति : Moral Stories in Hindi

कांता ओ कांता जल्दी से ऊपर जा बारिश आने वाली है । सारे कपड़े गंदे हो जाएंगे फटाफट से उतार कर लिया । क्या भाभी ? जब मैं पढ़ रही होती हूँ तभी तुम्हें सारें काम कराने होते हैं । जल्दी जाने का बोल सरला अपने पति के लिए चाय बनाने चली गई ।

सरला के जाने के बाद कांता भी पढ़ाई में लग गयी और छत से कपड़े नीचे लाना भूल गयी । जब कांता को याद आया तब तक तो उसके घर में कोहराम मच चुका था । सरला अपने पति शरद को चिल्ला के बोली कि तुमने इस लड़की को सिर पर चढ़ा दिया है ।

कोई काम नहीं करती , जब कुछ करने का कहो तो झट से मना कर देती है । यही समय है इसे कुछ सिखाने और समझाने का । क्या सरला….. मेरी प्यारी बहन को डॉक्टर बनना है और तुम्हें तो पता ही है कि डॉक्टर बनना आज के दौर में कितना मुश्किल है ।

कमाल है शरद एक तुम्हारी ही बहन है जो डॉक्टर की पढ़ाई कर रही है । रतना भी तो है जो इसी के साथ पढ़ती है । लेकिन वो घर के सारें काम करती है । तभी कांता अंदर से आती है और कहती है …..भाभी आप उसकी माँ की तरह थोड़ी है जो मुझ पर इतना अत्याचार करो ।

इतना बोल वो सरला से लिपट गयी । सरला भी मोम पड़ने लगी और बोली आज तो माफ़ कर दिया लेकिन आगे से कोई बात नहीं मानी तो तुझे सजा मिलेगी । ठीक है मेरी प्यारी भाभी जो तुम्हारा मन हो दे देना ।

ऐसे ही वक्त बीतता चला गया । कांता अपनी पढ़ाई और सरला अपने घर के कामों में व्यस्त हो गयी । सरला की डिलिवरी का वक्त भी समीप आता जा रहा था । शरद ने कांता को सरला का ध्यान रखने का कहा था । वैसे तो वो बहुत ध्यान रखती लेकिन जब पढ़ने बैठ जाती तो सब भूल जाती थी ।

एक शाम सरला ने कांता को कई बार आवाज़ लगायी लेकिन कमरा बंद होने के कारण कांता सरला की आवाज़ नहीं सुन पाई । जब शरद घर आया तो उसने देखा कि सरला कुर्सी पर बैठी हुई है और कोई जवाब नहीं दे रही । तभी शरद सरला के पास गया तो उसने सरला को बेहोश पाया ।

उसे इस हालत में देख शरद कांता कांता चिल्लाने लगा थोड़ी देर में जब काम वाली आयी तो शरद ने उसकी मदद से सरला को उठाया और कार में बैठा हॉस्पिटल ले कर चला गया। शाम के सात बज रहे थे कांता को जब भूख लगी तो वो नीचे उतर कर आयी और घर में किसी को ना पाकर घबरा गयी ।

तभी काम करने वाली ने बताया कि भाभी की तबियत ज़्यादा ख़राब हो गयी थी । इसलिए भैया उन्हें हॉस्पिटल लेकर गए है ।

खाना बना काम वाली चली गई । लेकिन घबराई कांता इधर-उधर टहलने लगी । शाम से रात हो गयी पर कोई ख़बर ना आयी । कुछ देर बाद फ़ोन की घंटी बजी कांता दौड़ते हुए गयी और हाफ़ने लगी दूसरी ओर से शरद ने बताया कि उनके यहाँ बेटा हुआ है ।

ये ख़बर सुन कांता की जान में जान आयी । भाई मैं आ सकती हूँ ! नहीं , अभी रात हो चुकी है । मैं कल सुबह आता हूँ तब बात करते है । ख़ुशी में कांता खाना खाना भी भूल गयी ।

अगली सुबह कांता नहा धो कर अपने हाथों से खाना बना रही थी । उसने सोचा कि मैं भाई भाभी को अपने हाथ से बना खाना खिलाऊँगी तो वो बहुत खुश होंगे । थोड़ी देर बाद दरवाज़े की घंटी बजती है कांता दौड़ के जाती है । शरद को देख वो गले से लग जाती है ।

भाई मैं भाभी से मिलने को तैयार हूँ चलो हम चलते हैं । तभी कुछ लोग स्ट्रेचर पर सरला को लेकर आते है । सरला को ऐसे देख वो अपने होशों हवास खो देती है और बेजान पत्थर हो जाती है । जब सब सरला को लेकर जा रहे होते है तो वो बहुत रोती है ।

लेकिन शरद को उस पर दया नहीं ग़ुस्सा आ रहा था । शमशान से आने के बाद शरद ने देखा कि बच्चा कांता की गोद में है उसने तुरंत कांता से बच्चे को छीन लिया । और अपनी मौसी से कहा कि यें मेरे बच्चे के पास भी ना आए । कांता को यक़ीन नहीं हो रहा था कि ये उसका वही भाई है जो उसे तकलीफ़ में भी देख नहीं सकता था ।

सारा घर तीतर बितर हो गया था । मौसी ने जाने से पहले कांता को समझाया की अब उसे ही घर को सम्भालना है । जब शरद ऑफिस चला जाता तो ध्रुव को कांता ही सम्भालती । जैसे ही शरद के आने का समय होता तो वो काम वाली को दे देती ।

एक रात ध्रुव रोए जा रहा था शरद को समझ नहीं आया तो उसने डॉक्टर से पूछ उसे दवाई भी दी । लेकिन वो फिर भी रोए ही जा रहा था । तभी कांता भाग के आयी और उसे अपने भाई की गोद से ले लिया । उसकी गोद में जाते ही वो चुप हो गया ।

ये देख वो समझ गया कि कांता इसका ध्यान रखती है । ध्रुव के सो जाने के बाद कांता शरद के पास गई और उससे माफ़ी माँगने लगी । भाई मुझें माफ़ कर दो आज मेरी लापरवाही की वजह से एक बेटा अपनी माँ से दूर हो गया है । ये सब तुम्हें आज समझ आया है

जब हम सरला को खो चुके है । माफ़ करदे भाई बोल वो उसके पैरों में गिर पड़ी । भाई आज मैं जान चुकी हूँ कि समय कितना बलवान है । अगर आप सही समय पर सही काम ना करो तो सब कुछ खो देते हो । जैसें मैंने अपना सबसे क़ीमती रिश्ता माँ जैसी भाभी को खो दिया है ।

शरद ने उसे उठा गले से लगाया । भाई आप चिंता ना करे आज से इस घर और ध्रुव की ज़िम्मेदारी मेरी है । अब मैं आपको शिकायत का कोई मौक़ा नहीं दूँगी । लेकिन कांता तुम्हारी पढ़ाई …… भाई सब लड़कियाँ पढ़ाई के साथ घर के काम भी करती है ।मैं भी कर लूँगी। यें सुन शरद को यकीन हो गया कि उसकी छोटी बहन अब सच में बड़ी हो गई है ।

#कीमत

स्नेह ज्योति

2 thoughts on “अनमोल रिश्ते – स्नेह ज्योति : Moral Stories in Hindi”

  1. एक जान जाने के बाद बड़ी हुई
    वही अगर भाभी थोड़ी सख्ती करती तो तो सब सही होता लेकिन भाभी को दुनिया ताने मारती

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