मैं एक शिक्षिका हूं .एक बेसिक स्कूल में पढ़ाती हूं.मैं कक्षा छह में एक दिन विज्ञान पढ़ा रही थी.पढ़ाते -पढ़ाते मैं बच्चों को अंधविश्वास की हानियों से परिचित कराने लगी.इसी क्रम में मैं समझाने लगी कि कुछ औरतें यह दावा करती हैं कि उन पर देवी आती हैं. यह गलत है. वह देवी के नाम पर चढ़ावा रुपए आदि लेती हैं..देवी को रुपए चढ़ावे की क्या जरूरत ? बहुत से लोग अपना कार्य सिद्ध करवाने के लिए बलि का भी चढ़वा देते हैं लेकिन इससे उनका कार्य तो सिद्ध होता नहीं ,उल्टे हत्या के आरोप में जेल की सजा हो जाती है.
मेरे सिखाने का यह परिणाम निकला कि विद्यालय में एक लड़की नाराज हो गई क्योंकि उसकी मां पर देवी आती थीं ..उसने बच्चों से कहा जाओ विज्ञान वाली मैडम को बुलाकर लाओ ! मैंने कहा -उसी को मेरे पास भेजो .जब वह स्टाफ रूम में आई तो काली देवी का रूप रखकर दोनों पैर हाथ फैला कर और जीभ निकाल कर खड़ी हो गई और मेरी तरफ उंगली कर कर बोली करके बोली -तू क्या कह रही थी कि मेरी मां लोगों को ठगती है .तेरा बुरा हो जाएगा मैंने कहा चल भाग यहां से अभी मारूंगी तो सही हो जाएगी .वह चली गई इसके 15 मिनट बाद मैं कक्षा में गई और मैंने गणित पढ़ाया.उस समय वह लड़की ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो और मेरे सवालों के फटाफट जवाब दे रही थी. मैं भी आश्चर्य में पड़ गई .
बाद में मैंने पता किया उसके बारे में तो बच्चों ने बताया वह कक्षा के बच्चों को परेशान करती थी. किसी से कहती मेरे लिए पानी लाओ, अपना एमडीएम (खाना) कक्षा में ही बच्चों से मंगवाती थी. एक लड़की जो यह सब नहीं मानती थी वह बता रही थी कि मैं कक्षा में नाच रही थी तो यह मुझसे बोली नाचना बंद कर नहीं तो मैं तुझे भस्म कर दूंगी.मेरे साथ यह घटना हो जाने के बाद वह कक्षा में जाकर बच्चों से बोली मैं रात में मैडम को भयानक सपना दूंगी .कल यह स्कूल नहीं आ पाएंगी. अगले दिन मैं स्कूल आई तो मैंने बच्चों को बताया मुझे कोई भी सपना नहीं आया .तो बच्चे बोले मैडम आपको सपना इसलिए नहीं आया क्योंकि हम लोगों ने उससे प्रार्थना की थी कि तुम कृपया हमारी मैडम को कुछ मत करना .
फिर बच्चों ने बताया वही देवी वाली लड़की बोली आज रात में मेरी मां मैडम को उठाकर फेकेंगी .बच्चे मुझे बार बार बताने आते कि वह यह कह रही है.मैंने सुना तो कहा रात में ही क्यों फेकेंगी ,दिन में क्या उनकी शक्तियां कम पड़ जाती हैं. मुझे दिन में ही उठाकर क्यों नहीं फेंकती.फिर मैंने कहा मैं इस लड़की का नाम का काट दूंगी क्योंकि पूरे स्कूल में दहशत का माहौल बना रखा है . तो उसकी मां बोली तुम नाम कैसे काटोगी.मैंने बताया कि वह बच्चों को देवी का रूप रख रख कर परेशान करती रहती है तो उसकी मां ने तो पैंतरा ही बदल लिया .कहने लगी और तुम बच्चों से कह रही थी कि तुम हाथ पर नींबू रखकर मुझे भस्म कर दोगी . मैं तो अवाक रह गई मैंने कहा- बच्चों बताओ मैंने ऐसा कहा . मन में डर भी रही थी कि कहीं बच्चे उसके डर की वजह से झूठ ना बोल दे .बच्चे बोले ,-नहीं कहा .
मैंने उसकी मां से कहा यदि स्कूल में यह ऐसे नाटक करेगी तो नाम कटेगा तो मां बोली हम देवी से कह देंगे वह अब हमारी लड़की पर नाय आवैंगी (नहीं आएंगी) और तब से जब तक वह स्कूल में पढ़ी कभी भी उस पर देवी नहीं आई .
हमारे गांवों में अंधविश्वास की जड़ें बहुत गहरी हैं .उनसे लोगों को निकाल पाना रेगिस्तान से पानी निकालने के समान है. बच्चों का कोमल मन होता है यदि शिक्षक बच्चों को अंधविश्वास से दूर रहने की शिक्षा दें तो धीरे-धीरे समाज से यह कुरीति समाप्त होगी . लोग ठगी और भय के चंगुल से मुक्त हो सकेंगे .
(सत्य घटना पर आधारित)
ममता गंगवार
पीलीभीत