धनिया रोज़ की तरह काम पर जाने से पहले बेटी से कहते हुए,
“नूरी चिटकनी लगा ले बेटा।इतने में बेटी हाथ में एक फूल देते हुए कहती है।”मां! आज तू आराम कर।आज तेरा जन्मदिन है ना।आज बर्तन मैं मांज कर आयूंगी तेरे घरो के।
अरे!” आज मेरा जन्मदिन है।हैरान होती धनिया ने कहा।
हां मां।आधार कार्ड में तो आज की ही तारीख है।वो क्या कहते है अंग्रेजी में।हैप्पी बर्थडे मां।
और मुझे क्या बोलना होगा।मां ने हंस कर पूछा।
वो मैडम क्या बोलती है जिनके घर मैं काम करती हूं।हां याद आया।थनकू।
थैंक्यू मां! थैंक्यू कहते है।बेटी ने प्यार से हंसते हुए कहा।हां !हां !वही।और दोनों मां बेटी जोर जोर से हंसने लगती है।
“आज कितने समय के बाद वीरान झोपड़ी में खुशी की एक किरण प्रवेश हुई थी।”अंधेरे संसार में कलियों जैसे खिलखिलाती हुई मुस्कान से पूरी झोपड़ी मानो वीरान अंधेरे जंगल में सुबह के उजाले की जैसे पहली किरण के समान थी।
“तभी बेटी ने फिर कहा। आज मां को एक बेटी की तरफ से एक प्यारा सा तोहफा।
तोहफा आराम का। पूरे दिन कोई काम नहीं। सिर्फ आराम।यह सब सुनकर मां की आंखों में अश्रु की धारा बह रही थी ।
मां धनिया बेटी नूरी से कहती है, “ऐसा तोहफा तो बेटा दुनिया का सबसे बड़ा उपहार है। तूने मेरी फिक्र की। यही बहुत बड़ी बात है।
“इतने में बेटी मां से कहती है।मां मैं जाती हूं काम पर।”आज तू चिटकनी लगा लेना।रोज तू मुझे कहती है। आज मैं तुझे कह रही हूं।नूरी ने मां से हंसते हुए कहा।
काम से वापस आते हुए नूरी ने मां के लिए बालों में लगाने के लिए गजरे खरीदें।और घर वापस आकर उसे उपहार में देते हुए कहा। “तुझे गजरे पसंद है ना मां।चल इसे अपने बालों में लगा और दिखा मुझे मेरी प्यारी सी मां कैसी लग रही है?
बेटी ने फिर मां से कहा।”यकीन मान मां! जब से पिछले साल बापू इस दुनिया से गया है। हम दोनों इस संसार में अकेले हो गये ।ऊपर से हमारी गरीबी और लाचारी ।
वो था तब भी पी कर पड़ा रहता था ।कभी सुख नहीं दिया। मार ही खायी है सदा मैंने । जो भी कमाती थी छीन लेता था तेरा बापू ।
खैर तू ये सब छोड़ । माँ ने बेटी से कहा ।
पर माँ आज तुझे हँसता देख कर अच्छा लगा ।दिल को सुकून आ गया।
नूरी ने माँ से कहा ।
आज धनिया सोच रही थी ऐसा जन्मदिन तो कभी ना मना उसका।और खुशी से उसने अपनी बेटी को गले लगा लिया।
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ज्योति आहूजा।