वो कई दिनों से देख रहे थे…अम्मा बहुत चुप चुप सी रह रही हैं। गोलू को तो कभी कभी कुछ टोक भी देती हैं..हल्का फुल्का डाँट भी लेती हैं पर उनके और मनीषा के मामले में एकदम शान्ति। रवि इस बात को आत्मसात नहीं कर पा रहे थे…एकदिन पत्नी से पूछ ही बैठे,”ये अम्मा को क्या हो गया है…एकाएक इतनी शांत कैसे हो गई हैं? तुमने कुछ कह दिया है क्या?”
वो आहत होकर बोली,”वो सिर्फ तुम्हारी ही नही…मेरी भी अम्मा हैं, बल्कि मुझ मातृहीना की तो तुमसे भी ज्यादा। मुझे स्वयं बहुत ताज्जुब हो रहा है। कुछ अंदरूनी बीमारी तो नही है…जो वो छिपा रही हैं।”
उसी दिन की तो बात है। ठण्ड पड़ने लगी थी…गीज़र खराब था…अब कौन गैस पर पानी गर्म करे…आंगन के हैंडपम्प में खूब ताजा और गर्म पानी आ रहा था। उन्होने झटके से गोलू को भी नहला डाला और स्वयं भी नहा लिए। वो रोता हुआ अम्मा के पास भाग गया… बस क्या था…वो बिगड़ गई,”तू बहुत बड़ा हीरो हीरा लाल है पर बच्चे पर दया कर। वो तेरी तरह हीरो नहीं है…खुले आंगन में ठण्डे पानी से नहला डाला”
वो सॉरी अम्मा कहते रह गए थे। गोलू की तो आदत ही थी कि अम्मा को भड़का कर अपने मम्मी पापा को डाँट खिलवाता रहता था। मनीषा भी उनकी प्यारी डाँट खाकर मस्त रहती थी…आज तो वो भी कह रही थी….हमारी पुरानी अम्मा को किसी तरह वापिस ले आओ।”
वो बहुत दुखी और परेशान होकर सोच रहे थे। मानसपटल पर फिर एक किस्सा उछलकूद मचाने लगा…धूप में गोलू के साथ रेस लगा रहे थे। श्रीमान् जी तेजी में उनसे टकरा कर गिर गए…गला फाड़ कर रोने चिल्लाने लगे। बस क्या था…अम्मा के आशीर्वादों के फूल झड़ने लगे,”देख कर दौड़ नहीं लगा सकते। हमारे लल्ला को चोट लगा दी।”
अब उन्हें तो कुछ कह नहीं सकते थे, खिसिया कर उनके लल्ला के कान खींच दिए थे। लल्ला जी का चीत्कार और उनके समर्थन में अम्मा का रुदन…बाप रे…पर ऐसी प्यारी अम्मा को ये क्या हो गया है…आज उन्हें घेर कर पूछ ही डाला। वो सकुचा गई,”और कोई बात नही है…अब तुम बड़े हो गए हो…एक बच्चे के बाप हो गए हो…अब हमको थोड़ा दम धरना ही होगा।”
वो बहुत हैरान हो गए,”हम बड़े हो गए हैं…इस शैतान के बाप बन गए हैं पर तुमसे बड़े तो नहीं हो गए। तुम्हारे लिए तो हम अभी बच्चे ही हैं।”
वो हँस दी…दूर खड़ी मनीषा अम्मा की वापसी पर मुस्कुरा दी।
नीरजा कृष्णा पटना