अमित चला गया – उमा वर्मा 

 पड़ोस की सुधा मौसी का ननद का बेटा अपनी मामी के यहाँ पढ़ाई करने आया था और चूंकि मौसी के परिवार से हमारी गहरी नजदीकी थी तो हम एक साथ  खेलते कूदते स्कूल से कालेज भी पहुंच गये।फिर कब वह मन को अच्छा लगने लगा इसका पता ही नहीं चला ।चूंकि सुधा मौसी से हमारा पारिवारिक रिशता और गहरी दोस्ती थी तो खाली समय में हमारी ताश और कैरम की बाजी भी खूब जमती ।

अमित ही नाम था उसका ।खूब ऊंचा, पूरा गोरा चिट्टा सा खूब सूरत सा था वह ।मै पढ़ाई में थोड़ी कमजोर थी तो वह मेरी मदद कर देता ।कभी वह हमारे यहाँ आ जाता ।कभी हम वहां चले जाते ।एक दिन जब सुधा मौसी जब घर में नहीं थी,शायद पड़ोस में किसी के यहाँ पूजा था तो वहां गई हुई थी तभी मौका पाकर अमित ने मेरा रास्ता रोक लिया “” कहाँ भाग रही हो, कुछ देर मेरे पास नहीं रुक सकती हो क्या “” ? “” हाँ तो बोलो ना, क्या कहना है “” मैंने सवाल किया ।”” देखो रीना, मै कल चला  जाऊंगा ।पहले पढ़ाई  फिर जाब तो करनी ही होगी ।

थोड़ा समय तो लगेगा ही ।मै तुम्हे  बहुत पसंद करता हूँ, मेरा इन्तजार तो करोगी ना? ” नौकरी लगते ही मै तुम्हारे मम्मी पापा से तुम्हारा  हाथ मांग लूँगा ।मै चुप थी क्या  कहती।वह भी तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था ।उसे जब भी देखती मन में कोई कह उठता ” यही तो है वह जिसका मुझे इन्तजार था ।लगता जैसे पिछले जन्म का कोई  अपना सा  हो ।वह कहता तुम्हारा हाथ किस बूते पर माँगू, और कोई क्यो  एक नाकारे और बेरोजगार को अपनी बेटी देगा।फिर वह चला गया इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने पूना।उसके बिना  सब कुछ सूना सूना सा लगता ।

मेरे रातों की नींद, दिन का चैन सब कुछ वह अपने साथ ले गया ।कुछ दिनों बाद दिन चर्या  सामान्य होने लगी ।मै भी अपनी पढ़ाई  पर ध्यान देने लगी ।सुधा मौसी से ही अमित का हालचाल मिल जाता जब वे और मम्मी आपस में बात करती।चलो किसी से भी समाचार मिल गया, क्या फर्क पड़ता है ।सीधे तो पूछ ही नहीं सकती थी ।डर भी तो था  मन की चोरी कोई पकड़ न ले।मेरी पढाई  आगे  चल ही रही थी कि एक दिन मम्मी ने कहा ” आज शाम को जरा ठीक से तैयार हो जाना, लड़के वाले आ रहे हैं देखने ” इसी बीच सुधा मौसी भी अपने पति के साथ कहीँ दूसरे जगह चली गई थी ।मौसा जी की बदली दूसरे शहर में हो गई थी ।


अब अमित का कोई समाचार नहीं मिलता था ।उसने भी तो कोई  खबर देना जरूरी नहीं समझा था ।बहुत गुस्सा आता उसपर ।मम्मी से कहा ” मम्मी अभी तो मुझे बहुत पढ़ाई करनी है, शादी कैसे कर लूं? ” “” ठीक है बेटा, करो न तुम पढ़ाई, कौन मना किया है ।लड़के के परिवार वाले बहुत अच्छे हैं, मैंने उनसे सब बात कर ली है ।मै तो अमित का इन्तजार करना चाहती थी ।

वह जरूर आयेगा, उसने वादा किया है ।तब फोन का जमाना नहीं था ।और खुल कर हम बात भी नहीं कर सकते थे न खत लिख सकते थे ।उसका तो कुछ पता ही नहीं था ।बुझे मन से तैयार हो गयी।रात के आठ बजे उनका आगमन हुआ ।बस दो ही आदमी थे।एक साँवला सा आदमी और साथ में अमित ।चौंकने की बारी मेरी थी।तो क्या अमित ने चुप चुप से  सारी तैयारी कर ली और हमें  बताया भी नहीं ।फिर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था ।

शादी की बात चीत सुधा मौसी ने तय कराई थी इसका पता भी उसी दिन चला ।मन में खुशी की लहरों पर डूबती,लहराती रही मै।लगा अमित ही रिश्ता लेकर आया है ।कनखियों से अमित की नजरों में मै पढ़ने की कोशिश कर रही थी ।अच्छा तो जनाब सरप्राइज देंगे ।चाय नाश्ता करने के बाद वे लोग चले गए यह कहकर कि अगले दिन खबर करेंगे ।दूसरे दिन मै धड़कते दिल से इन्तजार कर रही थी उनकी रज़ामंदी की।उनके तरफ से सूचना मिली ” हमे रिशता मंजूर है ” उन्होंने हमे पसंद कर लिया है ।

लेकिन अमित के लिए नहीं  ,बड़े भाई सुमित के लिए ।दिल का शीशा चकनाचूर हो गया ।एक महीने के बाद तारीख रखी गई ।और फिर मै सुमित की दुल्हन बन कर ससुराल आ गई ।सुमित दूर के चचेरे भाई थे उनके ।लेकिन अपनापन बहुत था दोनों में ।दिल के सारे अरमान आँसुओ में बह गए ।सफर में भी तो वह मेरा कितना खयाल रख रहा था ।कभी पानी के लिए पूछता कभी किसी और चीज के लिए ।” यह क्या किया तुमने अमित, मै तो तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी ” न कोई चिट्ठी, न कोई खबर ” यह सब अचानक क्या और कैसे हो गया ।””” रीना, अब तुम सुमित भैया की पत्नी हो,इस नाते मेरी भाभी भी ” किस्मत  का खेल है सब।गया तो था खुश हो कर अपने लिए ।अम्मा ने बताया लड़की  देखने जाना है ।मुझे क्या मालूम बाजी पलट जायेगी ।सुमित भैया ने तुम्हे  अपने लिए पसंद कर लिया ।उनको कैसे मना करता ।जो होता है ठीक ही होता है शायद किस्मत को यही मंजूर था ।


भैया बहुत अच्छे हैं ।तुम को सारी खुशियाँ मिलेगी ।तीसरे दिन वह चला गया ।दोनों भाई में बहुत प्रेम था ।वे एक अच्छे दोस्त भी थे ।आपस मे सारी बातें शेयर करते ।सुना था की अमित के पिता की माली हालत बहुत अच्छी  नहीं थी इसलिए सुमित ने पढ़ाई में भी बहुत मदद की है ।समय  बीतने लगा ।अमित ने सेना की नौकरी ज्वाइन कर ली थी ।मै भी अपने पति के साथ जीवन व्यतीत करने लगी ।सुमित बहुत अच्छे इनसान थे।उनको धोखा देना बेमानी  होता ।

अब अमित को भूलना ही मेरे लिए बहुत जरूरी था ।भले ही दिल के किसी कोने में अपना कब्जा जमा लिया था, फिर भी हमारा रिश्ता तो बदल ही गया था ।अमित दूर रहकर भी करीब थे।अमित हमेशा अच्छे अच्छे खत लिखते ।शेरों-शायरी भी भेजते ।मै भी जवाब देती।सुमित ने कभी कोई बंदिश नहीं लगाई हमपर ।बहुत विश्वास था हमपर उनका।अमित खत में हमें समझाते “” रीना भाभी, हमारा रिश्ता तो बदल ही गया है, फिर भी चाहते कभी  खत्म नहीं होती ।

हम अच्छे दोस्त बनकर हमेशा रहेंगे ।बस एक दूसरे का सम्मान बनाये रखना है ।भैया बहुत अच्छे इनसान हैं ।मै भी अमित की बातों पर अमल करती ।नसीहतों पर ध्यान देती ।मै अब कुछ दिन बाद दो बच्चों की माँ बनकर अपने परिवार में रम गयी ।लेकिन इस दिल का क्या  करें ।जब भी एकांत में होती अमित दिल में विराजमान हो जाते।” यह क्या किया तुमने अमित ” एक बार तो  बोलकर देखते ” फिर दिमाग कहता अब उसका खयाल छोड़ दो।जो हुआ  सही हुआ ।।बाद में सुना अमित कनाडा चले गये ।सुमित भी अक्सर टूर पर जाते रहते।बच्चे भी बड़े हो रहे थे घर  संसार


,बच्चों की पढ़ाई में कयी  साल गुजर गए ।एक दिन सुमित टूर पर  गये हुए थे ।दिसम्बर का महीना था ।रात के बारह बजे थे, तभी दरवाजे की घंटी बजी ।” कौन है ” ? इतनी रात को कौन हो सकता है ।सुमित तो अभी हाल में ही टूर पर गये हैं ।डरते डरते दरवाजे को खोला ।—-” आप, अचानक?न चिटठी, न कोई खबर? कैसे आना हुआ?  सामने फौजी वर्दी में अमित खड़े थे ।””” दरवाजे पर क्यों खड़ी है, अन्दर आने को नहीं कहेंगी क्या?”””” हाँ, हाँ, अन्दर आइये ना ।फिर सारी रात हम बातें ही करते रहे ।

दुनिया जहान की बात, मिलने बिछड़ने की बात, उनके फौजी बनने की बात ।हम दोनों के आँसुओ की धारा कितनी देर तक बहती रही।समय खिसकता गया ।उसने मेरी हथेलियों को अपने हाथ पर रखा ।एक दम ठंढा, बर्फ सा सफेद ।फौजी तो अच्छे खाते पीते  हैं फिर अमित का चेहरा इतना सफेद क्यो ।समझ नहीं पायी ।लग रहा था समय को कैद कर लें ।

सुबह हो गई ।तो अमित ने बताया उसकी इमरजेन्सी ड्यूटी  लगी  है अभी  जाना होगा ।और वे बिना जवाब की उम्मीद किए निकल गये।इतना खूबसूरत चेहरा, मंद मंद  मुस्कान लिए वे हमारी जिंदगी से फिर दूर हो गये ।फिर कुछ दिन के बाद सुमित टूर से लौटे तो अमित के आने के बारे मे बताया ।”” क्या कहती हो रीना ” ? अमित कैसे आ सकता है ।उसका तो कनाडा से आते समय प्लेन  क्रेश हो गया था ।और मै इस बार टूर पर थोड़े ही गया था ।

मै तो उसके अंतिम संस्कार में गया था ।खबर मिलते ही तो भागा था ।क्षत विक्षत  शरीर के अधजले टुकड़े ।तुम देख ही नहीं पाती ,इसलिए तुम को बताया नहीं ।फिर मै बेहोशी की हालत से कब लौटी ,खुद नहीं पता था ।होश आया तो सोचने लगी कल रात  को अमित ही तो आये थे, कितनी सारी बातें हमने शेयर की।हाँ उसने मेरे हाथ को छुआ था तो कैसी सिहरन महसूस हुई थी ।फिर जीवन ठीक ठाक चल रहा था ।काफी कुछ बदल गया ।बच्चे बड़े हो कर नौकरी पर लग गये ।

सुमित भी रिटायर कर गये ।घर परिवार सब कुछ वैसा ही चल रहा है ।लेकिन जब भी सुमित किसी काम से कहीं  बाहर जाते हैं तो दूसरे ही दिन अमित आ जाते हैं ।थोड़ी देर बैठ कर बहुत सारी बातें करते हैं ।फिर ड्यूटी का बहाना कर के  चले जाते हैं ।हमेशा यह कह कर ।” रीना, मेरे आने की बात किसी से नहीं कहोगी ।” मुझे भी अब डर नहीं लगता है ।जानती हूं वह एक अतृप्त आत्मा है ।मेरा कुछ नहीं बिगाड़ने वाले हैं ।लेकिन एक अतृप्त चाह में क्या वे भटकते रहेंगे।मैंने एक फैसला किया ।अब सुमित को आज ही बता दूँगी।कोई तो उपाय होगा ही।उनको मुक्ति दिलाने की।आज भी अमित के आत्मा  से मिलन,उनकी बात चीत कहाँ भूल पायी मै।दिल के कोने में आप हमेशा जिन्दा रहेंगे अमित ।लेकिन आप को मुक्ति  जरूर मिलेगी ।।

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