“अलबेली” – सीमा वर्मा

“उठ जा री अलबेली, सुबह के सात बज रहे हैं। अब क्या सारा दिन सोती ही रहेगी ?”

“अभी घर के भी सारे काम पड़े हुए हैं “।

“उफ्फ ये अम्मा भी ना ठीक से नींद भी नहीं लेने देती है।”

“कभी-कभी तो लगता है मेरा जन्म ही काम वाली बनने के लिए हुआ है। “

आलस से हाथ पैर सीधा करती हुई लंबी अंगड़ाई ली ‘ अलबेली’ ने ,

“अब उठने में ही भलाई है, नहीं तो अभी अम्मा आ जाएगी, और मोबाइल से शुरु हो कर मेरे सुबह न उठने, पढ़ाई बंद कराने और फिर धीरे-धीरे मोबाइल जलाने पर जा कर खत्म होगी “

यह सोच अलबेली हाथ- पैर झटक कर खड़ी हो गई।  ब्रश कर नहा धो कर तैयार हो गई ।

तब तक अम्मा ने गरम चाय बना कर रख दी साथ में बिस्कुट भी।

अलबेली जल्दी-जल्दी चाय की चुस्की ले बिस्कुट खा कर आंटी जी के यहाँ काम पर निकल गई।

“वो कोने वाली सुमन आंटी कितना मानती हैं उसे “।

“मीठे स्वर में बाते भी करती हैं।”

“वो खुद भी तो कितनी अच्छी लगती हैं दिखने में।”


” गरम-गरम नाश्ते के साथ थोड़ा दूध भी देती हैं “।

“और हाँ साथ में पढ़ने को अखबार भी तो,

जिसमें दुनिया भर की बातें और खबर रहती है।”  उनका कहना है,

” देख अलबेली किसी भी हाल में पढ़ाई मत छोड़ना, तुम जितना आगे जाना चाहोगी मैं तुम्हारा साथ दूंगी तुम्हें पढ़ कर मास्टरनी बनना है”।

मन ही मन यही सब सोचती उछलती-कूदती हुई अलबेली उनके घर के दरवाजे तक पंहुच गई है।

” ओह ये क्या? उनका तो  घर सील हो गया है?”

“अंदर जाना मना है?”

“अरे ऐसे कैसे हो सकता है? मेरी आंटी जी को कोरोना”?

“उन्हें कैसे अकेले छोड़ सकती हूँ।”

फिर दौड़ कर घर गई अम्मा को सारी बात बता कर बोली,

“जाने किस हाल में होगीं आंटी जी, कैसे खाना बनाएगीं अम्मा ? ऐसा करती हूँ”


“तू मेरे कुछ कपड़े निकाल दे और मैं अपनी किताबें भी रख लेती हूँ अब वहीं रह लूगीं दो-चार दिन ।”

” तब तो अंदर आंटी जी के घर में जाने देगें ना”?।

अलबेली की अम्मा परेशान हो गई। उसका मन नहीं हुआ। अलबेली को वहाँ फिर से जाने देने का।

लेकिन अपनी अलबेली सी बिटिया की सच्ची सेवा और मदद करने की लगन तथा हौसलें को सलाम करती हुई बोली ,

” जा मेरी बच्ची तू है ही इतनी अलबेली तभी तो सब तुझे प्यार करते हैं “।

“हाँ माँ पर तू तो सारे दिन डाँटती रहती है ना मुझे “

कह कर हँसती हुई माँ के गले लग गई।और बैग ले कर झटपट यह बोलती निकल गई,

“मोबाइल लेती जा रही हूँ अम्मा फोन करती रहूँगी। “

“तू घबरइयो मत “।

” बस आंटीजी की तबीयत की दुआ भगवान से मनाती रहिओ “।

अम्मा ने उपरवाले ईश्वर की ओर देख अलबेली और उसकी आंटी दोनों की सलामती के लिए हाथ जोड़ दिए हैं

स्वरचित /सीमा वर्मा

 

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