आखिर क्यों.. – रीटा मक्कड़

कितने खुश थे आज घर में सब..

बिटिया के लिए इतने अच्छे घर से रिश्ता जो आया था। लेकिन बिटिया नीरजा अभी भी उस रिश्ते के लिए हामी नही भर रही थी। उसको लगता था कि लोग क्या कहेंगे  क्योंकि लड़के वालों का घर उनके घर से थोड़ी ही दूरी पर था। राजीव एक निहायत ही शरीफ परिवार का , बहुत स्मार्ट और पढ़ा लिखा लड़का था। मुहल्ले के शरीफ लड़कों में उसकी गिनती होती थी। तभी तो नीरजा के घर वालों को भी ये रिश्ता बहुत पसंद आ गया था। और राजीव  को ओर उसके परिवार को भी  कब नीरजा भा गयी, पता ही नही चला। इसीलिए वो नीरजा के घर इस रिश्ते के लिए बार बार संदेश भेज रहे थे। 

आखिरकार नीरजा के घर वालों ने नीरजा को समझा बुझा कर इस रिश्ते के लिए राजी कर ही लिया। 

 जैसे ही उसने हां की दोनो घरों में खुशियां ही खुशियां छा गयी। कुछ दिनों में सगाई की रस्म कर दी गयी और फिर शादी की तारीख भी एक महीने बाद की निकली। शादी की रस्मों में भी दोनो परिवार बहुत खुश थे। नियत तिथि को धूम धाम से दोनो की शादी हो गयी। लोगों ने शादी के समारोह की ओर जोड़ी की जी भर कर प्रशंसा की। जोड़ी सच मे इतनी सुंदर लग रही थी जैसे राम सीता की जोड़ी हो।   ससुराल में भी इकलौते बेटे के लिए इतनी सुंदर और मनपसंद बहु के आने पर खुशी से राजीव के मा पापा के पैर जमीन पर नही लग रहे थे। ननदें भी खुशी से फुले नही समा रही थी और बार बार भाभी की नजर उतार रही थी। 

नियत समय पर वो पगफेरे के लिए मायके भी जा आये। बेटी दामाद को खुश देखकर नीरजा के घर पे भी सब बेहद खुश नज़र आ रहे थे

लेकिन…. वो कहते हैं न कि कई बार ज्यादा खुशियां भी किसी को रास नही आती। या फिर किसी की ऐसी नज़र लग जाती है कि सब कुछ तहस नहस हो जाता है।



शाम को राजीव किसी काम से बाजार गया। नीरजा और उसके घर वाले उसकी राह देखते रहे लेकिन वो नही आया। उस समय मोबाइल का इतना चलन नही होता था। जब बहुत देर हो गयी और नीरजा के घर पर भी खबर की गई। दोनो परिवारों के सब लोग राजीव को ढूंढने निकल पड़े। शहर का चप्पा चप्पा छान मारा।

पुलिस को भी खबर कर दी गयी। लेकिन उसका कोई सुराग नही मिला। उसदिन से शुरू हुआ दोनो के घरवालों का उसको ढूंढने का अंतहीन सिलसिला। कोई भी जगह जो भी बताता सब जगह जाते। पुलिस भी ढूंढ ढूंढ कर थक हार कर बैठ गयी। लेकिन पता नही उसको ज़मीन खा गई या आसमान निगल गया। उसके जीवित या मृत होने का एक भी प्रमाण नही मिला। नीरजा के इंतजार की घड़ियां लम्बी होती गयी। लेकिन इंतजार का ये अंतहीन सिलसिला भी खत्म नही हुआ। 

हालांकि कुछ सालों बाद नीरजा के घरवालों ने तो उसकी दोबारा शादी कर दी लेकिन जिन माँ बाप का इकलौता बेटा, ओर बहनों का भाई इस तरह से गुमशुदा हो जाये उनपर क्या बीती होगी। उनका इंतजार तो शायद  सारी ज़िन्दगी कभी खत्म नही होगा और मन मे एक आस हमेशां बनी रहेगी कि शायद कभी न कभी तो उनका बेटा या भाई वापिस लौट ही आएगा। 

और अकेलेपन के किन्ही पलों में नीरजा के मन मे भी कभी न कभी तो ये सवाल आते ही होंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ होगा या क्यों हुआ। इंसान चाहे वक़्त के साथ आगे बढ़ जाता है लेकिन गुज़रा हुआ वक्त कुछ ज़ख्म हमेशां हमेशां के लिए दे जाता है। जो कभी नही भरते।

 ओर ईशवर को भी पता नही क्या मंजूर होता है कि अगर इस रिश्ते ने आगे ही नही बढ़ना था तो फिर रिश्ता जोड़ा ही क्यों। आखिर क्यों…?

 

किसी के पास कोई जवाब नही है इन सब सवालों का..!!!

मौलिक रचना

रीटा मक्कड़

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