आखिर काजल ने अपनी मर्यादा तोड़ ही दी – मीनाक्षी सिंह

रवि – काजल तुम समझती क्यूँ नहीं ,,तुम्हे तुम्हारे घर वाले बिल्कुल प्यार नहीं करते ,,वो हमारे रिश्ते के लिए कभी राजी नहीं होंगे !

काजल – रवि ,,तुम्हे तो पता ही हैं बचपन में मुझे जन्म देते ही मेरी माँ खत्म हो गयी,,पिताजी ने पालपोष कर दस साल का किया ,,तब उन्हे कैंसर हो गया ,,वो भी मुझे छोड़कर चले गए ! ताऊ ताई जी ने पास रही ! उन्होने मुझे सगे माँ बाप जैसा ही प्यार दिया ! अब अगर मैं ऐसा कदम ऊठाऊंगी तो उनकी कितनी बदनामी होगी ,,समाज यहीं कहेगा कि अनाथ थी इसलिये चरित्रहीन हो गयी ,,,भाग गयी ! मुझसे ताऊ ताई जी  की बेइज्जती बर्दाश्त  नहीं होगी रवि !

रवि – सच सच बताना काजल क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती ??

काजल – करती हूँ रवि,,अगर तुम मुझसे सच्चा प्यार करते हो तो तुम्हे इंतजार करना होगा मैं  ताऊ ताई जी से हमारे विषय में बात करूँगी ,,अगर वो राजी होंगे तभी मैं आगे बढूँगी नहीं तो …..

रवि – नहीं तो क्या मुझे भूल जाओगी ,,मुझे छोड़ दोगी ! यहीं कहना चाहती हो ना बोलो …..

काजल – तुम कुछ भी समझो ,,पर मैने अपना फैसला तुम्हे सुना दिया हैं !

रवि – ठीक हैं तो फिर मेरा भी फैसला सुन लो ,,,मैं अगले महीने आर्मी की ट्रेनिंग पर जा रहा हैं ,,वहाँ से छह महीने बाद आऊंगा ! अगर तुम्हारे ताऊ ताई जी हमारे रिश्ते के लिए मान जाए तो बता देना ,,नहीं तो मुझसे कभी मिलने की कोशिश मत करना ! तुम्हे मेरे साथ भागकर शादी करनी नहीं हैं,, इसलिये अब मुझे फ़ोन भी मत करना अब सात महीने बाद हम इसी केफे  पर मिलेंगे !

काजल – इतनी बड़ी सजा मत दो मुझे रवि ,,तुमसे बात किये बिना मैं कैसे रहूँगी ! बात तो कर लिया करना कभी कभी !




रवि – ये सजा जो तुम मुझे दे रही हो वो ,,मैं आज पूरा निश्चय करके आया था कि इसके बाद मंदिर चलेंगे  ,,अग्नि को साक्षी मानकर भगवान के सामने साथ फेरे लेंगे ,,फिर तुम हमेशा के लिए मेरी हो जाओगी ,,ये देखो सिन्दूर और मंगलसूत्र ( रवि ने अपनी पेंट की जेब से निकालकर दिखाया )

काजल – ठीक हैं फिर मैं इतनी कमज़ोर नहीं ,,अगर हमारा प्यार सच्चा हैं तो सात महीने तक हम एक दूसरे से बिल्कुल बात नहीं करेंगे ! उसके बाद मैं तुम्हे अपना फैसला सुनाऊंगी ! बोलो रवि ,,मंजूर हैं ????

रवि – तुम्हारे लिए मैं सात महीने तो क्या सात जन्म तक इंतजार कर सकता हूँ काजल ! जब तुम पांच साल की थी ,,तब से तुम्हे देखा हैं ,,वो बचपन का खेल ,,लड़ाई ,झगड़े कब प्यार में बदल गए पता ही नहीं चला ! तुम्हारे पिताजी का यूँ अचानक चले जाना ,,तुम्हारा दिन रात उन्हे  याद करके रोते रहना मुझे बर्दाश्त नहीं होता था ,,मैं माँ से कहता ,,क्यूँ माँ हम काजल को अपने घर नहीं रख सकते ,,मैं  उसे खूब हसाऊँगा ,उसकी आँखों में एक भी आंसू नहीं आने दूँगा ! माँ कहती – तू पागल हो गया हैं क्या ,,कैसी बान्वरों वाली बातें करता हैं ,,एक  लड़की एक लड़के के घर तभी आ सकती हैं जब लड़का उस से ब्याह रचा ले ! तू रचायेगा काजल से ब्याह ! माँ हंस जाती ! पर मैने मन ही मन तुम्हे अपनी दुल्हन मान लिया था ! पर हमारा अंतरजातीय होना हमारे विवाह में परेशानी खड़ी कर रहा हैं ,,इसलिये मैने तुमसे भागकर विवाह करने को कहा ,,पर तुम तो काजल हो ना ,,वही बचपन से उसूलों की पक्की काजल !

काजल की आँखों में आंसू आ गए ! काजल और रवि एक दूसरे से सात महीने बाद मिलने  का वादा करके चले गए !

काजल के ताऊ ताई जी की एक बेटी थी  ,,ज़िसका विवाह होने वाला था ! काजल भी पूरे मन से बड़ी बहन के विवाह की तैयारी में लगी थी ! एक दिन रात को काजल ताऊ जी को दूध देने गयी तभी अचानक ताई जी की तेज आवाज सुनकर उसके कदम वहीं दरवाजें पर रुक गए !

ताई जी कह रही थी ,,कान  खोलकर सुन लो मेरी एक ही लड़की हैं ,,सारे अरमान इसी शादी में पूरे करने हैं मुझे ! उस कर्मजली  काजल के विवाह के लिए एक फूटी कौड़ी भी जमा की तो समझ लेना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा !

ताऊ जी – तुम काहे को अपना दिमाग गरम करती हो भाग्यवान ,,बचपन से आजतक हमने खर्च ही क्या किया हैं काजल पर ,,सरकारी स्कूल में पढ़ी ,,हमारी सोनिया के ऊतरे हुए कपड़े पहने आज तक उसने !! उसका बाप करोड़ो की सम्पत्ती छोड़ गया ! जो काजल के नाम थी ,,उसके बालिग होते ही तुमने धोखे से उस पर काजल के साईन करवा लिए ,,वो भी तुम्हारे नाम हो गयी ! अब क्या उसकी जान लोगी ! रही बात काजल की शादी की ,,तो जो नुक्कड़ पर श्यामू हलवाई की दुकान हैं ना ,,वो श्यामू काजल को हमेशा से ही बहुत पसंद करता हैं ,,विवाह के लिए राजी हैं ,,उसे एक रूपिया भी नहीं चाहिए ,,उल्टा कह रहा था कि काजल से विवाह के लिये तो मैं खुद दहेज दे दूँगा तुम्हे ! बस काजल से मेरा विवाह करवा दो !




ताई जी – अच्छा ऐसी बात हैं ,,वही श्यामू हलवाई ना ,,जिसके पैरों में ऊंगलियां नहीं हैं ,,और वजन सौ किलो तो होगा ही ! सुना हैं ,,उसकी पहली बीवी भी उसे छोड़कर चली गयी थी ,,उसी की बात कर रहे हो ना !

ताऊ जी – हाँ बिल्कुल सही समझी तुम ! अब रात हो गयी हैं ,,मुझे सोने दो ! सुबह ही टेंट वाले के पास जाना हैं !

ताई जी – तुमने तो आज दिल खुश कर दिया ,,क्या खूब रहेगी उस श्यामू हलवाई और इस मनहुस काजल की जोड़ी !

ताऊ ताई जी दोनों ठहाके मारकर हंसने लगे !

काजल बाहर बुत सी बनी खड़ी रही ! आज उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी ! उसने ज़िन ताऊ ताई जी को बचपन से भगवान की तरह पूंजा वो उसके साथ इतना बड़ा धोखा करते आये हैं ,,अब तो उसकी पूरी ज़िन्दगी ही बर्बाद करने जा रहे थे !

काजल घंटों कमरे में बैठे रोती रही ! उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो अब क्या करे ! ईश्वर के सामने उसने आज एक फैसला ले लिया था ! वो अपने आंसू पोंछ उठ खड़ी हुई !

ताऊ की बेटी का विवाह अच्छी तरह से सम्पन्न हो गया !

काजल को रात को बिल्कुल नींद नहीं आती थी ,,वो बस किसी तरह रवि से बात करना चाहती थी और उस घूटन भरे माहोल से निकलना चाहती थी ,,उसको अब रवि की एक एक बात याद आ रही थी कि कोई भी दुनिया में माँ बाप से ज्यादा प्यार नहीं कर सकता ! तुम्हारे ताऊ ताई जी तुमसे बस दिखावे का प्यार करते हैं ! पर काजल को कभी इस बात पर भरोसा नहीं हुआ !

काजल खुद को व्यस्त रखने के लिए किताबों और घर के कामों में लगी रहती ! कुषाग्र बुद्धि तो थी ही ,,उसने बैंक का पी ओ का पेपर पास कर लिया !

घर में ताऊ ताई जी के सामने एलान कर  दिया कि मैं रवि से प्यार करती हूँ ,,उसी से शादी करूँगी ! मैं  जा रही हूँ इस घर की मर्यादा तोड़कर !




आज काजल स्वाभिमान के साथ आत्मनिर्भर होकर निकल चुकी थी उस घर की मर्यादा लांघकर !

सात महीने भी पूरे हो चुके थे ,,,रवि निर्धारित तिथि ,समय के अनुसार पहुँच चुका था अपनी काजल से मिलने !

काजल  रवि को देखकर बस फफ़क पड़ी ! और रवि को अपने पी ओ बनने  की खबर दी !

रवि बहुत ही खुश हुआ ,,पर अगले ही पल उदास हो गया !

काजल – तुम उदास क्यूँ हो गए रवि ,,तुम्हे तो खुश होना चाहिए !

रवि – अब तुम मुझसे शादी  नहीं करोगी ना काजल तुम इतने बड़े ओहदे पर जो पहुँच गयी हो ! मैं तो तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं ! शायद मैने तुम्हे खो दिया !

काजल – तुमने ऐसा कैसे सोच लिया ,,मैं हमेशा से तुम्हारी थी और हमेशा तुम्हारी ही रहूंगी ! बताओ कहाँ ले जाओगे मुझे भगाकर !

रवि और काजल आज पूर्ण रुप से एक दूसरे के हो चुके थे !

पाठकों ,,अपनी टिप्पणी ज़रूर दिजियेगा ,,क्या काजल ने अपनी मर्यादा तोड़कर ठीक किया य़ा नहीं ????

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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