” सर आपसे रमेश जी मिलने आए हैं”, मेरे चपरासी विनोद ने आकर जब यह मुझसे कहा तब अजीब सा मन हो गया था मेरा लेकिन महज औपचारिकता के कारण मुझे उनसे मिलने बाहर आना पड़ा।
” बेटा, आप मुझे यहां देख कर अवश्य ही असमंजस में पड़ गए होंगे लेकिन क्या करूं? जब सुशीला जी से बहुत दिनों से फोन पर कोई बात नहीं हुई और आजकल वह पार्क भी नहीं आ रही है, तब ऐसे में मुझे लगा कि जरूर कोई ऐसी बात है जिसके कारण सुशीला जी मेरी अनदेखी कर रही हैं”।
” देखिए अंकल, बुजुर्ग होने के नाते मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं लेकिन रहना तो इसी समाज में है ना। आप और मां पार्क में मिलते हो और कभी कभी बाहर भी घूमने जाते हो, आप दोनों को इस तरह साथ साथ देख कर लोग तरह-तरह की बातें बनाने लगे हैं।
अब आप ही बताइए कि अगर इस रिलेशनशिप को यहीं पर नहीं रोका गया तो लोगों के मुंह कैसे बंद होंगे?” मैं उनसे बोला।
” मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं बेटा लेकिन अगर हमारा मन साफ हो तो हमें लोगों की बातों की परवाह नहीं करनी चाहिए। माना कि हम लोग पार्क में साथ-साथ वॉक करते हैं या कभी-कभी बाहर घूमने जाते हैं लेकिन सिर्फ एक दोस्त होने के नाते और इससे ज्यादा हम लोगों के बीच कुछ नहीं है।
वैसे भी बेटा उम्र के इस पड़ाव पर जब हम दोनों ही अपना अपना जीवन साथी हो चुके हैं तब ऐसे में हम दोनों एक दूसरे से शारीरिक संबंधों से ज्यादा भावनात्मक व मानसिक रूप से जुड़े हुए हैं।
सच मानो बेटा इससे ज्यादा हम दोनों के बीच में कुछ नहीं है और शायद इसीलिए ही हमारे इस रिश्ते का कोई नाम नहीं है क्योंकि कुछ रिश्ते बिना नाम के होते हुए भी बेहद खूबसूरत और आत्मीयता भरे हुए होते हैं”।
” सॉरी अंकल, प्लीज आप मुझे माफ कर देना जो मैं लोगों की बातों में आकर इस प्यारी सी रिलेशनशिप को खत्म करने चला था। सच कहूं तो मैंने भी इस बात को नोटिस किया था कि जब से मां आपसे मिलने लगी हैं
तब से उनका मन बदलने लगा है और इस कारण मैं उनके लिए खुश भी था। लेकिन अब मुझे किसी की परवाह नहीं है।
आखिर कब तक हमारी पुरानी सड़ी गली परंपराएं हमें अपने आगे झुकने पर मजबूर करती रहेंगी और वैसे भी आप दोनों की यह प्यारी सी रिलेशनशिप उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है जो सिर्फ और सिर्फ बातें बनाना जानते है”। मैं कुछ सोचते हुए बोला।
मेरी यह बातें सुनकर रमेश जी का मन भर आया था। तभी तो उन्होंने आगे बढ़ कर मुझे अपने सीने से लगा लिया था और खुशी-खुशी अपने घर लौट गए थे।
शालिनी गुप्ता