माधव रिटायर्ड होने के बाद अपनी पत्नी माला के साथ गांव में रह कर खेती बाड़ी करवाते थे। बेटा,बहू शहर में रहते थे।बेटा अच्छी पोस्ट पर था। एक दिन बेटे संजय ने फोन करके मां पिता को अपने पास रहने के लिए बुलाया, साथ में यह भी कहा कि पिताजी, मां के सारे जेवर, पैसे, एफडी, वगैरह साथ में लेते आना वरना सूना घर देखकर चोरी हो जाएगी।
दोनों खुश होकर लंबे सफर के बाद बेटे के घर आ गए।
सब बहुत मिलजुल कर हंसी खुशी रहते। एक दिन बेटे संजय ने कहा, पिता जी, यहां बहुत से लोग मिलने आते हैं, ऐसा करिए,आप जेवर, पैसे एफडी वगैरह मेरे पास रख दीजिए मैं उसे सुरक्षित अपने बैंक के लॉकर
में जमा कर देता हूं।
माधव ने कहा, हां हां, तुम ठीक कहते हो। यही सही रहेगा।
मैं अभी लाकर देता हूं, पत्नी से भी नहीं पूछा और सब बेटे को थमा दिया। बेटे ने चालाकी से एफडी पर उनके दस्तखत भी करा लिए ताकि जब जरूरत हो या मैच्योर हो जाए तो उसे आसानी से तुड़वाया जा सके।
एक दिन बेटे से पिता ने कहा,बेटा, मुझे एटीएम से पैसे निकलवा दो। मुझे थोड़ा डर लगता है। गांव में तो पोस्ट ऑफिस से पैसे निकाल लेता था।
संजय ने पिता जी से पिन नंबर पूछ कर उन्हें पैसे निकाल कर दे दिए और कार्ड अपने जेब के हवाले कर दिया।
एक महीने रहने के बाद बेटे बहू का रवैया बदलने लगा। आखिर में माधव और माला अपने गांव जाने की तैयारी करने लगे। उन्होंने बेटे संजय से अपनी अमानत मांगी तो उसने कहा कि वो सब मेरे पास ही रहेगा । वहां चोरी होने का डर है।
अच्छा, तो मेरा एटीएम कार्ड दे दो। कार्ड लेकर दोनों अपने गांव चले गए।
वहां एटीएम कार्ड से पैसे निकालने पर पता चला उनके एकाउंट में मात्र दो सौ रुपए हैं।
बैंक जाकर पूछताछ किया तो पता चला कि उनका पैसा तो कोई निकाल लिया है।
उन्होंने फोन करके बेटे से पूछा तो वो हंसने लगा, अरे पिता जी, आप इतने पैसों का क्या करेंगे। अब जरूरत थी तो निकाल लिया, और हां मैंने आपकी एफडी भी तुड़वा कर अपने नाम जमा कर दिया। आपकी पोती की शादी में मां के जेवर और पैसे काम आएंगे।
माधव के हाथ से फोन गिर गया और वो अपना सिर पकड़ कर बैठ गए। पत्नी माला ने घबराकर पूछा, आपको क्या हो गया है? उन्होंने जब माला को सारी बातें बताई तो माला ने हैरान हो कर कहा,” आपकी अक्ल क्या घास चरने गई थी” इतने पढ़े लिखे होकर आपकी बुद्धि भ्रष्ट कैसे हो गई ? आपने अपनी जिंदगी भर की कमाई गंवा दी। कम से कम देने के पहले मुझसे एक बार पूछ तो लेते।
माधव ने हताश-निराश होकर कहा, हां,माला,सच में मेरी अक्ल घास चरने चली गई थी, मैं सबको समझाता था और मैं ही पुत्र मोह में इतनी बड़ी ग़लती कर गया।
सुषमा यादव पेरिस से
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित