आजीवन दोस्ती – निधि जैन

आज़ बहुत अरसे बाद कॉलेज के सारे दोस्त मिलने के लिए एक जगह एकत्रित होने वाले है, पर उनमें से शायद ही कोई ऐसा हो जिसको सच्चा दोस्त कहा जाए सिर्फ एक को छोड़कर।

अवनी, हाँ  यही वो नाम है, जिसको कॉलेज के उन सारे दोस्तों से अलग रखता है, अवनी ने जितना मेरे लिए किया है ना, वो कोई नहीं कर सकता, खुश होकर तृप्ति ने वर्षा से कहा, हां भई हां मैं कई बार तुमसे अवनी के बारे में सुन चुकी हूं, आज मुलाकात होगी तो उसे भी बताऊंगी कि तुम उसके बारे में कितना बात करती हो, (वैसे तो वर्षा अवनी के बारे में कई बार तृप्ति के मुंह से सुन चुकी थी, पर इस बार वो उससे मिलने के लिए बड़ी उत्साहित हो रही थी) और बिना रुके वर्षा बीच में ही बोल पड़ी।

शादी होने के बाद में नैनीताल आ गई, और अवनी भोपाल में ही छुट गई, पता है वर्षा अगर यहाँ तुम ना मिलती तो पता नहीं ये 12 साल कैसे निकलते, तृप्ति ने भावुक होकर वर्षा से कहा। (वर्षा तृप्ति की कुलीग है, साथ में दोनो एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है)

पता है जब कोई नहीं था, तब अवनी मेरा सहारा बनी, एक कार एक्सीडेंट में माँ पापा मुझे छोड़कर चले गए, तब वो मेरे साथ थी, मुझे पैसे की कोई कमी नहीं थी, पर एक ऐसा व्यक्ति चाहिए था, जो मेरे साथ हर पल रहे, मेरी केयर करे, तृप्ति बोले ही जा रही थी, तभी उसका फ़ोन बजा, स्क्रीन पर अवनी का कॉल दिख रहा था,

उसने फ़ोन उठाया और बोली,

हेलो अवनी,

हाय, मैं अवनी का भाई बोल रहा हूं, अवनी को अभी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया है, उसका एक्सीडेंट हो गया है, आप यहाँ जल्दी से आ जाइए,



तृप्ति ने जैसे ही एक्सीडेंट सुना तो वो हक्की वक्की रह गई, और जल्दी से फ्लाइट का टिकट कर भोपाल आ गई,

उसके साथ वर्षा भी थी, दोनो हॉस्पिटल पहुंचे, वहाँ जाकर पता चला अवनी ऑपरेशन थियेटर में है, उसको बहुत गहरी चोट आयी है, डॉक्टर कह रहे थे कि बचना मुश्किल है, तृप्ति जैसे होश ही खो बैठी।

तृप्ति, तृप्ति, वर्षा चिल्लाए जा रही, कुछ नहीं होगा अवनी को, वो अब अकेली नहीं है, हम है ना उसके साथ, तुम घबराओ मत, मैं अच्छे डॉक्टर से कॉन्टेक्ट करती हूं, she will be fine soon, कहती हुई फ़ोन करने लगी,

हेलो डॉक्टर पंकज, आप अभी व्यस्त तो नहीं है,

नहीं वर्षा बोलो क्या हुआ, पंकज ने कहा।

आप आप जल्दी से भोपाल के गांधी मेडिकल हॉस्पिटल में आ जाइए, घबराई हुई आवाज़ में वर्षा पंकज से बोली, हा ठीक है मैं आता हूं पर मुझे बताओ क्या हुआ है? तुम भोपाल अचानक? कैसे? सवालों की झड़ी लगाते हुए पंकज ने वर्षा से पूछा, वर्षा ने अवनी की हालत के बारे में सबकुछ पंकज को बताया।

ठीक है, मैं जल्दी ही डॉक्टर दिनेश और अपनी टीम के साथ पहुंचता हूं, तुम घबराओ मत और तृप्ति को संभालो।  पंकज ने वर्षा से कहकर फोन कट कर दिया, और

कुछ ही समय में पंकज और डॉक्टर को टीम हॉस्पिटल में आकर ऑपरेशन थियेटर में गए, अवनी का ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा, कार पलट जाने से उसके सिर में गहरी चोट थी, डॉक्टर पंकज वर्षा को बता रहे थे, साथ ही तृप्ति से कहा कि जाकर मिल लो, अवनी तुम्हारा ही नाम पुकार रही है,

तृप्ति भाग कर अपनी सबसे अच्छी दोस्त अवनी के पास गई, उसे देखकर थोड़ा रोने लगी, और बोली आज तुझे कुछ हो जाता तो मेरे प्राण भी निकल जाते, मैंने तुझे वर्षा के बारे में बताया था ना, आज उसी की वजह से तुम मेरे सामने हो। वर्षा पीछे से सब देख रही थी, अवनी ने उंगली का इशारा देते हुए वर्षा को बुलाया, और बोली थैंक्यू वर्षा, तुमने आज मुझे बचाकर अपना कर्जदार बना लिया, थैंक्स फॉर योर्स फ्रेंडशिप,

किसी ने सच ही कहा है, कि अगर अच्छे कर्म करो, तो वो कर्म लौटकर जरूर आते हैं आपका अच्छा करने।

निधि जैन

इंदौर मध्यप्रदेश

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