Moral Stories in Hindi : रीमा और किरण दोनों बचपन की सहेलियां थी। दोनों में अटूट दोस्ती रही थी। एक दूसरे को अपनी सारी बातें बताया करती थी।
कभी भी किसी से कुछ भी नहीं छुपाया करती थी।
समय बीता दोनों की शादी हो गई ।
किस्मत से दोनों एक ही शहर में रहने लगी।
अच्छी भली चल रही जिंदगी में किस्मत ने पलटी खाया किरण के पति का बिजनेस पूरी तरह से डूब गया ।वे लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए ।
बड़ी मुश्किल हो गई। घर का राशन, बच्चों की पढ़ाई सबकुछ बहुत ज्यादा भारी हो गया था।
मजबूरी में किरण के पति को मामूली नौकरी पकड़नी पड़ी और कोई चारा ही नहीं था।
उसी से मुश्किल से गुजारा चलने लगा।
किरण इस तकलीफ में भी बहुत ही खुश रहती थी जबकि रीमा हमेशा ही अपने वैभव का बखान किया करती।
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कभी किरण को दुख भी होता कि इस मुसीबत में उसकी सहेली उसकी कोई मदद भी नहीं करती लेकिन उसे कभी रीमा की धन दौलत से और उसकी हैसियत से जलन नहीं हुई।
किरण को बुनाई बहुत अच्छी तरह से आती थी।
एक दिन उसके बेटे ने उसे युट्यूब दिखाते हुए कहा
“ममा ,आप इसमें बुनाई की ट्यूटोरियल खोलो, देखना 10,000 व्यू होते ही आपको उसमें से पैसे आने लगेंगे।”
किरण को यह उम्मीद अंधेरे में किरण की तरह लगने लगी। उसने अपने बेटे की सलाह पर यूट्यूब वीडियो बनाना शुरू कर दिया।
शुरू में तो कोई भी उतना ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर धीरे-धीरे लोग किरण से पर्सनली मैसेज कर पूछने लगे और बुनाई के ऑर्डर भी देने लगे।
अब किरण की स्थिति कुछ हद तक ठीक होने लगी।
वह अपनी सखी रीमा को अपने इस उपलब्धि की बात बताया करती थी।
यह सब रीमा को खलने लगा।
उसे किरण की यह प्रसिद्ध बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी ।
वह उसे नीचा दिखाना चाहती थी।
एक बार एक महिला पत्रिका ने बुनाई प्रतियोगिता का एक शानदार अभियान रखा था, जिसमें एक अच्छी खासी नकद के साथ उसे पत्रिका के साथ पूरे 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट था।जिसमें बुनाई के कुछ स्वेटर देने थे और इसके लिए अच्छे खासे पैसे पत्रिका दे रही थी।
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यह देखकर किरण खुशी से उछल पड़ी।
वह खुशी से रीमा को यह बात बताई ।”रीमा देख हो सकता है कि किस्मत पलट जाए मेरी।
जितनी मेहनत में करती रहती हूं एक युट्यूब बनाने में,उतनी मेहनत अगर यहां क्लिक हो गया तो रातों-रात मुझे फिर सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी ।
मेरे दोनों बच्चे अच्छे कॉलेज में पढ़ेंगे और अच्छी जिंदगी जिएंगे।
मेरे पति के सारे नुकसान भरपाई हो जाएंगी और हम अच्छी जिंदगी जिएंगे।”
यह सुनकर रीमा ने ऊपर से तो उसकी तारीफ की और उसे जीतने का भरोसा भी दिलाया लेकिन मन ही मन वह इर्ष्या से भर उठी।
इस इर्ष्या का बीज बचपन से ही बोया हुआ था।
दोनों सखियां एक ही स्कूल में पढ़ती थीं।
जहां किरण हमेशा ही अपने टीचर्स की चहेती रही थी,वहीं रीमा एक साधारण स्टूडेंट थी।
दोनों के बीच नंबर का एक गहरा फासला होता था।
जब किरण की शादी हुई थी तो उसके पति शहर के एक अच्छे बिजनेसमैन थे और रीमा के पति एक नौकरी पेशा।
दोनों की हैसियत में बहुत ही ज्यादा अंतर था ।
रीमा के पति एक नंबर के घूसखोर थे, जिसके कारण उसकी हैसियत हमेशा चमकती रहती थी।
जब किरण के पति का व्यापार डूबा तो रीमा को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा लेकिन अब किरण का नाम हो रहा था तो वह वह उसकी सफलता से खुश होने की बजाय जलने लगी थी।
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किरण ने पत्रिका के अनुसार अपना सैंपल तैयार कर लिया था।
उसे पत्रिका के पते में भेजना था। किरण ने अपने स्वेटर और सारे सैंपल को अच्छी तरह कवर में लपेटकर उसे पैक कर दिया और पत्रिका का पता लिखकर उसे कोरियर वाले के पास छोड़ने के लिए गई।
रास्ते में उसे रीमा मिल गई।उसने कराहते हुए कहा
“किरण,प्लीज तुम मेरा एक काम कर दो।
तुम बैंक में यह चेक डाल दो।
मेरे पति का पेटीएम काम नहीं कर रहा है।किसी के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है।
मैं जा रही थी लेकिन रास्ते में गिर पड़ी।”
यह सुनकर किरण घबरा गई।
उसने कहा” मैं तो कोरियर ऑफिस में यह छोड़ने जा रही हूं।”
” यह मैं कर दूंगी तुम मेरा काम कर दो।
बैंक दूर है ना मुझे चलना मुश्किल हो रहा है।”
“अच्छा ठीक है।”किरण ने कहा।
” उसमें पता लिखा हुआ है,बस वहां जाकर पैसे देने हैं।” किरण उसे पैसे देने लगी तो रीमा ने मना करते हुए कहा
” अरे यार तू भी क्या है किरण!, इतनी छोटी सी बात के लिए पैसे देगी। यह तो मेरा काम है अगर तेरा यह सैंपल सेलेक्ट हो गया तो मुझे भी तो फायदा है ।
मेरी दोस्त का नाम होगा तो मेरा भी नाम होगा। तुम जल्दी से मेरा यह काम कर दो।
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मैं तुम्हारा काम कर देती हूं।” यह कह कर रीमा ने किरण का पैकेट ले लिया। और फिर उसे ले जाकर अपने घर में छुपा दी। उसने झूठ बोला कि “मैं तुम्हारा काम कर दी हूँ।”
दो महीने बीत गए, जब पत्रिका ने परिणाम निकाला उसमें किरण का कहीं नाम नहीं था।
किरन मायूस हो गई।
उसे यकीन था कि उसकी मेहनत जरुर सफल होगी लेकिन विजेताओं में अपना नाम नहीं देखकर उसकी आंखों से आंसू बह निकले।
उसके पति ने उसे सांत्वना देते हुए कहा
” किरण, यह बड़ी पत्रिका है वहां सक्सेसफुल होना और शॉर्टलिस्ट होना बहुत ही भारी काम है और अगर तुम्हें यकीन है तो तुम पत्रिका में फोन करके बात कर लो।”
किरण को यह ठीक लगा। उसने दिए हुए नंबर को फोन लगाकर उसने बात किया।
किरण ने उनसे बात कर पूछा ।
उन्होंने कहा
“इस एड्रेस का वहां कोई कोरियर पहुंच ही नहीं !”
” ऐसा कैसे हो सकता है !मैंने तो दो महीने पहले ही भेजा है।”
” मैम अगर उसका कोई आपके पास प्रूफ हो तो वह मुझे व्हाट्सएप कर दीजिए, मैं देखती हूं ।”
अब किरण को याद आया उसने तो रीमा से कोरियर का प्रूव कागज लिया ही नहीं था।
उसने रीमा से पूछा रीमा गोल-गोल जवाब देने लगी।
अब किरण को शक हो गया। वह कोरियर ऑफिस गई ।उसने कोरियर ऑफिस में बात करके पूछा वहां कोई ऐसा कोरियर आया ही नहीं था ।कोरियर वालों ने सीधे से ना कह दिया।
अब किरण को गुस्सा आ गया। उसने अच्छी तरह से रीमा से पूछा ।
रीमा ने तब बताया
” वह तो मैंने भेजा ही नहीं था !”
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“आखिर क्यों ?,किरण की आंखों में आंसू आ गए क्योंकि तुम मेरे आने वाली सफलता से जलने लगी थी न!”
” शायद इसीलिए!, रीमा ने कहा ..बचपन से तुम्हें हमेशा आगे होते हुए देखी हूँ।
मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा कि अब भी तुम अपनी एक पहचान बनाने लगी हो!”
” भला यह भी कोई बात हुई? ऐसी भी क्या जलन?
मैंने तो तुझे अपना बहन माना था और तुमने दोस्त भी नहीं समझा!”किरण फूटफूटकर रो दी।
पत्रिका वाले किरण के यूट्यूब से परिचित थे।
व्हाट्सएप पर किरण ने माफी के साथ और स्वेटर का फोटो पत्रिका के एडमिन को सेंड किया।
पर भर में एडमिन ने वह फोटो सैंपल पसंद कर लिया और किरण के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन भी कर लिया।
किरण की खुशी का ठिकाना नहीं था।
अब वह उसे पत्रिका में फ्रीलांसर बन चुकी थी।
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#जलन
प्रेषिका–सीमा प्रियदर्शिनी सहाय