अहो भाग्य – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

दूसरी बार सुलेखा ने आज बेटी को जन्म दिया । शायद विधाता की यही मर्जी थी । ये आखिरी मौका था और कहीं एक उम्मीद भी थी कि शायद अब बेटी के बाद बेटा ही होगा । पर डॉक्टर ने जुड़वा बिटिया को  दिखाकर भरम तोड़ दिया । सुलेखा के पति माधव तो दुःखी हो रहे थे सुन के पर अपनी माँ शकुंतला जी के कहने पर की बेटियाँ अपने भाग्य लेकर आती हैं और

अपने हिस्से का भी लेकर आती हैं ये मत सोचो कि खर्च बढ़ गया बल्कि ये सोचो साक्षात लक्ष्मी जी हमारे घर आई हैं । माधव के दोस्त भी उससे यही कह रहे थे कैसे तीन बेटियों का ध्यान रख पाएगा लोग तो एक बेटी से त्रस्त हो जाते हैं और तुझे तो तीन – तीन है । माधव माँ की सुनता तो अपने अंदर मधुरता के भाव लाता तो दोस्तों की सुन के कटुता के भाव लाता । पर हृदय से वो इतना बुरा भी नहीं था वक़्त के आगे बेबस था ।बेटी को दुबारा से देखने के लिए 

वो जा ही रहा था कि डॉक्टर ने बताया कि सुलेखा ने दम तोड़ दिया है , नहीं बचा सके उन्हें । अब माधव के अंदर जो थोड़े बहुत मिश्रित प्यार और गुबार चल रहे थे वो पूरी तरह ग़ुबार में ये सोचकर बदल गए कि इन लड़कियों के पैर ही शुभ नहीं हैं । आते ही माँ को खा गयीं  । 

शकुंतला जी पर दुःखों का पहाड़ टूट गया । अब उन्हें समझ आ रहा था कि माधव को समझाकर कोई फायदा नहीं है । 

बेमन से बच्चों की जिम्मेदारी निभा रहा था माधव । 

अस्पताल से छुट्टी होने के बाद घर आकर भी माधव शांत रहने लगा । मम्मी ने बार -बार माधव के सिर पर हाथ फेरकर समझाते हुए कहा…बेटा ! अब हमारी ज़िंदगी कितने दिन है, ?जब तक हम जीवित हैं देखभाल कर देते हैं फिर तो तुम्हें ही इन बच्चियों की देखरेख करनी होगी । इनसे मुँह मत मोड़ो, ये तुम्हारा सुनहरा भविष्य हैं । माधव ने माँ का हाथ गुस्से में झटकते हुए कहा ..क्या किस्मत लेकर ये आयी हैं माँ ? और माँ के सीने से लगकर बिफर के रोने लगा ।

सिसकते हुए माधव ने कहा..”सुलेखा नहीं रही माँ , क्या दोष था उसका । शकुंतला जी ने फिर समझाते हुए कहा..”सुलेखा  को जाना लिखा था बेटा वो चली गयी अब जो पास में है उसका सोचो । माधव अब धैर्य से मुँह धोकर आया और बेडरूम में जाकर एक नज़र बेटियों पर डाला तो दोनो बच्चियाँ मुस्कुरा रही थीं । वो ध्यान से प्यार करने के लिए उनके पास बैठ गया और शकुंतला जी ने आकर दोनों बच्चियों को बारी बारी से माधव की गोद मे डाल दिया ।

गोद में लेते ही बड़ी सुख सी अनुभूति हो रही थी माधव को पर मन अब भी विचलित था । 

देखते – देखते एक साल हो गए ।   प्रिया और सिया नाम रखा गया था बच्चियों का । शकुंतला जी ने अपनी बेटी  स्नेहा और उसके परिवार, पास – पड़ोस और रिश्तेदार को बुलाकर धूमधाम से जन्मदिन मनाया । जैसे जैसे उम्र बढ़ रही थी वैसे पढ़ाई, एडमिशन की चिंता सताने लगी । तीसरे साल में सब स्कूल दाखिला के लिए ले जाया जा रहा था तो प्रिया को चक्कर आ गए और वो गिरी तो उसे चोट लग गयी । जाँच कराने के बाद पता चला कि प्रिया के दिल में छेद है । 

इलाज जारी था  , दस साल होने पर डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोला था । खर्च इतने ज्यादा बताए कि सुनकर माधव के होश उड़ने लगे लेकिन शकुन्तला जी बिल्कुल कमजोर न पड़ते हुए मजबूती से माधव को थामे रहीं । 

इलाज और ऑपरेशन मिलाकर एक दहेज बराबर पैसे फेंक चुका था माधव ।

अब माधव को बड़ी होती बच्चियों  की चिंता  सता रही थी । देखते – देखते बाईस साल गुजर गए । शकुंतला जी ने अपने पहचान व रिश्तेदार में कहलवा दिया कि शादी के लिए अच्छे वर बताएँ । 

कुछ दिनों में मोहल्ले में बात बनने लगी कि इनकी लड़की से कौन शादी करेगा । सूखी सी है और हमेशा बीमार रहती है । माधव के कानों में भी बात पड़ी , तकलीफ तो हुई पर उसे तकलीफ की आदत हो चुकी थी ।

एक दिन प्रिया कॉलेज से परीक्षा देकर लौट रही थी तो रास्ते में भीड़ देखी , वो उस भीड़ में घुस पड़ी । वहाँ एक सज्जन दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे । आस – पास के लोगों को बुलाकर प्रिया ने मदद माँगते हुए अपनी गाड़ी में बिठाया और अस्पताल में भर्ती करा दिया । उन सज्जन के पॉकेट से फोन निकालकर उनके बेटे को कॉल कर दिया गया । थोड़ी ही देर में उनका बेटा आया और घटना की सच्चाई बताते हुए प्रिया ने सज्जन को उनके बेटे के हाथों सौंप दिया और वो घर चली आयी ।

घर पहुँची तो काफी देर हो गयी थी । सहेलियों के घर भी फोन करके पूछा गया लेकिन किसी को पता नहीं था । प्रिया ने दादी और पापा को चिंतित देख घटना की सच्चाई बोलना शुरू कर दिया । दादी और पापा सभी सहमत थे फिर भी प्रिया से इतना बोला..”घबराहट हो जाती है बेटा  , अंदर से अंजान सा डर लग जाता है । अब प्रिया ने दादी और पापा  का खाना परोसा साथ – साथ खुद ही लेकर बैठ गयी । 

दरवाजे पर घण्टी बजी । प्रिया ने दरवाजा खोला तो देखा डाकिया कोई पेपर लाया था जो सिया के नाम से था । माधव ने देखा तो खुशी से उछल पड़ा । माँ को दिखाते हुए कहा. “आँखों पर यकीन नहीं हो रहा माँ । सिया के लिए जॉइनिंग लेटर है । प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर उसकी नियुक्ति हुई है । 

सिया बाहर गयी हुई थी । सबको उसके आने का इंतज़ार था । खाने के बाद प्रिया ने अपने हाथों से बहन के लिए बेसन के लड्डू बनाए । प्लेट में निकालकर प्रिया दादी के हाथ मे दे आयी । दादी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा..”जुग – ,जुग जीयो मेरी बच्ची  । और अपने आँखों के गीले कोरों को पोछने लगी । प्रिया ने दादी और पापा की आँखों को पढ़ लिया था पर उसके वश में कुछ नहीं था । 

प्रिया शरीर से दुर्बल थी पर उसने किसी तरह पास के स्कूल में इंटरव्यू दिया और वो वहाँ पढ़ाने लगी । तकरीब एक महीने बाद माधव का घर ढूंढते हुए दो लोग आए । माधव ने उंनका परिचय पूछा तो सज्जन ने कहा..”आपकी बेटी से मिलना चाहते हैं। उसी वक़्त सिया घर मे घुसी थी तो माधव ने परिचय कराया ।सज्जन ने मानने से इनकार कर दिया वो प्रिया को ढूंढ रहे थे  । शकुंतला जी घबराने लगीं ये सोचकर कि कहीं कोई हादसा तो नहीं हुआ प्रिया के साथ । तभी प्रिया  घर घुसी । हाथ जोड़कर उसने प्रणाम किया तो सज्जन ने पूछा. आपको याद हूँ मैं या भूल गयीं ?

प्रिया ने हाँ में सिर हिलाया और रसोई से चाय पकौड़े बनाकर ले आयी ।

बुजुर्ग सज्जन समझाते हुए कहने लगे..”आपकी बेटी हमे बहुत पसंद है, इजाजत हो तो ये मेरा बेटा पुष्कर इसके लिए अपनी बेटी का हाथ दे दीजिए । जैसा की आपको पता होगा हम प्रसिद्ध बिजनेस मैन दिनकर मिश्रा हैं । अहो भाग्य हमारे अगर प्रिया हमारे घर की बहू बन जाए तो ..जब पूरी भीड़ तमाशा देख रही थी तो इस लड़की ने मुझे कितनी हिम्मत दी और प्यार से मुझे सहारा देकर नवजीवन दिया, मेरे बेटे की चाह मुझे खींच लाई ।उम्मीद है आप मना नहीं करेंगे । 

माधव का गला भर आया ।उसके मुँह से आवाज़ नहीं निकल रहा था लेकिन दिल ये कह रहा था इतने सज्जन के आगे कुछ न छुपाया जाए । भारी मन से माधव ने प्रिया की सच्चाई बताई तो बुजुर्ग सज्जन ने बात काटते हुए कहा..”हमारे लिए हमारे बेटे की खुशी जरूरी है, इलाज का हम भी ध्यान रखेंगे हमे कोई आपत्ति नहीं है । अब माधव के पास शब्द नहीं थे उसने हाथ जोड़ कर कहा ..ये रिश्ता हमे मंजूर है । 

अंदर जाकर माधव पॉकेट से पैसे निकालने लगा बाजार से मिठाई लाने के लिए तो ड्राइवर से कॉल करके दिनकर जी ने मिठाई फल और मेवे से घर भर दिया । दिनकर जी हाथ जोडकर इजाजत मांगने लगे जाने की और जाते – ,जाते बोल गए जल्दी ही दिन दिखवा के आपको फोन करूँगा आप सिर्फ एक जोड़े में अपनी बेटी को विदा कर दीजिए ईश्वर का दिया बहुत कुछ है हमारे पास । 

मेहमानों के जाने के बाद माधव ने अपनी स्वर्गवासी पत्नी की फोटो को देखते हुए मन ही मन बुदबुदाया..”क्या करने चला था मैं तुम्हारे दिए इन अनमोल उपहारों के साथ, । आज ईश्वर ने मुझे दिखा दिया है । बहुत # किस्मतवाली हैं मेरी बेटियाँ ! कितना चिंतित था इनकी भविष्य और खुशियों को लेकर । आज सब कुछ ईश्वर ने एक साथ मेरी झोली में डाल दिया है । 

माधव की आँखें नम हो चली थीं तभी शकुंतला जी ने आकर कहा..देखा ! मैंने कहा था न बेटियाँ अपना भाग्य स्वयं लिखती हैं । दोनों बेटियाँ  #किस्मतवाली हैं उन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया है ।

।सब सुनकर लग रहा था जैसे तस्वीर में ही सुलेखा मुस्कुराकर अपनी बेटियों को आशीर्वाद दे रही हो ।

# किस्मतवाली

(अर्चना सिंह)

मौलिक, स्वरचित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!