अहमियत रिश्तों की (भाग-6) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे…

पीजी में पुलिस की रेड   पड़ी है ….

यह सुनकर प्रथम बाऊजी से बात पूरी किए बिना ही अपना सारा सामान समेट बाहर आ गया था…

सभी लड़कों को भागता देख  उसने भागने का बहुत प्रयास किया…

लेकिन फिर भी  वह पकड़ा गया…

पुलिस ने उसे  पकड़ लिया था…

सभी लोगों को पुलिस स्टेशन लाया गया…

प्रथम के अलावा दो-तीन लड़के और एक-  दो लड़की और पकड़ी  गई थी…

पुलिस का दरोगा बोला…

हां तो बताओ  तुम लोग यहां पर क्या कर रहे थे …??

सर  हम सब तो पढ़ने आए थे यहां पर …

पीजी  लिया था…

हमारी क्लासेस स्टार्ट होने वाली हैं…

हमने रेंट दिया है बकायदा…

आप हमारा एग्रीमेंट भी चेक कर सकते हैं…

एग्रीमेंट बना है…

प्रथम के पास में खड़ा लड़का बोला…

ऐसे एग्रीमेंट तो हजारों देखे हैं…

तुम लोग जानते भी हो…

हमें बेवकूफ मत बनाओ…

हमें पता है तुम लोग यहां पर लड़कियों की दलाली करते हो…

बाहर से लड़कियां लेकर के आते हो…

और यहां पर पैसे वसूलते हो…

पुलिस का दरोगा बोला…

नहीं,,नहीं सर …

हम लोग ऐसे नहीं है …

आप विश्वास तो करें …

प्रथम ने कहा…

कैसे करें विश्वास …

अपने घर वालों से बात करा लड़के…

दरोगा बोला…

आसपास खड़े बच्चे भी घबरा गए….

प्रथम मन ही मन  सोचा कि अगर मैंने  घर में किसी से बात कराई..

तो सब लोग घबरा जाएंगे…

और पता नहीं बात कहां से कहां चली जाएगी…

उसके मन में बस एक ही बात आई …

कि  क्यों ना देवेश से बात कर ली जाए…

वही देवेश जो निहारिका के साथ में आया था…

उसने झट से अपने फोन से देवेश का नंबर लगाया…

हेलो सर …

देवेश बोला…

हां जी कौन बोल रहा है …??

जी  मैं प्रथम …??

कौन प्रथम…??

सर वही ,,,आज निहारिका जी आई थी ,,और आप आए थे मेरा बैग  स्टेशन पर लौटाने  के लिए ….

प्रथम सकपकाते हुए बोला…

अच्छा-अच्छा,,प्रथम जी …

हां जी कहिए …

कैसे याद किया इतनी रात को…

कमरा आपको मिल गया ना …??

अच्छे से व्यवस्था हो गई आपकी…??

देवेश ने कहा…

नहीं नहीं सर…

मैं बहुत ही बड़ी समस्या में फंस गया हूं…

क्यूँ क्या हुआ…??

यहां पर पीजी में एक रूम लिया …

वहां पर पुलिस की रेड  पड़ गई है ….

और मुझे पकड़ लिया गया है…

अगर आप मेरी कुछ मदद कर सकते हैं इसमें …

तो प्लीज हेल्प मी…

अनजान शहर में किसी को नहीं जानता…

सिर्फ आपका ही ख्याल मन में आया …

अगर आप मना  भी करेंगे तो कोई बात नहीं…

मैं किसी तरह देखूंगा फिर ….

प्रथम असहाय सा  महसूस कर रहा था …

आपको पहले ही बताना चाहिए था…

मैं आता हूं …

मैं तो आपसे पहले ही कह रहा था कि आप मेरे घर आ जाइए…

जी..

आप परेशान मत होइए …

मैं अभी आता हूं …

देवेश कपड़े बदलने  लगा…

तभी  निहारिका बोली…

जी कहां जा रहे हैं आप …??

अरे वह जो लड़का था ना प्रथम…

उसे पुलिस ने पकड़ लिया है…

तो बस उसकी जमानत देकर के आता हूं….

मैं भी चलूं आपके साथ…??

निहारिका  बोली ….

हां चलो …

चलना हो तो…

देवेश और निहारिका पुलिस स्टेशन आ चुके थे ….

निहारिका बाहर  खड़ी रही….

देवेश ने उसे अंदर आने से मना कर दिया…

पुलिस की पूछताछ अभी भी चल रही थी ….

कुछ लोगों के घर से भी लोग आ गए थे …

जिनकी  जमानत हो चुकी थी…

अब बस दो ही लड़के बचे थे …

देवेश बोला …

हां जी सर ….

कैसे ,,क्या ..बात हो गई…??

अरे देवेश सर आप…??

दरोगा बोला …

इसे छोड़ दो सर…

क्या आपके  यह जाने वालों  में से है…??

दरोगा ने कहा…

हां जी…

मेरा भाई है …

यही समझ लीजिए…

देवेश ने कहा…

यह काफी दूर से पढ़ने के लिए यहां आया है…

ऐसा,,वैसा लड़का नहीं है ये…

कमरा चाहिए था बेचारे को….

अनजान था इसलिए शायद गलत जगह चला गया….

प्लीज  छोड़ दीजिए इसे …

इट्स माय हंबल रिक्वेस्ट टू यू ….

अरे सर …

अगर आप भी हमसे रिक्वेस्ट करेंगे….

तो कैसे चलेगा…

आपने कह दिया…

इसका मतलब ये बात बिलकुल  सत्य है …

यहां पर साइन कर दीजिए…

देवेश ने साईन किया…

प्रथम अभी देवेश  की ओर ही देख रहा था…

कि सच में अनजान शहर में  वहां के जान पहचान वालों की ही चलती है…

और किसी की नहीं….

अभी प्रथम जाने के लिए मुड़  ही रहा था…

कि उसका  ध्यान  पास में खड़े  लड़के की ओर गया…

उसकी  आंखें  आंसुओं से भरी हुई  थी…

वह कांप रहा था …

बहुत ही गरीब लग रहा था…

उसके  कपड़े भी जगह-जगह से सिले हुए थे….

प्रथम पर रहा नहीं गया…

उसने बोला…

ए भाई क्या हुआ …??

तेरे घर से कोई नहीं आया…??

नहीं नहीं…

किसी तरह से बाबा ,,मां पापा ने कॉलेज में पढ़ने  की फीस जमा करी है…

अब मैं किस मुंह  से बोलूं उन्हें कि मैं किस चीज में फंस गया हूं….

अब तो आत्महत्या करने का मन कर रहा है भाई….

लड़का रुआंसी  आँखों से बोला…

नहीं नहीं …

अभी तो बहुत आगे जाना है रे तुझे ….

प्रथम बोला…

सर अगर हो सके तो प्लीज इस  लड़के को भी छुड़वा दीजिए….

इससे  मेरा कोई संबंध नहीं है….

लेकिन एक इंसानियत के नाते…

प्रथम  ने देवेश की ओर देखकर बोला …

तुम इसे जानते नहीं हो…

तुम कैसे कह सकते हो कि यह  गलत नहीं है …

सर भले ही मुझे जीवन का तजुर्बा नहीं …

लेकिन इतना तो कह सकता हूं…

इसकी हालत देखकर कि यह सच में सिर्फ पढ़ने  ही आया है….

प्रथम की बात सुनकर देवेश ने कहा ….

हां जी सर …सुनिये….

जरा इस लड़के को भी छोड़ दीजिए…

यह प्रथम का ही जानने वाला दोस्त  है …

उसी के साथ आया है शहर से….

देवेश ने उसके भी साइन कर दिये….

थैंक यू सो मच सर….

सभी लोग बाहर आ गए…

निहारिका भी घबराती हुई इधर से उधर चहलकदमी कर रही थी….

प्रथम को देखकर निहारिका  बोली…

क्या प्रथम जी आते ही शहर में इस तरह की प्रॉब्लम में फंस गए….

अब आप,,हम लोग जहां कहेंगे…

वहीं पर रहेंगे …

प्रथम ने कुछ नहीं कहा…

वह भी सोचा कि कम से कम कोई तो है …

जो हमें पूछ रहा है …

चलिए…

आज मेरे घर पर ही रहिएगा…

फिर कल  आपके रहने की व्यवस्था करते हैं…

देवेश बोला….

वह लड़का जो प्रथम के साथ में था…

धीरे-धीरे अपना बैग लेकर आगे की ओर  जाने लगा…

पता नहीं क्यों प्रथम के मन में उसके लिए एक अपनत्व आ गया था …

और देवेश भी सोच रहा था …

कि  प्रथम  उसी की  ओर देख रहा है…

हां …

उसे भी ले चलो…

भाई रुक…

उस लड़के ने पलटकर देवेश   के पैर छू लिए…

ये क्या कर रहे हो…

सर,,इस शहर में सच में आप भगवान के रूप में मेरे लिए आए हैं…

आपका एहसान मैं  जीवन भर नहीं चुका सकता…

आप रहने दीजिए…

मैं कोई ना कोई कमरा देख लूंगा…

आपने मुझे इस समस्या से निकाल दिया…

इतना ही बहुत है…

नहीं ,,नहीं…

अब  जब तक तुम लोगों के कमरों की व्यवस्था नहीं हो जाती…

तुम मेरी जिम्मेदारी हो…

वैसे भी अनजान शहर में मदद तो करनी  ही चाहिए…. we are indians…..

देवेश और निहारिका ने उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाया …

निहारिका आगे की ओर देवेश के पास वाली सीट पर  बैठी हुई थी…

बार-बार प्रथम सामने वाले मिरर  से निहारिका की ओर  देख रहा था …

फिर अपनी आंखें नीचे कर लेता था…

निहारिका भी अपनी  आंखें  बार-बार झुका लेती…

प्रथम  मन ही मन  सोच रहा था…

कि अब तो ऐसा ही लग रहा है …

कि शायद देवेश निहारिका का पति है…

घर आ चुका था…

देवेश ने उन दोनों को हाथ मुंह धोकर खाने के लिए बोला…

निहारिका ने  जल्दी से दोनों के लिए दाल चावल और रोटी तैयार की …

क्यों परेशान हुई  आप…

रात के 2:00 बज रहे हैं …

आप हम लोगों के लिए परेशान हो रही हैं…

नहीं नहीं…

इसमें कोई परेशानी की बात नहीं …

आप लोग को देखकर लग रहा है…

कि आप लोग जल्दी घबराकर   निकल आए हैं…

खाना नहीं खाया है…

प्रथम और  उस लड़के ने खाना खाया…

आप लोग इस गेस्ट रूम में सो जाइए…

देवेश ने  गेस्ट रूम में ले जाकर प्रथम और उस लड़के को एक-एक बेड दे दिया…

थैंक यू सो मच सर …

अब यह बार-बार तुम लोग थैंक यू बोलोगे ना …

तो समझ लेना…

देवेश बोला…

गुड नाईट…

रात हो चली थी…

पता नहीं क्यों प्रथम को नींद नहीं आ रही थी …

उसे लगा कि बाऊजी से बिना बात किए ही फोन रख दिया  आज…

शायद ही कोई मेरे घर में सोया हो…

तभी बाहर की ओर  बालकनी में टहलते हुए   प्रथम अपने घर फोन लगाता है…

उसकी पहले ही घंटे में दीनानाथजी फोन उठा लेते हैं …

अरे लला…

इतनी देर से तो फोन कर रहा हूं…

तूने इतनी जल्दी फोन काहे को काट दो …

आज तक कभी झूठ ना बोलने वाले प्रथम ने पहली बार जीवन में झूठ बोला…

वह ऐसे ही बाऊजी…

बस वह लड़के ने बुला लिया था खाना खाने के लिए …

तो इसलिए चला गया तू ..

इतनी जोर की भूख लगी कि तू बिना बात किये ही  खाना खाने चलो गयो…

पतो है तब से काऊँ ने  यहां खानो  ना खायो  है …

अपनो  ध्यान रख…

बाऊजी बोले…

अच्छा सो जा…

सवेरे तोये   कॉलेज जानो  होगो…

हां बाऊजी…

आप सब से कहिएगा …

कोई भी परेशान ना हो…

बहुत अच्छे से यहां पर हूं मैं…

कोई दिक्कत नहीं है…

आप भी सो जाइए…

और मां  से भी कहिए..

घबराएं नहीं…

हां हां लला ..

 तेरे से बात हो गई ना..

सभी के सांस  में सांस आये गयी…

सभी लोग खाना खाये के सोए जाएंगे…

फोन रख  दिया….

लला  ठीक है ..

सभी  भाइयों और घरवालों में एक खुशी की लहर दौड़ गई…

कि चलो प्रथम ठीक तो है…

बाऊजी ने तो ऐसा कह दिया था …

जैसे पता नहीं वहां क्या हो गया हो…

प्रथम  बालकनी से अपने कमरे में जा ही  रहा था …

कि तभी उसकी नजर नीचे की ओर गई..

क्या देखता  है कि निहारिका वहां जमीन में मिट्टी पर कुछ खोद  रही थी …

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तब तक के लिए जय श्री राधे…

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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