अहमियत रिश्तों की (भाग-12) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे…..

प्रथम जैसे ही देवेश और निहारिका के घर से बाहर गेट पर  आता  है ..

तभी निहारिका उसकी बाजू पकड़ लेती है…

उसे रोकती हैं…

प्रथम  नहीं रुकता है ..

वह कहती है कि आओ  देवेश …

मैं तुम्हें दिखाती हूं….

कि मैं मिट्टी में क्या खोज रही हूं…

वह प्रथम  को  खींचकर उसे मिट्टी के पास बैठा लेती है…

और जोर-जोर से  कुदाल से मिट्टी  पर प्रहार करती रहती है . ..और थककर   पसीने से तर हो जाती है ….

क्या कर रही है आप निहारिका जी…

आपको दिख नहीं रहा मैं लेट हो रहा हूं कॉलेज के लिए….

फिर कभी आऊंगा…

तब देख लूंगा ….

नहीं-नहीं प्रथम …

रुको…

आज मैं तुम्हें अपनी सच्चाई बता कर रहूंगी…

मेरी थोड़ी हेल्प करो …

एक और कुदाल लाकर निहारिका  उसके हाथ में पकड़ा देती  है…

प्रथम थोड़ी सी मेरी मदद कर दो ना…

यह गड्ढा जल्दी ही गहरा हो जाएगा…

प्रथम कुछ नहीं समझ पाया …

वह भी जल्दी से कुदाल से उसमें प्रहार करने लग जाता है …

कि तभी उसे गेट से उसका दोस्त बंटी आता हुआ दिखाई पड़ा…

क्या कर रहा है यार प्रथम तू कल से यहां ..

तू रात से  दिखाई नहीं पड़ा मुझे …

मैं तो घबरा गया…

तेरा फोन भी तो नहीं उठ रहा है …

तेरे बड़े भाई साहब और बाबा आए हुए हैं रूम पर तेरा इंतजार कर रहे हैं …

क्या बाऊजी आए हैं….

प्रथम चहक  उठा …

चल कॉलेज के लिए भी तो  लेट हो रहे हैं…

प्रथम तो छुटकारा चाहता ही था…

वह झट से कुदाल फेंक कर बंटी के साथ जाने लगता है…

निहारिका बोली …

प्रथम कहां जा रहे हो…??

क्यों आपके साथ ही बैठा रहूं…

मुझे भी मेरे काम है …

प्रथम रुको ना…

मैं मर जाऊंगी …

देवेश मुझे मार डालेगा …

आप मरे या जिए…

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता…

अब मैं जा रहा हूं…

प्रथम हांफता हुआ बंटी के साथ पैदल ही चला आया है…

यार प्रथम कुछ मुझे समझ नहीं आया…

तू यहां बेंगलुरु पढ़ने आया है…

ये  निहारिका के चक्कर में क्या पड़ गया है…

कहीं तुझे इश्क तो नहीं हो गया उससे …

है तो बहुत खूबसूरत …

और हम पर एहसान भी हैं उसके…

ईश्क  और उस भूतनी से…

ना रे बाबा ना….

तू वैसे यहां पर क्या कर रहा था …

अगर तेरे भाई और बाबा को पता चलेगा…

तो वह क्या सोचेंगे…

तुझे क्या बताऊं…

सब बताऊंगा यार…

मैं तो बहुत गलत चक्कर में फंस गया हूं…

दोनों रूम पर आ जाते हैं…

उसके बाबा और भईया पिंटू  उसका इंतजार कर रहे होते हैं…

प्रथम अपने बड़े भाई साहब पिंटू और बाबा के पैर छूता है …

बाऊजी और भईया  आपने बताया भी नहीं …

अचानक से आ गए….

पागल कहीं का …

कितने तो फोन किये  तुझे…

उठा ही  नहीं रहा था …

बाऊजी का मन बहुत दिन से घबरा रहा था …

तो बस चले आए…

वैसे तो यही सोचा था बिना बताए आएंगे…

तो तू खुश होगा …

पर तू खुश नजर नहीं आ रहा छोटे …

पिंटू बोला ….

नहीं नहीं भईया…ऐसी कोई बात नहीं है…

अपनों से मिलकर कौन खुश नहीं होता …

देख तेरे लिए तेई  अम्मा ने क्या-क्या भेजा है लला …

तभी उसके बाबा दीनानाथ जी अचार, कचोरी ,मठरी ,लड्डू झोले से निकाल कर दिखाने लगे…

प्रथम के चेहरे पर बिल्कुल भी खुशी के भाव नहीं थे…

यह सब तेरे मन की चीज हैं…

फिर भी तो खुश ना दीख रहो….

का कोई दिक्कत है लला…

कोई समस्या  है मुझे बता …

बाबा बोले…

बाऊजी आपसे और भईया  से कुछ जरूरी बात करनी है…

लेकिन अभी मुझे कॉलेज जाना है ….

फिर आकर के करता हूं ….

ऐसी क्या बात है छोटे …

आज मत जा कॉलेज…

अपने मन की ही कह ले…

हमको भी साँझ को निकालना है…

क्या बाऊजी..इतनी दूर से आए हैं …

एक रात भी नहीं रहेंगे मेरे साथ….

अब मैं आपको नहीं जाने दूंगा…

चार-पांच दिन तो रहिये….

मैं बहुत ही परेशान हूं…

मेरा छोरा  परेशान है …

तो ठीक है …

य़हीं  रुकूंगा मैं तो…

पिंटू तोये जानो है तो जा…

मुझे तो यह कमरा  बढ़िया लगो…

यहीं रुक जाऊंगा…

इतने बड़े शहर में  रहूंगा….

बाऊजी की यह बात सुन प्रथम खुश हो जाता है …

बंटी और प्रथम कॉलेज  आ गए हैं …

दो लेक्चर अटेंड करके प्रथम बाथरूम की ओर जाता है…

बहुत तेज कदमों से बढ़ता जा रहा है क्योंकि उसे तीसरा लेक्चर भी अटेंड करना था और क्लास बहुत दूर थी….

कि  तभी उसे अपने पीछे कोई साया आता हुआ नजर आता है…

पलट कर देखता है…

कोई भी नहीं होता है …

फिर वह आगे बढ़ता चला जाता है..

अब क्या …

अब तो आस-पास कोई लड़का, लड़की भी दिखाई नहीं पड़ रहे थे..

जो उसके साथ में आ रहे हैं…

अब तो प्रथम घबरा जाता है…

ऐसे लगता  है…

जैसे पीछे कोई साया तेज कदमों से ,,बड़े बूट पहने हुए चला आ रहा है …

खट खट खट आवाज आती है …

प्रथम टॉयलेट जाता ही नहीं है …

वह फिर से दोबारा वापस लौट जाता है …

कि ऐसा लगता है किसी ने उसके पीछे से हाथ खींचा हो…

वह अपना हाथ झटकते हुए  निकल आता है…

प्रथम  घबरा जाता है …

और अब आगे के लेक्चर अटेंड नहीं करता…

वह सीधा अपने घर आता है…

बाऊजी के पास आकर बैठ जाता है ….

बाऊजी एक बार बताओगे मुझे…

हां हां बोल लला …

तू जल्दी कैसे आ गया…

तेरा कॉलेज तो 5:00 बजे तक को  होता है  …

बाऊजी एक बात बताओ…

क्या यह आत्मा ,,वात्मा होती है…

क्या भूत होते हैं …

मुझे बहुत ही घबराहट हो रही है…

यह कैसी बात कर रहा है …

बचपन से आज तक तूने ऐसी कोई बात ना करी ..

अब तू  यह कैसी बातें पूछ रहा है …

बाऊजी बताओ ना …

बहुत परेशान हूं मैं …

क्या ऐसे भी कोई चीज होती है …

वैसे तो लाल इन चीजों पर  मेरो विश्वास ना हतो…

लेकिन एक बार ऐसी बात भई …

तो यकीन है गयो …

ऐसे क्या बात हुई बाऊजी…

प्लीज बताओ ना मुझे भी ….

तो सुन….

इससे पहले की प्रथम के बाऊजी उसे कुछ बताते…

तभी उनके दरवाजे पर पुलिस खड़ी थी…

क्या प्रथम यहीं  रहता है ..??

जी हां मेरा ही छोरा  है…

का  बात है गई…??

दीनानाथ जी बोले…

देवेश का  मर्डर हो गया है…

तो उसी की छानबीन करनी है…

पूरा शक  प्रथम पर ही जा रहा है…

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तब तक के लिए जय श्री राधे

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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