नैना आज बहुत खुश थी! क्योंकि कल अमेरिका से उसके पिताजी के खास दोस्त जो आने वाले थे। घर में उनके आने की पूरी तैयारी जोर-शोर से हो रही थी!” रमेश जी जो नैना के पिता थे उन्होंने अपनी पत्नी रमाजी से कहा अजी सुनती हो! अजीत को छोले भटूरे बहुत पसंद है कल का नाश्ता यही रखना और लंच में कढ़ी चावल साथ में उसको बैगन का………… “भरता” बहुत पसंद है !
यही ना! रमा रमेश जी की बात को बीच में काटते और मुस्कुराते हुए बोल पड़ी !तुमने यह बात मुझे पिछले चार-पांच दिनों से कितनी बार सुना रखा है। हां बाबा! मुझे सब याद है। मैं सारी तैयारी तुम्हारे हिसाब से ही तो कर रही हूं ।और भी सोच लीजिए पापा की अंकल को क्या-क्या पसंद है, बीच में नैना हंसते हुए बोल पड़ी !अरे नहीं बेटा! अब उसका जो फेवरेट था वो तो मैंने बता दिया बाकी उसको तो आ जाने दे। कल सुबह-सुबह रमेश जी तैयार होकर दोस्त के आने की बाट जोहने लगे।
रमा जी हाथ में चाय का प्याला पकराते हुए बोली ,कि अभी आपके दोस्त को आने में पूरे 4 घंटे बाकी हैं फ्लाइट का टाइम 11:00 बजे की है ।और आप अभी से इतना बेसब्र क्यों हो रहे हैं ! रमेश जी और रमाजी दोनों एक साथ हंस पड़े!
समय आ गया था जब दोनों दोस्त आपस में गले मिले।
फिर तो दोनों में बातों का सिलसिला चल पड़ा कॉलेज के दिनों से लेकर पूरे घर परिवार तक। जब बच्चों की बात आई तो अजीत जी ने रमेश जी से कहा कि क्यों ना हम इस दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दें! मेरा भी एक ही बेटा है। अगर…. तू कहे तो नैना को” मैं अपने घर की बहू बना लूं” रमेश जी ने खुशी-खुशी हामी भर दी! अजीत देर ना करते हुए यह बात अपनी पत्नी कांता जी और बेटा अमित को बताया। पिता को इतना खुश जान अमित ने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी।
फिर एक अच्छा दिन देखकर दोनों की शादी हो गई नैना अब अजीत के घर की बहू बन “अमेरिका आ गई थी।
नैना चुकी इस घर में नई थी, इसके बावजूद अजीत और रमेश जी में गहरी दोस्ती की वजह वह घरेलू जैसी होने लगी । सेवा में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती थी।
सुबह उठते ही स्नान ध्यान करके सबके कमरे में चाय पहुंचाना, नाश्ता लगाना, दोपहर भोजन से लेकर रात का भोजन तैयार करना । सास -ससुर की सेवा में अपना समय बिताती ।उसे दिन- रात में फर्क महसूस नहीं होता था।
शाम में अमित जब घर आता तो नैना को पूरी तरह से व्यस्त देख, उसकी मदद कर दिया करता।
कांता जी को अब अपनी बहू में खामी नजर आने लगी थी वह आए दिन अपनी नैना की शिकायत अजीत जी से किया करती लेकिन वह हर बार बात को यह कह टाल दिया करते , कि नैना बहू नहीं बेटी है हमारी।
लेकिन कांत जी कहां सुनने वालो में से थी उनको तो बस अपनी बात मनवानी थी। कांताजी अब पूरी तरह से नैना पर आश्रित हो चुकी थीं ।जब से नैना इस घर में आई घर का सारा काम उसके जिम्मे जो सौंप दिया था ।
इधर कई दिनों से नैना की तबीयत सही नहीं चल रही थी ।जिम्मेदारियां बढ़ाने के कारण ,उसने अपना ध्यान रखना छोड़ दिया था।
सुबह के 9:00 बज चुके थे अमित आज नैना को पहली बार इतनी देर सोता देख , बिना उठाए ऑफिस के लिए तैयार होने लगा था ।
“मां! आज नैना को जी भर के सो लेने दो, पता नहीं वह आज इतना क्यों सो रही है। शायद उसकी तबीयत सही नहीं है।” मैं नाश्ता आज कैंटीन में ही कर लूंगा ।इतना सुनते ही कांता जी के होश उड़ गए उन्हें लगा, कि जैसे बेटा हाथ से निकल गया हो ।”महारानी जी पैर फैला कर अब तक सो रही हैं और अमित को जाने क्या-क्या पट्टी पढ़ा दिया होगा ।
कांता जी बिना नैना का हाल जाने, अजीत जी के पास जाकर उसे कोसना शुरू कर दिया।
अजीत जी कांता जी को शान्त कर खुद नैना के कमरे में उसका हाल जानने आए, तब उन्होंने प्यार से नैना के सिर पर हाथ फेरा तो देखा उसका सिर बुखार से तप रहा था ।साथ में उसके कराहने की आवाज भी आ रही थी।
” अमित तुम फॉरेन
अभी के अभी ऑफिस से छुट्टी लेकर घर आ जाओ ।”नैना बीमार है अजीत जी ने अमित को कॉल कर, घर बुलाया।
” इन्हें कमजोरी और हरासमेंट से बुखार आ गया है, कुछ गोलियां विटामिन्स की दे रहा हूं , खाना- पीना समय से किया करें ।डॉक्टर ने पूरी हिदायत दे डाली। दवाइयां लिखते हुए बोले कि कुछ दिन तुम्हें आराम की जरूरत है ।
इधर कांता जी को अपनी गलती का एहसास होने लगा था। जो बहू हम सबके लिए दिन-रात एक पैर पर खड़ी रहती थी आज मैंने ये नहीं सोचा कि वह इतनी देर तक क्यों सोई रही । उसकी तबीयत के बारे में मुझे क्यों नहीं ख्याल आया।
घर आते ही आज मैं “नैना को अपने गले लगाऊंगी क्योंकि उसकी अहमियत इस घर में बेटी जैसी है !
सोचते -सोचते कांता जी जल्दी-जल्दी घर का काम निपटाने लगी थीं।
मनीषा सिंह