अधूरी औरत (भाग 1) – मुकेश पटेल

काजल की  शादी हुए अभी सिर्फ 6 महीने ही हुए थे।  उसके पापा ने कितने शानो-शौकत से एक बड़े बिजनेसमैन ऋषभ से काजल की शादी कराई थी।  जिसका मुंबई में बहुत बड़ा रेस्टोरेंट का बिजनेस था।  सबको लगा था कि काजल को वह सब कुछ मिलेगा जो एक लड़की अपने पति से उम्मीद करती है

लेकिन मां-बाप को यह पता नहीं होता है कि एक लड़की के जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं होता है। बल्कि इससे बड़ा होता है प्यार।  ऋषभ के पास पैसा तो बहुत था लेकिन उसके पास काजल को देने के लिए समय नहीं था।

इन 6 महीनों में काजल को मुंबई शहर काटने लगा था  ऐसा लगता था कि इस महानगर में वह अकेले रहती है।  दिन भर फ्लॅट के अंदर बंद पड़ी-पड़ी एक कठपुतली बन गई थी ना किसी से मिलना जुलना ना किसी से बोलचाल।

देर रात ऋषभ घर आता था खाना खाता था और फिर अपने किसी जानकार से फोन पर काफी देर तक बातें करने लग जाता और ऐसे में काजल को कब नींद लग जाती थी।  काजल को भी पता नहीं चलता था।  सुबह होते ही काजल सोई ही होती थी तब तक ऋषभ घर से बाहर निकल जाता था।   

धीरे-धीरे काजल डिप्रेशन में चली गई थी उसे अब सिर में दर्द भी रहने लगा था उसकी मानसिक स्थिति पहले से खराब हो गई थी। काजल की एक दोस्त मानसिक रोगियों के डॉक्टर थी उसने उसे फोन करके अपनी व्यथा बताई।



 उसकी दोस्त मीरा ने काजल को बताया कि देख भाई तेरी बीमारी का इलाज यही है कि तू ऋषभ से बैठकर इत्मीनान से बातें कर, उसे अपनी समस्याएं बता, अपनी फीलिंग शेयर करो, क्योंकि इसकी कोई दवा नहीं है।तुम दोनों एक साथ समय बिताओ कहीं वीकेंड पर बाहर घूमने जाओ।  

लेकिन काजल कैसे अपने दोस्त मीरा से बताएं कि जिसके पास एक बात तक सुनने का समय नहीं है उसके सामने कैसे हाल ए दिल बयान करें।  उस इंसान के लिए तो पैसा ही सब कुछ था, सुबह-शाम सिर्फ पैसा पैसा पैसा।

एक दिन सुबह न्यूज़पेपर पढ़ रही थी तो एक स्कूल में टीचर की वैकेंसी निकली हुई थी काजल ने सोचा कि वहां पर अप्लाई कर देती हूँ। अगर वहां पर सिलेक्शन हो जाता है तो मेरा टाइम पास भी हो जाएगा।  यह सोचकर अगले दिन वह उस स्कूल में जाने को सोच लिया।

सुबह जब ऋषभ घर से निकलकर ऑफिस जाने के लिए तैयार था काजल ने बोला कि मुझे एक इंटरव्यू के लिए जाना है, क्या आप मुझे वहां तक छोड़ सकते हो? इस बात पर ऋषभ कोई भी गंभीरता नहीं दिखाई ना ही  काजल को मना किया, उसने बस इतना ही बोला काजल वैसे तुम्हें जॉब करने की कोई जरूरत नहीं है

अगर फिर भी तुम्हें मन है कि मैं जॉब करूं तो जाकर कर सकती हो लेकिन अभी मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है कि मैं तुम्हें वहां तक छोड़ पाऊंगा।  तुम ऐसा क्यों नहीं करती हो एक कैब बुक  कर लो और जाकर इंटरव्यू दे आओ।

काजल निराश हो गई वह सोच रही थी कि कैसे कटेगी मेरी जिंदगी इस इंसान के साथ, जिसके पास  मेरे लिए 24 घंटे में 10 मिनट नहीं है । जब ऋषभ को मेरे लिए समय ही नहीं था तो इसने आखिर मेरे साथ शादी किया ही क्यों? कभी भी यह नहीं पूछता है चलो आज कहीं सिनेमा देखने चलते हैं या कहीं घूम कर ही आते हैं। 

कई बार तो देर रात तक ऋषभ का इंतजार करते-करते बाहर सोफे पर ही सो जाती हूं।

 इतनी देर में ऋषभ ऑफिस के लिए बाहर निकल कर चला गया था।  काजल के आंखों से आंसू टपकने लगा था।  उसका मन किया कि वह फूट फूट कर रोए लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। 

और अपने आप को हिम्मत बांधी और खुद से बोली अब मैं कभी भी नही रोउंगी आखिर जब मेरा कोई आंसू पोछने वाला ही नहीं है और ना ही मेरी कोई चीख सुनने वाला है तो इस रोने का क्या फायदा।  उसने अपने फोन से उसी समय एक कैब बुक की और इंटरव्यू के लिए चली गई। 

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