अधिकार – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : मंजू अभी दो 6 माह पहले ही सुमित्रा जी के घर उनके बड़े बेटे की अर्धांगिनी बनकर आयी थी …. सुमित्रा जी स्वभाव की बहुत ही कड़क और हमेशा बुलंद आवाज में बात करने वाली , हर बात पर टोका टाकी करने वाली एक तेज तर्रार सास थी .. य़हाँ तक की मंजू के ससुर जी भी उनकी आदत के लिए उन्हे कभी नहीं टोकते थे ….

यहीं बात मंजू को अन्दर ही अन्दर दुख पहुँचाती थी कि अभी दिन ही कितने हुए हैं मुझे आयें और मम्मी जी हर मिनट पर उसे कुछ ना कुछ बोलती रहती हैं… कभी कोई पड़ोस की औरत घर आती तो तुरंत पल्लू बड़ा करने को कहती, फिर पैर छूने का इशारा करती… आँखों के इशारों से तुरंत कमरे में जाने को कहती…

एक बार पड़ोसन कमला जी आयी…आकर उन्होने सुमित्रा जी से राम राम करी .. सुमित्रा जी ने आँखों के इशारे से फिर मंजू को अन्दर जाने के लिए कहा …

का हो बहिनी बैठो … आज सुबह सुबह कैसे आना हुआ… सब कुशल मंगल तो हैं?? सुमित्रा जी मुंह में पान चबाते हुए बोली…

वो ज़रा कान पास तो लाना ज़िज्जी. … कमला जी बोली. ..

तू बोल… किससे डर रही हैं…??

तो ठीक हैं मुझे किसका डर … तुम्हारी बहुरिया हैं ना जो पता भी हैं कमरे में क्या क्या करती हैं…. वो उसका कमरा ऊपर हैं… मैं ऊपर कपड़े सुखाने ज़ाती हूँ जब तो वो बहूरानी एक बार नाच रही थी अकेले ही … और फ़ोन पर लगी रहती हैं…. बाहर बालकनी में खड़े होकर बाल सुखाती हैं… पिंटू (बड़ा बेटा) तो सुबह ही निकल जाता हैं ऑफिस… उसे और आपको क्या पता … सब रास्ते से आते ज़ाते मर्द लोगों की नजर पड़ती हैं… एक बार तो मेरे ये भी ऊपर अखबार पढ़ रहे थे तो उन्होने मंजू को बाल सुखाते देखा तो शर्माकर नीचे चले गए … अच्छा नहीं लगता ज़िज्जी … आप समझा देना बहू को… आज मैने कहा है , कल को कोई और कहेगा … हां नहीं तो… कमला जी सारी बात एक सांस में बोल गयी….

रसोई से सारी बातें मंजू भी सुन रही थी … वो डर से कांप रही थी कि आज सुमित्रा जी उसे छोड़ेंगी नहीं…. आज तो उसे बहुत खरी खोटी सुनाई जायेगी… वो अन्दर ही अंदर सुबक रही थी …. कि तभी उसे सुमित्रा जी की दहाड़ती हुई आवाज सुनाई दी… उन्होने पान थूकते हुए बोलना शुरू किया ….

खबरदार दुबारा मेरे घर में मेरी बहू की बुराई करने आयी तो…. किसने अधिकार दिया तुझे मेरी बहू पर ऊंगली उठाने का … वो फ़ोन चलाये … नाचे,, गाये ,,, बाल सुखाये …. उसका कमरा… उसका घर …. बबलू (कमला जी के पति ) अखबार पढ़ने जाता हैं ऊपर कि बहू की हरकतें देखने… पहले खुद की पतलून संभाल ले ,पूरा दिन तो खिसकती रहती हैं…वो बालकनी में बाल नहीं सुखायेगी तो क्या तेरे घर जायेगी सुखाने …

मेरी बहुरिया हैं ही इतनी सुन्दर … कि जो देख ले नजर ही ना हटें…. ज्यादा नमक मिरच मत लगा कमला … पहले अपना घर संभाल … तू अपनी बहू की बुराई बाहर जाकर करती थी … इसलिये छोटे की बहू हमेशा के लिए घर छोड़कर चली गयी…. बड़ी आयी मेरी बहू की बुराई करने वाली.. हीरा हैं हीरा ,, मेरी मंजू … बहू ज़रा यहां आ….

मंजू सिकुड़ती हुई आँखों में आंसू भरे डरी सहमी सी रसोई से आयी…

तुझे डांस करना, कत्थक करना अच्छा लगता हैं… तेरे पिता ने बताया था … मैं पिन्टू से कह दूँगी … पास में ही क्लास हैं गली में… तू चली जाया करना सीखने … और अपने कमरे में जी भरकर नाचा कर … मैं भी देखूँगी … डरने की ज़रूरत नहीं… तू हमारे घर की बहू हैं… तुझसे किसी बाहर वाले को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं….

वो तो ज़िज्जी बस मैं ऐसे ही बोल दी … सच में बहू बहुत अच्छा डांस करती हैं… अच्छा मैं चलती हूँ…. बहुत काम पड़ा हैं… अकेले ही करना हैं…. कमला जी अपना सा मुंह ले जल्दी से चलती बनी…

मंजू आज अपनी सास का दूसरा रुप देख रही थी … उसे समझ आ गया था कि क्यूँ ससुर जी और उसका पति सास को कुछ भी कहने पर नहीं टोकते … मंजू को अब अपनी सासू माँ की किसी भी बात का बुरा नहीं लगता…

जो सास भले ही जबान की खरी हो… पर अगर भरे समाज में अपनी बहू की कमियों को छुपाकर उसकी बड़ाई करती हैं… अंत समय तक उसे बहू की सेवा मिलती हैं….

स्वरचित

मौलिक, अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

#अधिकार

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