अचूक फार्मूला – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

शिनी , मोनू सब आ जाओ डाइनिंग टेबल पर खाना लग गया है शिनी जरा अपने पापा को भी आवाज दे दो लैपटॉप में व्यस्त होंगे प्रीति ने जोर से आवाज लगा सबको बुलाया लेकिन कोई टस से मस ही नहीं हुआ।

छुट्टी का दिन तो जैसे और भी लंबा हो जाता है प्रीति के लिए।बच्चे आराम से सोकर उठते हैं फिर मनपसंद ढेर सा नाश्ता चाहिए आराम से नाश्ता करते हैं तो लंच करने की किसी को कोई जल्दी ही नहीं रहती।

मोनू जल्दी आ जाओ खाना ठंडा हो रहा है पापा को भी बुला लो फिर कहेंगे खाना ठंडा हो गया है गर्म कर दो प्रीति की आवाज में अबकी चिड़चिड़ाहट थी …

मोनू….. सुनाई नहीं पड़ रहा है क्या जोर से कहते ही मोनू हरकत में आया।

अरे मम्मा क्यों चिल्ला रही हो छुट्टी का दिन है … पूरा गेम बिगाड़ दिया देखा मैं जीतते जीतते हार गया क्या मम्मा आप भी ना खाना खा लो खाना खा लो हल्ला करती रहती हो जाओ नहीं खाना मुझे खाना हरा दिया मुझे मोनू पैर पटकता बाहर चला गया!

अरे सुन तो बेटा कहती प्रीति उसके पीछे पीछे भागी पर तब तक वह गायब हो चुका था।

सुनिए मोनू को बुलाइए बिना खाना खाए कहीं चला गया है प्रीति ने परिमल के पास आकर कहा जो लैपटॉप में बुरी तरह व्यस्त थे।

ओहो प्रीति तुमने डिस्टर्ब कर दिया मेरा सारा कैलकुलेशन बिगाड़ दिया तुमने ।पिछले एक घंटे से मैं इसे पूरा करने में जुटा था पूरा हो ही गया था कि तुमने आकर गड़बड़ कर दिया तुम्हें तो और कोई काम ही नहीं रहता बस एक ही रट्टा लगाती रहती हो नाश्ता कर लीजिए खाना खा लीजिए मुझे हजार काम रहते हैं ऑफिस के। छुट्टी के दिन भी चैन नहीं लेने देती हो परिमल भन्ना गया।

खाना ठंडा हो रहा था जी और ज्यादा टाइम भी हो गया था इसीलिए सबको बुला रही थी वो मोनू भी नाराज होकर बिना खाए चला गया मेरी क्या गलती है इसमें प्रीति दुखी हो गई।

एक खाना ही तो बनाती हो तुम उस पर भी इतना हल्ला !!खा लेंगे जब जिसे खाना होगा पीछे क्यों पड़ जाती हो सबके। इसीलिए मोनू चला गया। छुट्टी का दिन है सबको थोड़ा रिलैक्स चाहिए और तुम हो कि चैन नहीं लेने देती ।खिलाना इतना जरूरी था तो खाना यहीं दे जाना था इतना जरूरी काम था करते करते खा लेता मैं ।परिमल फिर से लैपटॉप खोलकर बैठ गया।

मम्मा ये इतनी गंदी सब्जी बनाई हो आप आज छुट्टी है कुछ अच्छा सा क्यों नहीं बनाया आपने मुझे नहीं खाना… डाइनिंग टेबल पर बैठी शिनी थाली खिसका कर खड़ी हो गई थी।

बिचारी प्रीति जो आज छुट्टी के दिन सुबह से एक पैर से दौड़ दौड़ कर सबकी जरूरतें पूरी कर रही थी ढेर भर कपड़े थोड़ी सफाई …अब सबको खाना खिलाकर थोड़ा आराम करना चाह रही थी उसके रिलैक्स की चिंता किसी को नहीं थी।जिन लोगों के लिए मेहनत कर रही थी जिन्हें खुश रखने की कोशिश में लगी हुई थी उन्हीं लोगों ने उसकी उपेक्षा कर दी उसे ही गुनहगार साबित कर दिया ..!

डाइनिंग टेबल के पास आकर हताश लस्त सी बैठ गई आँखें बंद हो गईं थीं आंसू घुमड़ रहे थे ।

दीदी दही का जामन होगा क्या.!! अचानक पड़ोसी पिंकी की आवाज से चौंक उठी।

हां हां पिंकी आओ ना बैठो अभी लाती हूं उठने की कोशिश करती फिर बैठ गई टूटन सी महसूस हो रही थी उसे।

क्या बात है दीदी तुम बहुत परेशान दिख रही हो ये सारा खाना परोसा हुआ यहीं रखा है सब खैरियत तो है किसी अनहोनी की आशंका से पिंकी चिंतित हो उठी।

सब खैरियत है पिंकी बस आज छुट्टी का दिन है ना तो सब लोग आराम से हर काम करना चाह रहे हैं और मैं सबके पीछे लगी हूं.. इतना ही कहने में प्रीति के दिल का दर्द उसकी आवाज को रुला गया था।

दीदी दीदी ये क्या आप तो रोने ही लग गईं.. पिंकी ने जल्दी से प्रीति का कंधा पकड़ कर वापिस कुर्सी पर बिठा दिया और पानी का गिलास बढ़ाते हुए बोल पड़ी दीदी आप इतना ज्यादा क्यों करती हैं सबके लिए ।सबने नहीं खाया तो अपने भी नहीं खाया सबकी बातों से दुखी होकर खुद को दोषी ठहराती रहती हो।मेरी एक बात मानोगी तो बताऊं पिंकी ने आग्रह किया।

मैं ऐसी हर बात मानने को तैयार हूं जिससे मेरे घर का ये वातावरण ठीक हो जाए मै क्या करूं बताओ प्रीति ने अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाते हुए कहा।

सुनो दीदी #कभी कभी सेवा करवाने के लिए बीमार होने का दिखावा करना पड़ता है.. समझी..आपके घर में ये फार्मूला करना ही पड़ेगा आपको…! पिंकी ने कान में फुसफुसाते हुए कहा तो प्रीति आश्चर्य में पड़ गई।

मतलब!! बीमार होने का दिखावा!!?प्रीति को बात हजम नहीं हो रही थी

हां दीदी तुम आज बीमार पड़ जाओ फिर देखो… पिंकी मजे से मुस्कुरा रही थी।

नहीं नहीं ऐसा क्यों करूंगी मैं अपने ही घर के लोगों से झूठा दिखावा करूं मुझसे नहीं होगा सब कितने परेशान हो जाएंगे मैं बिस्तर में लेट जाऊंगी तो घर के सारे काम कौन करेगा वैसे ही देख रही हो अभी ये खाना ऐसे ही धरा है फिर रुआंसी हो गई वह।

इसीलिए कह रही हूं दीदी तुम कोई भी बहाना करो पर बीमार पड़ जाओ बिस्तर से उठना नहीं रात तक।चाहे कोई कुछ भी कहे या करे बस चुपचाप देखना क्या होता है .. मैं तो अक्सर ऐसा करती हूं दीदी ….मुस्कुरा कर समझाइश देती पिंकी दही का जामन लेकर चली गई और प्रीति उसकी समझाइश को समझने की कोशिश करने में बिस्तर पर लेट गई उसके सिर में बहुत दर्द हो रहा था ।

 

मम्मा मुझे भूख लगी है खाना दे दो मोनू की तेज आवाज से उसकी नींद खुल गई।

वह सुनकर भी खामोश रही पिंकी का फार्मूला उसके कानों में गूंज रहा था।

मम्मा मम्मा उठो ना लेती क्यों हो चलो ना खाना गर्म कर दो मोनू फिर से कहने लगा।

मेरी हिम्मत नहीं हो रही है कहती वह चादर लपेट कर फिर सो गई।

मोनू चकित भी था और चिंतित भी।

पापा मम्मा को बुखार है क्या !!उसने खाना लगाने के बजाय पापा के पास आकर कहा।

तो मैं क्या करूं बोलो दवाई खा ले परिमल ने लैपटॉप से नजर हटाए बिना प्रत्युत्तर दे दिया।

मैं ले आता हूं दवाई आप तो बस लैपटॉप चलाओ गुस्सा होकर मोनू चला गया।

शिनी  आओ देखो मम्मा को बुखार है मम्मी के माथे पर हाथ रख तुम्हें दवा पता है कहां रखी है मोनू के स्वर में चिंता थी।

नहीं भैया दवा के बारे में मुझे नहीं पता क्यों मम्मी को ज्यादा बुखार है क्या चलो ना डॉक्टर के पास ले चलें शिनी मम्मी का सिर दबाने लगी मम्मी आपकी तबियत ज्यादा खराब है।

मोनू की तो भूख ही खत्म हो गई।उसने मम्मी को इस तरह बिस्तर पर लेटे देखा ही नहीं था ।

रात होने को आ गई प्रीति नहीं उठी बिस्तर पर बीमारी का बहाना करती वह दोनों बच्चों की चिंता महसूस कर रही थी और एक मीठा सुकून उसके दिल को मिल रहा था वह चुपचाप आँखें बंद किए लेटी रही।

रात भी हो गई पर प्रीति नहीं उठी ये देख परिमल भी चिंतित हो गए दवाई और पानी का गिलास लेकर आ गए लो प्रीति दवा खा लो कैसा लग रहा है तुम्हें!! पास बैठकर सिर सहलाने लगे।

पापा मम्मा ने आज खाना भी नहीं खाया था उन्हें भूख लगी होगी शिनी मम्मी का पैर दबाने लगी।

हां पापा आज हम सबने मम्मी को बिना गलती के कितना दुखी किया बिचारी हम सबको खाना खाने के लिए थाली परोस कर आवाज लगाती रहीं और हम सब उन्हीं पर चिल्लाते रहे।हमारी छुट्टी और मम्मी की छुट्टी कब..!! छुट्टी के दिन हम लोगों को भी मम्मी की सेवा करनी चाहिए काम में हाथ बंटाना चाहिए उल्टा हम और ज्यादा उनका काम और परेशानी दोनों बढ़ाते रहते हैं.. इसीलिए मम्मी बीमार पड़ गई इतना खाना बनाया और खाया भी नहीं!! मोनू के स्वर में पश्चाताप था।

प्रीति जल्दी से ठीक हो जाओ घर अच्छा नहीं लग रहा है परिमल दुखी हो रहे थे।पूरा घर प्रीति के आस पास बैठा था कोई पानी पिला रहा था कोई पैर दबा रहा था कोई सिर दबा रहा था।सब चिंतित थे।

प्रीति की आँखें बंद थीं लेकिन वह सब देख भी रही थी महसूस भी कर रही थी जाओ तुम सब खाना खा लो चलो मैं लगा देती हूं अंत में उसने कहा और उठने का उपक्रम किया।

नहीं नहीं मम्मी आप बिल्कुल नहीं उठेंगी हम सब खाना ले लेंगे आपका भी ले आएंगे यहीं मोनू ने तेजी से कहा।

हां आप कुछ काम नहीं करोगी मम्मा आज मैं आपको अपने हाथों से खाना खिलाऊंगी जैसे आप मुझे खिलाती हो नन्हीं शिनी भावुक हो गई थी।

थोड़ी ही देर में परिमल और मोनू खाना गर्म करके सबकी थालियां लगा कर वहीं प्रीति के बिस्तर के पास ले आए शिनी ने बिस्तर के पास टेबल लगा दी पानी का गिलास रख दिया और मम्मी को उठा दिया।

मम्मा आप थोड़ा सा ही सही पर खाना खा लो इसके बाद पापा दूध गरम करके लाएंगे आपको पीना पड़ेगा कितना काम आप करती हो बिल्कुल आराम नहीं करती हो क्यों पापा मोनू बहुत चिंतित हो उठा।

हां प्रीति तुम आराम करो बाकी के सारे काम मै कर दूंगा कल इन बच्चों का टिफिन मैं तैयार कर दूंगा और इनके स्कूल की तैयारी भी…

वो हम दोनों अपनी कर लेंगे खाना खाते खाते दोनों बच्चे बोल पड़े तो प्रीति को हंसी आ गई ।

मम्मा अब आपकी तबियत अच्छी हो गई?? शिनी मम्मी को हंसते देख खुश हो गई।

हां बेटा अब ठीक लग रहा है प्रीति मुस्कुरा दी।

तो फिर टिफिन आप ही बना देना मम्मा प्लीज पापा बहुत गंदा टिफिन बनाते हैं मोनू ने इतने विनीत भाव से कहा कि प्रीति के साथ परिमल भी ठठा कर हंस पड़े और उन्हें हंसता देख दोनों बच्चे मम्मी से लिपट गए।

दोनों को लिपटाती सबके ख्याल प्यार और सेवा से गदगद प्रीति भावविभोर  हो गई और मन ही मन पिंकी को इतना अचूक तरीका बताने के लिए आभार व्यक्त करने लगी थी।

आप लोग भी आजमा कर देखिएगा….!!

लतिका श्रीवास्तव 

कभी कभी सेवा करवाने के लिए बीमार होने का दिखावा करना पड़ता है#वाक्य प्रतियोगिता

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