सामने से गाने की आवाज आ रही थी… “वक्त करता जो वफा आप हमारे होते…” बड़े मगन होकर गाना सुने जा रही थी और सोचती जा रही थी… सही तो है “वक्त अच्छा है तो सभी कुछ अच्छा है” लोग ऐसे ही नहीं कहते हैं।
मैं एक साधारण से परिवार की लड़की संघर्षों में जीवन बीता…. बिना पिता के मेरी मां ने हम चारों बहनों को बड़ा किया…पढ़ाया लिखाया… सारी जिम्मेदारियां निभाईं… मां के साथ साथ हम बच्चों ने भी बहुत संघर्ष किया … सोचती …. बड़ी हो जाऊंगी तो हमारा भी अच्छा वक्त आएगा….।
शादी हुई ससुराल आ गई…. वहां भी संघर्ष शुरू हो गए और मेरी सास गुजर गईं सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई…
फिर अच्छे वक्त का इंतजार और बढ़ गया….
अपनी इस जिंदगी में संघर्ष करते करते वक्त ने बहुत कुछ सिखाया….
हां! इतना फर्क था…. अपनी मां के घर संघर्ष किया तो हम सबको ये एहसास था कि अभी बुरा वक्त चल रहा है… अच्छा भी आयेगा और हम सब एक दूसरे की भावनाओं को समझते थे। एक दूसरे से प्यार करते थे… हंसना रोना सब साथ होता था।
ससुराल के संघर्ष में इतना अंतर था… “ये तो तुम्हारा फर्ज है…” कह कर मेरे किए धरे पर पानी फेर दिया जाता था…..
दिन बीतते गए जो काम नहीं आता था सीखा… पर ससुराल वालों के लिए सब कुछ करने का प्रयत्न किया।
देवर की शादी हुई सोचा …”अब तो मेरा भी अच्छा वक्त आएगा…” कुछ दिन सब कुछ ठीक चला.… लेकिन मेरा अच्छा वक्त कभी नहीं आया… सोचा देवरानी को ये न लगे की सास नहीं हैं तो सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर डाल दी। आगे से आगे काम किया करती। कोशिश करती उसको कोई दिक्कत ना हो। लोग मुझे समझाते… ज्यादा सर पर न चढ़ाओ…. तुम्हें ही दिक्कत होगी… मैं सोचती जो संघर्ष मैंने किए वो मेरी देवरानी न करे… लेकिन वही ढाक के तीन पात….
कुछ भी अच्छा नहीं हुआ…. और वक्त ने फिर एक बार मोड़ लिया और मेरे किए धरे पर ये कह कर पानी फेर दिया गया… “ये तो आपका फर्ज है… किसी पर कोई एहसान नहीं….”। ऐसा लग रहा था कि किसी ने घड़ों पानी डाल दिया। मैं। उदास थी और सोच रही थी…” क्या मेरा अच्छा वक्त कभी नहीं आयेगा???”
अचानक लगा मुझे किसी ने झकझोर दिया और कहा…. अभी और इंतजार करो….
और मैं मन मसोस कर अपने अच्छे वक्त के इंतजार में लग गई….
किसी ने सही ही कहा है…
वक्त करता जो वफा आप हमारे होते….
हम भी औरों की तरह आपको प्यारे होते…।।।
रंजीता अवस्थी
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश।।।