अभिमान किस बात का – संगीता अग्रवाल

” बेटा तेरे पापा के दोस्त है ना नरेश अंकल उन्होंने तेरे लिए एक रिश्ता बताया है !” नैना जी अपनी बेटी रीत से बोली।

” मम्मा अभी क्या जल्दी शादी की आप लोग भी ना बस !” रीत झुंझला कर बोली। 

” बेटा अठाइस साल की हो चुकी हो हर चीज वक़्त से हो तभी सही रहता है !” नैना जी बोली

” ठीक है मम्मा आप पापा से बोल दीजियेगा मैं पहले उस लड़के से अकेले मे मिलना चाहूंगी । आखिर मल्टिनेशनल कम्पनी मे लाखो का पैकेज पाने वाली रीत किसी ऐरे गेरे से तो शादी करेगी नही !” रीत हँसते हुए अभिमान के साथ बोली। 

एम बी ए पास रीत जो की एक मल्टिनेशनल कम्पनी मे बारह लाख का पैकेंज् पाती है उसे अपनी नौकरी और सुंदरता दोनो पर बड़ा अभिमान है जिसे वो वक्त बेवक़्त सबसे सामने जाहिर् भी करती रहती है। रीत के कहे अनुसार उसके पिता राजबीर जी ने अपने मित्र से बात की और रीत और उस लड़के अभिमन्यु की मुलाक़ात का प्रबंध किया जो की एक मॉल मे होनी थी। 

” हेलो मैं अभिमन्यु !…आप रीत ?” रीत मॉल के गेट पर खड़ी थी कि एक लड़का आकर बोला। 

” ह…हेलो तुम अभिमन्यु हो !” रीत हैरानी से बोली।

” जी आपने तस्वीर तो देखी है मेरी फिर कैसा शक !” हंसमुख मिजाज अभिमन्यु हँसते हुए बोला।

” नही नही वो मतलब नही …चलिए अंदर चलते है !” अपनी बात से खुद ही झेपते हुए रीत बोली। उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था उसे अभिमन्यु पसंद नही आया पर शिष्टाचार के नाते थोड़ी देर तो उसके साथ रहना पड़ता। 

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” देखिये रीत जी जैसे ही हम दोनो की ये मुलाक़ात हमारे रिश्ते की पहली कड़ी है तो हमें थोड़ा एक दूसरे के बारे मे जानना चाहिए। ” साथ साथ चलते हुए अभिमन्यु बोला।

” जी !” रीत ने बस इतना बोला जबकि वो अभिमन्यु से जल्द से जल्द पीछा छुड़ाना चाहती थी। 

” हां तो आपको क्या पसंद है ?” अभिमन्यु ने पहला सवाल किया। 




” मुझे विदेशो मे घूमना फिरना , ब्रांडेड कपड़े खरीदना , देर रात पार्टी करना पसंद है !” रीत ने अभिमान के साथ उत्तर दिया। 

” जी अच्छी बात है भारत मे कहाँ कहाँ घूमी है आप ?” अभिमन्यु ने अगला प्रश्न किया। 

” मुझे भारत पसंद नही …आपको तो पता ही है यहां कितनी गंदगी , गरीबी है छी मुझे नही पसंद ना भारत ना भारत के लोग !” रीत बोली उसकी बातो से अभिमन्यु को भी अभिमान की गंध आने लगी थी पर अब जब मिलने को आया है वो तो कुछ बाते तो करनी ही थी पर रीत की ये बात उसे बहुत बुरी लगी थी । अब तक वो फ़ूड कोर्ट मे आ अपना स्थान ग्रहण कर ऑर्डर कर चुके थे।

” माफ़ कीजियेगा आप खुद भारतीय होकर भारत को उसके लोगो को गलत बोल रही है। जबकि मैं आपसे बिल्कुल उलट हूँ मुझे भारतीय संस्कृति यहां के लोग बहुत पसंद है । यहां घूमना फिरना जगह जगह के लोगो से मिलना खेत खलिहान देखना गांव के बारे मे जानना बहुत पसंद है !” अभिमन्यु शिष्टाचार के साथ बोला।

” देखिये मिस्टर अभिमन्यु मैं यहां सिर्फ अपने घर वालों के कहने पर आई थी और शिष्टाचार के नाते आपसे बात कर रही थी वरना कहाँ आप कहाँ मैं । एक मल्टिनेशनल फर्म मे लाखो का पैकेज पाती खूबसूरत लड़की को लड़को की कमी नही होती जो वो आप जैसे ….!” व्यंग्य से ये कहते हुए रीत ने अंतिम वाक्य अधूरा छोड़ दिया। 

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” बहुत अभिमान है आपको अपनी जॉब और खूबसूरती का  पर एक बात बताऊं आपको मैं यहाँ से जाकर इस रिश्ते से खुद इंकार करने वाला था क्योकि जिसके लिए खूबसूरती मायने रखती हो , जिसे अपने देश की संस्कृति से प्यार की जगह उसकी गरीबी से नफरत हो वो मेरी नज़र मे बहुत बदसूरत है। वैसे भी जो अपनी जन्मभूमि का ना हो वो मेरा क्या होगा । माफ़ कीजियेगा कुछ गलत कहा हो तो क्योकि किसी लड़की को गलत बोलना मेरे संस्कार नही पर अपने देश और इसके लोगो के लिए गलत सुनना मेरा उसूल नही । वैसे एक बात शायद आपको आपके घर वालों ने बताई नही आप जैसी फर्म मे जॉब करती है ऐसी फर्म का मैनेजर हूँ मैं आपसे डबल सैलरी पाता हूँ पर अभिमान नही करता चेहरे साफ रंग का नही पर दिल साफ है।  …ये बिल छोड़ कर जा रहा हूँ क्योकि ये भी मेरे संस्कारो मे है लड़की के साथ हो तो बिल खुद भरो …गुड बाय !” अभिमन्यु वहाँ से उठता हुआ बोला। 

रीत के मुंह से कोई शब्द नही निकले क्योकि पहली बार किसी ने उसे सच्चाई का आइना दिखाया था । अभिमन्यु के जाने के बाद वो उठी उसका अभिमान वही कही पड़ा दम तोड़ रहा था। 

दोस्तों कुछ लोगो को अपनी सुंदरता , अपने स्टेटस पर बहुत अभिमान होता है उन्हे ये लगता है उनके सामने दुनिया कुछ नही ऐसे मे वो अपने देश अपनी संस्कृति का अपमान करने से भी नही चूकते वो भूल जाते है जिन जड़ो से पैदा हो उन्ही का अपमान कर वो खुद का भी अपमान कर रहे है। 

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

#अभिमान

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