एक कंपनी में दो दोस्त काम करते थे। राकेश और अमित नाम था। पर स्वभाव में दोनों के काफी अंतर था। राकेश चापलूस था और उधर अमित स्वाभिमानी था।
राकेश उससे कहता ,”ज़माने के हिसाब से चल,स्वाभिमानी रहोगे तो पीछे ही रह जाओगे!”
अमित ने कहा “नहीं यार, ये मुझसे नहीं होगा, मैं तेरी तरह चापलूसी नहीं कर सकता! “
एक दिन राकेश मिठाई का डब्बा लेकर अमित के पास आया और बोला, “ये ले मुंह मीठा कर, मैं तेरा बॉस बन गया हूं,मेरा प्रमोशन हो गया है!”
अगले दिन राकेश ऑफिस आया और अपने केबिन की ओर जाने लगा । अमित ने उसे पुकारा….पर उसने कोई जवाब नहीं दिया।
थोड़ी देर में एक स्टाफ ने आकर कहा, “आपको राकेश साहब अंदर बुला रहे हैं!”
अमित मुस्कुराते हुए अंदर गया तो राकेश ने कहा, “मैं तुम्हारा बॉस हूं…..और बाहर तुम कैसे भूल गए…और स्टाफ वाले क्या सोचेंगे, हम दोस्त थे, जब बराबर के थे, अब मैं तेरा बॉस हूँ समझे ….आइंदा इस बात का ख्याल रखना!” अमित का चेहरा उतर गया। वो समझ गया कि राकेश को अभिमान हो गया है। वो चुपचाप केबिन से बाहर चला गया।
अब तो राकेश उसे पहचानता ही नहीं था, अमित को दुख भी हुआ।
एक बार कोई फाइल नहीं मिल रही थी, उसके लिए पूरे स्टाफ के सामने उसने अमित को बहुत डांटा। ऑफिस वाले भी राकेश के इस बदले में रवैया को देख रहे थे।
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पर समय को बदलते देर नहीं लगती, कंपनी का बहुत बड़ा घाटा हुआ।राकेश को घोटाले के इल्जाम में कंपनी से निकाल दिया गया, क्योंकि कंपनी का सारा हिसाब किताब वही रखता था,और उसकी जगह पर अमित को रख लिया गया।
राकेश कुछ पेपर्स क्लियर करवाने ऑफिस आया था,जब वो केबिन मे गया तो उसने अपनी जगह पर अमित को देखा
और उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था।
अमित ने उसके सारे पेपर्स क्लियर कर दिया और एक कार्ड निकाल कर राकेश को देते हुए कहा, “ये लो इस कंपनी में मुझे बुलाया गया था, पर मुझे अपनी इस कंपनी में प्रमोशन मिल गया और सैलरी भी बराबर ही है, तो मैंने दूसरी कंपनी में ज्वाइन नहीं किया, ये लो तुम कोशिश करना, तुम्हें शायद वहां पर रख लें!”
अमित की बातें सुन राकेश का गला भर आया और बोला “माफ कर दो दोस्त ,मैं तेरा ये एहसान कभी नहीं भूलूंगा!” अमित ने कहा, “इस कंपनी का मैनेजर मेरा पुराना दोस्त भी है ….मैं तेरे लिए बात कर लूंगा! “
राकेश बहुत खुश हुआ और अमित का हाथ पकड़ धन्यवाद देते हुए रोने लगा।
स्वरचित अनामिका मिश्रा
झारखंड जमशेदपुर