अभागन तू नहीं मैं हूँ – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

रश्मि अपने पति शिवम के साथ गाड़ी से अपने मायके जा रही थी | गाड़ी तेजी से आगे जा रही थी और रश्मि का मन उतनी ही तेजी से पीछे भाग रहा था | उसे अपने बीते दिनों की बातें याद आ रही थी |                   शिवम नदी किनारे बैठकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु पुस्तक पढ रहा था |

शाम का अंधेरा छाने लगा, तो उसने अपनी किताब बंद की और घर जाने लगा | तभी उसे छपाक की आवाज सुनाई दी |कोई नदी में कूदा था |    “कौन है, क्या कोई जान देना चाहता है ? ” शिवम के मन में यह बात आते ही किताब जमीन पर रख वह भी तत्काल नदी में कूद पड़ा |थोड़ी सी मेहनत से उसने उस व्यक्ति को पकड लिया और खींच कर बाहर निकाला |वह एक युवती थी |रेत पर लिटाते ही वह पहचान गया |

“यह तो रश्मि है |भला यह क्यों आत्महत्या करना चाह रही है? ” शिवम ने सोचा और उसके पेट से पानी निकालने लगा |पानी निकाल कर वह बैठ गया |रश्मि को उसने तत्काल निकाल लिया था, इसीलिए वह भी जल्द ही उठ बैठी |उसने शिवम को देखा और दोनों हथेलियों से मुंह छिपाकर रोने लगी |शिवम थोड़ी देर चुप रहा और उसे रोने दिया |

“मैं जीना नहीं चाहती |तुमने मुझे क्यों बचाया? ”  रश्मि ने रोते हुए कहा |

“यह मेरा फर्ज था |मैं अपने सामने किसी को मरते नहीं देख सकता |” शिवम ने थोड़ा रूक कर पूछा -“तुम आत्महत्या क्यों कर रही थी ?”

“मेरे पास इसके सिवा कोई रास्ता नहीं है |” रश्मि रोती रही |

“पर क्यों, मुझे बताओ तो |” शिवम ने पुन: पूछा |रश्मि कुछ न बोली सिर्फ रोती रही  |

“मुझे अपनी परेशानी बताओ तो |शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं |” शिवम उसका हाथ पकड़ते हुए बोला |

” तुम मेरी कुछ मदद नहीं कर सकते? तुम क्या कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता है |” रश्मि रोते हुए बोली

” क्यों भला? ” शिवम ने पूछा |

” क्योंकि मैं जन्म से ही अभागन हूँ |” 

” ये क्या बात हुई?  यूँ पहेलियाँ न बुझाओ | मुझे पूरी बात तो बताओ | ” शिवम ने अपनी बातों से उसका हिम्मत बढाते हुए कहा |

” मेरे जन्म के समय ही मेरी माँ की मृत्यु हो गई थी |  मैं जन्म लेते ही अपनी माँ की मृत्यु का कारण बनी | इसीलिए  सब जन्म से ही मुझे अभागन कहने लगे | मेरे पिता भी ऐसा ही समझते थे | वे भी मेरी माँ की मृत्यु का कारण मुझे समझते थे | दादी और सबों के बहुत समझाने पर दो साल बाद उन्होने दूसरी शादी कर ली | शुरू – शुरू में तो नई माँ का रवैया मेरे प्रति ठीक रहा ,पर बाद में बदलने लगा |  शादी के एक साल बाद उन्हें एक पुत्री और तीन साल बाद एक पुत्र की प्राप्ति हुई |

उनका मेरे प्रति व्यवहार खराब होता गया | वे अपने बच्चों को मुझसे दूर रखती और मेरे साथ कभी प्यार से पेश नहीं आती |  पापा भी धीरे – धीरे मुझसे दूर होते गये |  मैं जब भी उनसे कुछ कहना चाहती, वे ध्यान नहीं देते | ननिहाल में कोई था ही नहीं | सौतेली माँ मुझसे एक नौकरानी की तरह ही व्यवहार करती | मेरा भी मन करता कि मुझे भी छोटे भाई – बहन की तरह प्यार – दुलार,अच्छा भोजन कपड़े, खाना – पीना मिले,पर मै तो अभागन थी ना | सौतेली माँ ने तो मेरा नाम ही अभागन रख दिया | सब मुझे अभागन ही समझते थे |

पापा, दादी या बुआ जब कभी भी मुझे कुछ देते या मुझसे हमदर्दी जताते तो सौतेली माँ उनसे बहुत झगड़ा करती | मैं अपने घर में ही पराई थी | माँ तो मुझे स्कूल भी नहीं भेजना चाहती थी,पर जब पापा ने कहा कि अनपढ़ लडकी से कोई शादी नहीं करेगा, तो इस शर्त पर राजी हुई कि मैं घर का सारा काम करूंगी | जब मैं आठ साल की हुई तो  दादी भी चल बसी | आज से तीन साल पहले पापा की भी एक सडक दुर्घटना में मृत्यु हो गई | मैं पूरी तरह से अभागन हो गई | माँ तो मुझे अपने पास रखना  भी नहीं चाहती थी , पर एक तो समाज का डर, दूसरे मुफ्त की चौबीस घंटों की नौकरानी | बस इसीलिए माँ मुझे रखी| ” इतना कहकर रश्मि ने एक गहरी सांस ली |

” ये तो तुम्हारे साथ बचपन से ही हो रहा है ना, फिर आज जान क्यों दे रही हो? ” शिवम ने पूछा |

” हाँ, ये सच है कि सौतेली माँ और अपने छोटे भाई – बहन का अत्याचार मैं बचपन से ही सहती आ रही हूँ और मुझे इसकी आदत भी हो गई है | माँ की देखादेखी दोनों भाई- बहन भी मुझे नौकरानी ही समझते हैं | अपना सारा काम भी मुझसे करवाते हैं और गुस्सा भी करते हैं | काम करना, सबके डांट और ताने सुनना, आधा पेट रूखा- सूखा, बचा खाना खाना और बहन के उतरन पहनना, मैंने ये सब अपना नसीब मान लिया | ” रश्मि ने कहा |

” फिर तुम पढाई कब करती हो? ” शिवम ने पूछा |

” पढाई तो माँ ने पापा के मृत्यु के बाद ही छुडवा दिया | मैं तो सिर्फ हाई स्कूल तक ही पढ़ पाई | माँ ने कहा कि अब काम भर पढाई कर ली | अब आगे पढ़ने की जरूरत नहीं है, जबकि मेरा भी मन छोटी बहन की तरह कालेज जाने का बहुत करता है|” रश्मि ने एक गहरी सांस ली |

” फिर आज क्या हुआ? ” शिवम ने पूछा |

” मेरी सौतेली माँ का एक भतीजा है रोहन | एक नंबर का बदचलन, आवारा  और शराबी | एक साल पहले उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई है | दो छोटे बच्चे हैं | सुनने में तो यह भी आया है कि वह शराब के नशे में अक्सर अपनी पत्नी को पीटता था और एकदिन उसके पीटने से ही उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई | पुलिस उसे पकड कर ले गई थी पर फिर किसी तरह इधरउधर करके बच गया| वह अब मुझसे शादी करना चाहता है | माँ भी उसकी बात मान गई है |” रश्मि ने कहा |

          ” तुमने माँ से कुछ नहीं कहा? ” 

          ” मैंने माँ से बहुत कहा, उसके पैर पकडे, रोई, गिडगिडाई, पर माँ का कहना है कि मुझ अभागन को कौन सुहागन बनायेगा, मुझसे कौन शादी करेगा? शुक्र मनाओ कि रोहन करना चाह रहा है | रोहन एक अच्छा लडका है और उसे खुश रखेगा | क्या हुआ जो उसके दो बच्चे हैं? मैंने भी तो जब तुम्हारे पापा से शादी की थी तब तुम थी | ” रश्मि थोडा रूककर बोली -” परसों रोहन और उसकी माँ शादी की तारिख तय करने आ रहे हैं | मैं रोहन से शादी नहीं करना चाहती | बस इसीलिए और कोई उपाय न देख मैंने यह कदम उठाया |”

         ” यह तो एक गंभीर समस्या है, पर जान देना किसी समस्या का हल तो नहीं |” शिवम गंभीरता से बोला |

         ” फिर मैं क्या करूँ? ” रश्मि बोली |

          ” सोचने दो ” शिवम बोला |

         थोड़ी देर तक दोनों चुप रहे |

        ” अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात कहूँ? ” शिवम ने पूछा | रश्मि उसकी ओर देखने लगी |

         ” क्या, तुम मुझसे शादी करोगी ?” शिवम एकाएक बोला |

          “क्या? ” रश्मि अकचका गई |

          ” हाँ, मैं तुमसे शादी करूँगा |  मैं और माँ  तुम्हारे परिवार को जानते हैं | हम तुम्हारे परिवार की चर्चा करते रहते है| पापा तो हैं नहीं | माँ मेरी सारी बात मानती है | वो मान जायेगी | मैंने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया है और अब प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ | पास कर ही जाऊंगा और न भी कर पाया तो कुछ न कुछ तो कर हीं लूंगा | सोचता था नौकरी लगने के बाद शादी करूँगा, पर तुम्हारी परिस्थिति देखते हुए पहले ही कर लूंगा | अगर तुम चाहोगी तो तुम्हें भी आगे पढने और करियर बनाने में सहायता करूँगा | ” शिवम ने उसे समझाते हुए कहा |

         ” पर क्या चाची मान जायेगी? “रश्मि ने आशंका जताई |

          ” मैं अपनी माँ को कल अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ तुम्हारे घर भेजूंगा |  उनके और गांव के अन्य लोगों के द्वारा दबाव दिलवाऊंगा | अगर फिर भी न मानी तो हम चुपचाप मंदिर में शादी कर लेंगे | अभी तुम घर जाओ और इसके बारे में किसी से कुछ न कहना | मैं सब ठीक कर दूंगा | तुम चिंता मत करो |” शिवम उसके सिर पर हाथ रखते हुए बोला |

         रश्मि को शिवम की बातों पर पूरा विश्वास तो नहीं हो रहा था, पर फिर सोची कि एकबार इसपर विश्वास करके देख लेती हूँ, नहीं तो जान तो फिर दूसरे दिन भी आकर दे सकती हूँ |

        “ठीक है | मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी |’ रश्मि शिवम के दोनों हाथ पकड कर बोली और अपने घर चली गई | इतने देर में उसके कपड़े भी सूख गये थे | 

       वह दिन और आज का दिन | रश्मि की सौतेली माँ तो नहीं मान रही थी पर शिवम के घर वालों और गांव वालों के  बहुत समझाने और दबाव डालने पर आखिर वह किसी तरह मानी | इस तरह रश्मि और शिवम की शादी हो गई पर रश्मि का मायके से संबंध खत्म हो गये | शादी के आठ साल हो गये | शिवम ने प्रतियोगिता परीक्षा पास कर एक अच्छी नौकरी पा ली और दिल्ली आ गया | रश्मि ने भी आगे पढाई किया और शिक्षिका बन गई | उनके दो बच्चे, एक लडका और एक लडकी हुई |

           रश्मि की सौतेली बहन और भाई की भी शादी हो गई | दोनों अपने परिवार के साथ दूसरे शहर में चले गये | घर में माँ अकेले रह गई | दोनों बहुत कम आते और माँ को भी साथ न ले जाते | माँ अकेली और बहुत बिमार है, ऐसा अपने शहर से आये एक व्यक्ति ने रश्मि को बताया | वह शिवम के साथ माँ से मिलने और उसे अपने साथ ले जाने के लिए चल पडी |

           “चलो उतरो, घर आ गया |” शिवम की बात से रश्मि की विचारधारा भंग हुई | वह घर के भीतर आई | माँ बेहद बिमार बिस्तर पर पडी थी |पडोस की दो महिलायें पास खडी थी |

         ” माँ ” उसने पुकारा

         ” कौन” माँ ने धीरे से आंखें खोली |

         ” मैं रश्मि, तुम्हारी अभागन बेटी |”

         ” रश्मि, मुझे माफ कर दे बेटी | अभागन तू नहीं, मैं हूँ, जो आज इस हाल में अकेली पडी हूँ | मैंने तुम्हारे साथ जो गलत किया, उसीकी सजा भुगत रही हूँ | ” माँ हाथ जोडते हुए रोने लगी |

         ”  माफी मत मांगो और रोओ भी मत मां | हम तुम्हें लेने आये है ं | आज से तुम हमारे साथ रहोगी | हम तुम्हारा इलाज करवायेगें, तुम जल्द ठीक हो जाओगी |” रश्मि उसका हाथ पकडते हुए बोली | उसकी आंखों से भी आंसू बहने लगी |पास खडी दोनों महिलाएं भी रो रही थी | उन दोनों की सहायता से रश्मि ने घर बंद किया और माँ को अपने साथ लेकर चल पडी | दिल्ली लाकर उसने माँ का इलाज करवाया | उचित देखभाल और इलाज से माँ जल्द ही स्वस्थ हो गई | 

# अभागन

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

 

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