hindi stories with moral : ” ऐ कुत्ते चल हट हे….हे…उई !” नीमा की स्कूटी के आगे कुत्ता आ गया और लाख बचने की कोशिश करते भी उसकी स्कूटी एक पेड़ से टकरा गई।
” हे भगवान मैं जिंदा हूँ की मर गई मेरी तो अभी शादी भी नही हुई है मुझे इतनी जल्दी नही मरना !” नीमा आँख बंद किये जमीन पर पड़ी बोली।
” उठो बालिके तुम स्वर्ग मे हो !” तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी और उसने झट से आँख खोली।
” हें पर ये तो धरती जैसा ही है !” नीमा बोली। तभी उसे हँसने की आवाज़ सुनाई दी उसने आवाज़ की दिशा मे देखा तो एक नौजवान खड़ा हंस रहा था।
” शर्म नही आती आपको लड़की से मजाक करते …आह !” नीमा गुस्से मे बोली और उठने को हुई पर पैर मुड़ने के कारण उठ नही पाई।
” लाइये मैं मदद कर दूँ ।” लड़के ने नीमा का हाथ पकड़ कर उठाया तो दोनो की निगाह चार हुई और वो नौजवान बस नीमा को देखता ही रह गया । नीमा को उठाकर वो नौजवान बोला ” लगता है आपको शादी की बड़ी इच्छा है .. वैसे आपको बता दूँ इस ज़नाब की भी अभी शादी नही हुई !” उस लड़के ने नीमा के कान मे धीरे से कहा तो वो झेंप गई वो तो वहाँ से भागना चाहती थी पर पैर की चोट के कारण चल भी नही पा रही थी।
वो लड़का जिसका नाम किंशुक था वो नीमा को उसके घर तक छोड़ने चल दिया।
” वैसे आप कहाँ रहते है !” नीमा ने पूछा।
” जी वो सामने वाली बिल्डिंग मे मैं अपनी माँ के साथ रहता हूँ इंजीनियर हूँ और आप ?”
” मैं बैंक मे जॉब करती हूँ यहां अकेली रहती वो सामने की बिल्डिंग के फ्लैट मे !” नीमा बोली।
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” अरे वाह मतलब हम पड़ोसी है !” किंशुक बोला। इतने नीमा का घर भी आ गया किंशुक ने देखा नीमा के पैर मे सूजन है उसने डॉक्टर को बुला लिया । नीमा के मना करने के बावजूद भी उसने नीमा का ध्यान रखा। किंशुक अपनी माँ को भी नीमा के घर लेकर आया । पराये शहर मे किंशुक और उसकी माँ का अपनापन देख नीमा के मन मे भी किंशुक के लिए प्यार उमड़ने लगा। जब तक नीमा पूरी तरह सही हुई किंशुक और नीमा मन ही मन भविष्य के सपने बुनने लगे थे । किंशुक की माँ ने नीमा की माँ से बात की और उनसे नीमा का हाथ मांगा ।
दोनो के घरवालों की रजामंदी से दोनो का विवाह हो गया।
अचानक टकराए दो अजनबियों की निगाह चार हुई और एक खूबसूरत रिश्ते मे बंध गये दोनो।
” अब तो तुम्हे कोई शिकायत नही रहेगी ना अब तो तुम्हारी शादी हो गई अब तो मरने से डर नही लगेगा!” शादी के बाद किंशुक ने नीमा को छेड़ते हुए कहा।
” लगेगा ना तुम्हारे साथ अभी बहुत जीना जो है !” ये बोल नीमा किंशुक के गले लग गई ।
संगीता अग्रवाल ( स्वरचित )