अब समझ आया पतिदेव – संगीता अग्रवाल

” ये क्या है श्रुति कितना अस्त व्यस्त रहने लगी हो तुम ये ढीले ढाले कपड़े श्रृंगार विहीन चेहरा और थका हुआ जिस्म कौन कहेगा हमारी शादी को एक साल ही हुआ है अभी !” ऑफिस से लौटे तनुज ने सोफे पर बैठी श्रुति से कहा।

” तनुज मैं मां बनने वाली हूं ये तुम जानते हो और ऐसे में ये सब नॉर्मल है फिर भी तुम शिकायत कर रहे हो!” श्रुति हैरानी से बोली।

” पर श्रुति तुम थोड़ा सा बन संवर कर भी तो रह सकती हो … ऐसे कोई जानकार आ जाए तो क्या कहेगा ?” तनुज बोला।

” देखो तनुज मुझे किसी के बोलने की परवाह नही पर तुम्हारा बोलना गलत है क्योंकि मैं बच्चे की मां हूं तो तुम भी बाप हो समझे तुम …इतनी गर्मी में तुम क्या चाहते मैं चुस्त दुरुस्त कपड़े पहन मेकअप कर तुम्हारा इंतजार करूं …पर मेरे शरीर में आ रहे परिवर्तन मुझे इसकी इजाजत नहीं देते कुछ समय की बात है बच्चा होने के बाद मैं अपने बारे में सोचूंगी!” श्रुति बोली।

अभी ये हाल है तो बच्चा होने के बाद जाने क्या होगा !” तनुज मुंह बनाकर बोला और हाथ मुंह धोने चल दिया।

पीछे रह गई श्रुति जो सोच रही थी मर्द लोग कितनी आसानी से होने वाली मां के बेडौल शरीर या कपड़ों पर तंज कस देते जबकि इस समय ना तो एक मां चुस्त कपड़े पहन सकती है ना ही ज्यादा सज संवर सकती है

ये 45० का पारा इसकी इजाजत कहां देता है। पर पति नहीं समझते ये बाते उन्हे वंश चलाने को बच्चे तो चाहिएं पर पत्नी में आए शारीरिक परिवर्तन इन्हें सुहाते नहीं। कुछ तो करना पड़ेगा तनुज को सबक सिखाने के लिए क्योंकि अब पानी सिर से ऊपर जा रहा श्रुति ने मन ही मन सोचा।

” तनुज मैंने सारी रात तुम्हारी बात के बारे में सोचा सही कह रहे तुम मुझे सच में अच्छे से तैयार होकर रहना चाहिए चुस्त कपड़े पहनने चाहिए !” अगली सुबह श्रुति बोली।

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” अरे वाह आखिर तुम्हे मेरी बात समझ आ ही गई !” तनुज खुश होते हुए बोला।

” हां पर मेरी एक शर्त है ?” श्रुति बोली।

” अरे मुझे हर शर्त मंजूर है !” तनुज बोला।

” सुन तो लो पहले … देखो जैसा की तुम जानते मुझे सातवां महीना लग रहा बच्चे की ग्रोथ इस वक्त पूरी हो जाती है इस स्थिति में अभी मुझे दो महीने और रहना है ..  एक बच्चा 2.5 किलो के करीब का होता है  …राइट ?” श्रुति बोली तनुज समझ नही पा रहा था श्रुति कहना क्या चाहती है।

” हां पर तुम ये सब !” तनुज असमंजस में बोला।

” देखो मुझे ये वजन अभी दो महीने ढोना पर तुम चाहते हो मैं सजी संवरी रहूं तो तुम्हे ये वजन आज के लिए ढोना होगा !” श्रुति मुस्कुरा कर बोली।

” मतलब !!”



” मतलब ये ईंट इसे आज तुम अपने पेट पर बांध कर अपने रोज के सारे काम करना मैं तो घर के सारे काम करती हूं तुम बस अपने करना …अगर तुमने बिना परेशानी ये कर दिखाया तो कल से तुम्हे कोई शिकायत नहीं होगी मुझसे।” श्रुति रहस्यमई मुस्कान के साथ बोली।

” बस इतनी सी बात लाओ ये ईंट इसमें क्या है ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल है !” तनुज ईट पकड़ता बोला।

उसने श्रुति द्वारा लाए कपड़े से ईट अपने पेट पर बांध ली। और जाकर सोफे पर बैठ गया।

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” श्रुति मैं नहाने जा रहा हूं !” थोड़ी देर बाद वो बोला। पर उसके लिए ईंट बंधे बंधे नहाना असंभव था लिहाजा वो हाथ मुंह धोकर आ गया पर श्रुति को कुछ ना कहा। नाश्ते के लिए रोज की तरह बैठने लगा तो कुर्सी और मेज में कम दूरी होने के कारण बैठना मुश्किल हो गया जबकि रोज आराम से बैठता था वो। किसी तरह कुर्सी खिसका वो बैठा और नाश्ता किया।

थोड़ा समय तो उसने काट लिया पर अब पेट पर भर सहन नही हो रहा था ना वो बैठ पा रहा था ना लेट पा रहा था यहां तक की उससे सीढियां भी नही चढ़ी जा रही थी।

” श्रुति यार खोलो इस ईंट को बहुत हुआ अब बस !” आखिरकार झुंझला कर वो बोल उठा।

” अरे अभी तो पांच घंटे ही हुए है अभी कल सुबह तक आपको ऐसे ही रहना है तभी तो मैं आपके कहे अनुसार कपड़े पहनूंगी तैयार होऊंगी !” श्रुति मुस्कुरा कर बोली।



तनुज का ध्यान श्रुति के पेट पर गया …वो भी तो इतना वजन उठा घर के सब काम करती मेरा ख्याल रखती । मैं यहां नाईट सूट में ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहा श्रुति तो फिर भी सूट पहनती भले ढीले सही। मैं पांच घंटे में पसीने में तर हो गया जबकि आधा समय एसी में रहा श्रुति तो रसोई में काम करती है।

“माफ कर दो श्रुति मैं गलत था सच में तुम औरतों में बहुत ताकत है जो ये सब झेल लेती हो हम मर्द तो बहुत कमजोर होते हैं इसलिए ही ईश्वर ने मां बनने की सामर्थ तुम औरतों को दी है !” तनुज सिर झुका बोला।

” हम्म अब समझ आया पतिदेव एक औरत के लिए ये नौ महीने कितने कष्टकारी होते फिर भी वो हंसते हुए सब सह एक जान को जन्म देती हैं । ऐसे में तुम पतियों का फर्ज है हम पत्नियों का साथ दो ना कि हमारे कपड़े या मेकअप में कमी निकालो!” श्रुति मुस्कुरा कर बोली।

” सच में नारी तू महान है ये बात आज मुझ जैसे प्राणी को समझ आ गई अब इस ईंट को खोल दूं !” तनुज बोला।

श्रुति ने हंसते हुए ईट खोल दी तनुज ने राहत की सांस ली साथ ही श्रुति ने भी क्योंकि अब तनुज उसे बात बात पर टोकेगा नही।

दोस्तों बहुत से घरों में ऐसा होता गर्भावस्था में पत्नी के अस्त व्यस्त रहने से पतियों को चिढ़ होती वो ये नहीं समझते पत्नी इस वक्त कितनी मानसिक और शारीरिक दबाव से गुजर रही होती है तो उसे पति और परिवार वालों का साथ चाहिए होता है।

क्या आप मुझसे इत्तेफाक रखते हैं??

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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