अब मैं बंधन मुक्त हो गई

अनीता की यह दूसरी शादी थी अनीता  का दूसरा पति सत्या उसे इतना प्यार करता था  कि मन ही मन यही दुआ करती थी कि हर लड़की को उसके जीवन में सपनों का राजकुमार मिले ना मिले लेकिन सत्या जैसा पति जरूर मिले जो उसका हर समय ख्याल रखें।  अनीता कुछ दिनों बाद ही मां बनने वाली थी वैसे तो पेशे से वह एक शिक्षिका थी। और अनीता जिस स्कूल में पढ़ाती थी उसी स्कूल में सत्या भी शिक्षक था और उनकी मुलाकात इसी स्कूल में हुई और धीरे-धीरे एक दूसरे को पसंद करने लगे और शादी के बंधन में बंध गए।

जब यह बात सत्या को पता चला कि उसकी वाइफ अनिता मां बनने वाली है तो वह उसे स्कूल जाने से मना कर दिया और उसने स्कूल प्रशासन से भी इस बात की छुट्टी ले ली कि वह 1 साल तक अभी स्कूल नहीं आ सकती है।

सत्या अनीता का देखभाल बहुत ही अच्छी तरह से कर रहा था उसे कोई भी तकलीफ नहीं देना चाहता था जबकि नॉर्मल रूप से  6 महीना तक किसी भी औरत को कोई तकलीफ नहीं होती है लेकिन सत्या फिर भी पहले महीने से ही अपनी वाइफ अनिता का इतना केयर करता था।  सत्य को अपने प्रति इतना प्यार देखकर अनीता को यही महसूस होता था कि पास्ट में जो जितने भी उसने तकलीफें सही थी लग रहा है भगवान अब उसे ब्याज सहित वापस लौटा रहा है।



अनीता की पहली शादी उसके पिता अशोक जी ने बहुत ही धूमधाम से काफी दहेज देकर एक बैंक मैनेजर से किया था अशोक जी ने अपनी जीवन भर की कमाई अपनी बेटी को दहेज में यह सोच कर दे दिया था कि अगर उसके दहेज दे देने से उनकी बेटी पूरी जीवन भर खुश रहेगी तो इससे ज्यादा और उनकी को क्या चाहिए क्योंकि अनीता उनकी इकलौती बेटी थी एक भाई था तो वह भी सेटल हो चुका था।

अशोक जी को इस बात की चिंता नहीं थी बस यही चाहते थे कि उनकी बेटी पूरे जीवन खुश रहें और उसे किसी भी चीज की कमी महसूस ना हो। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि पैसे से खुशियां नहीं खरीदी जाती अगर पैसे देने से लड़कियां अपने मायके में खुश होती  तो फिर बात ही क्या थी।

अनीता शादी से पहले भी एक स्कूल में शिक्षिका की नौकरी करती थी और उसे या नौकरी काफी पसंद थी इसलिए उसने ग्रेजुएशन करने के बाद ही B.Ed कर लिया था और शिक्षिका की नौकरी करने लगी थी लेकिन शादी के बाद अनीता के सास को नौकरी करना पसंद नहीं था इसलिए उसने अपने ससुराल वालों की खुशी के खातिर नौकरी को छोड़ दिया और पूरी तरह से अपने ससुराल में रम गई थी।

कुछ दिनों के बाद अनीता को एहसास होने लगा कि वह अपने ससुराल में एक बहू बनकर नहीं बल्कि उसे ऐसा लगने लगा कि उसे एक नौकरानी बनाकर लाया गया हो।  अनीता अपने पति राकेश के लिए एक वस्तु से ज्यादा नहीं थी दिन भर नौकरी करता और रात होते ही अनीता के साथ खेलता और फिर जैसे ही उसका मन भर जाता अनीता से उसका कोई मतलब नहीं  होता था अनीता की खुशियां अनीता के सपने अब सब सिर्फ सपने ही बन के रह गए थे।



अनीता अपने मायके में कोई भी काम नहीं किया था  लेकिन यहां सुबह होने के बाद रात के 11:00 बजे तक  उसे फुर्सत मिलता था कभी उसकी मां का फोन भी आता था तो यही कह कर काट दे दी थी कि मैं अभी काम निपटा कर थोड़ी देर में कॉल करती हूं लेकिन यह थोड़ी देर आता ही नहीं था कई बार तो 1 सप्ताह से भी ज्यादा बीत जाता था।

 एक दिन अनीता को अचानक से पेट में बहुत दर्द हुआ और आनन-फानन में उसे हॉस्पिटल पहुंचाया गया बाद में डॉक्टर ने बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है तुम मां बनने वाली हो।  अनीता के लिए यह एक सुखद एहसास था बल्कि हर औरत के लिए यह एक सुखद एहसास होता है मां बनना एक औरत के जीवन का सबसे हसीन लम्हा होता है।

लेकिन अनीता के ससुराल वाले को इस खबर को जानकर ना ज्यादा खुशी हुई ना तकलीफ बस नार्मल जैसे जिंदगी जीते थे वैसे ही जीने लगे और उसके पति राकेश को भी यह एहसास नहीं होता था कि वह पिता बनने वाला है।  धीरे-धीरे समय बिता और अनीता के आठवां महीना चलने लगा। अनीता से अब कोई भी घर का काम नहीं हो पाता था जितना उससे होता था वह करती थी। अनीता ने अपने ससुराल वालों से कई बार कहा कि उसे वह इ मायके पहुंचा दें क्योंकि उससे अब कोई भी काम नहीं हो पाता है लेकिन ससुराल वाले यह कह कर टाल देते थे कि अगर हम तुमको मायके पहुंचा देंगे तो दुनिया हमको क्या कहेगी कि अपनी बहू को  सास और ननद के होते हुए मायके पहुंचा दिया हम क्या कोई तुम्हें तकलीफ देते हैं।

एक दिन सुबह अनीता को उठा नहीं जा रहा था पेट में काफी तेज तेज दर्द हो रहा था तभी उसकी सास की आवाज आई ओ परियों की राजकुमारी नीम से कब जागोगे कब का सुबह हो चुका है ऐसा लगता है कि दुनिया में तुम ही पहली बार मां बनने जा रही हो मैंने भी माफ बना है और 33 बच्चों को जन्म दिया है लेकिन बेटे के जन्म आखिरी दिन तक घर के सारे काम करती  रहती थी।



अनीता अपने साथ कि इतने तीखे सवाल सुनकर कुछ भी जवाब ना दे सकी और ना ही वह बता सकें कि उसके पेट में बहुत तेज दर्द है और वह उठकर सीधे कमरे में चली किचन में चली गई और नाश्ता बनाना शुरू कर दिया अपनी तकलीफ शेयर भी करें तो किस से करें जब उसका पति भी उसका नहीं था इतना निष्ठुर था कि कभी भी नहीं पूछता था कि तुम्हारा तबीयत कैसा है।

डॉक्टर ने अब अनीता को आराम करने की सलाह दिया था लेकिन इस घर में तो आराम हराम है वह किचन में नाश्ता तो बना रही थी लेकिन उससे खड़ा भी नहीं होया जा रहा था उन्होंने जैसे तैसे करके नाश्ता बना दिया।

उसका पति राकेश का बाहर से आवाज आया अनीता जल्दी से नाश्ता लगाओ लेट हो रहा है ऑफिस जाने को अनीता नाश्ता लेकर अपने पति राकेश को देने लगी राकेश ने जैसे ही नाश्ता करने के लिए रोटी और सब्जी मुंह में डाला तो यह क्या सब्जी में तो नमक ही नहीं था।

जल्दबाजी में अनीता नमक डालना भूल गई थी लेकिन राकेश पूरी की पूरी प्लेट जमीन पर पटक दिया और अनीता को भी एक दो तमाचे लगा दिया अनीता गिर गई और उसको सुनाने लगा तुम्हें अब कोई भी काम करने में मन ही नहीं लगता है बल्कि तुमने अच्छा बहाना बना लिया है कि मां बनने वाली हो इसलिए घर का कोई काम ही ना करना पड़े।  अनीता की आवाज सुनकर वहां उसकी सास भी आ गई वह अपने बेटे राकेश को बोलने की बजाए अपने बेटे की साइड लिया और बोलने लगी सही कह रहे हो बेटा मैं भी अनीता को कई दिनों से देख रही हूं इसका तो अब कुछ काम करने में मन ही नहीं लगता है ऐसा लगता है कि दुनिया में यही एक मां बनने वाली है और तो कोई मां बनता ही नहीं है।



तुम लोगों को मैंने पाल पोस कर इतना बड़ा कर दिया लेकिन आज तक उफ तक नहीं की और यह है महारानी ऐसा लगता है कि पता नहीं कितना इनको तकलीफ होता है।

अनीता वही जमीन पर गिर गई थी और जोर जोर से चिल्लाने लगी थी लेकिन किसी को भी इस की तकलीफ से परवाह नहीं थी।

इस घर में थोड़ा बहुत ख्याल रखने वाली कोई था तो वह थी  अनीता की ननद रानी अनीता को जब भी समय मिलता हेल्प कर देती थी ।   रानी जैसे ही ट्यूशन कर के घर आई तो देख रही थी कि अनीता बैठ कर रो रही है।  रानी ने अनीता को चुप रहने को बोला भाभी यह अब आपका घर है अब आपको हिम्मत रखना पड़ेगा।  

शाम हो गया लेकिन अनीता का दर्द ठीक नहीं हो रहा था तो फिर डॉक्टर के पास ले जाया गया।  डॉक्टर ने जांच करके बताया क्या नीता का मिसकैरेज हो गया है। डॉक्टर ने अनीता से पूछा कि कहीं पर  गिरी थी क्या तुम अनीता यह कैसे बताती कि उसकी पति ने उसे मारा था और उसे चोट लग गया था। उसने डॉक्टर से झूठ बोला कि वह  सीढ़ियो से पैर फिसलने के कारण गिर गई थी।

डॉक्टर ने अब अनीता को दो-तीन साल तक मां बनने से मना कर दिया था और काफी केयर करने को कहा था।  लेकिन यह बात जब वह अपने पति राकेश को बताती की डॉक्टर ने उसे मां बनने से मना किया है। लेकिन राकेश को इस से कोई मतलब नहीं था और अगले साल अनीता फिर से मां बनने वाली थी।

जब अनीता हॉस्पिटल गई तो डॉक्टर ने कहा  कि मैंने तुम्हें मना किया था अभी मां बनने से लेकिन तुम दोबारा से मां बनने वाली हो अब तुम्हें बहुत ही अपने आप को केयर करना पड़ेगा नहीं तो इस बार तुम्हें और तुम्हारे बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।



जैसे तैसे करके अनीता ने 9 महीने बिता दिए और आखिर डिलीवरी का डेट आ गया वह हॉस्पिटल में भर्ती हो गई थी लेकिन डॉक्टर ने बोला कि तुम्हारा नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकता है ऑपरेशन करना पड़ेगा और इसके लिए कम से कम एक लाख खर्च आएगा।

एक लाख  का नाम सुनकर तो जैसे अनीता का पति राकेश और उसकी सास के तोते ही उड़ गए उन्होंने बोला हमने तो अपने तीनों बच्चे बिना ऑपरेशन के ही करा लिए थे।  डॉक्टर बोला अनीता की नॉर्मल डिलीवरी में मां और बच्चे को जान का खतरा हो सकता है। राकेश बोला नॉर्मल डिलीवरी करो जो भी होगा हम देख लेंगे। आखिर में वही हुआ अनीता को मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ।  जब यह बात अनीता को पता चला तो वह पूरी तरह से अपना सुध बुध खो चुकी थी।

हॉस्पिटल से  अनीता कुछ दिनों बाद घर वापस आ गई थी और वह अब बिल्कुल ही शांत रहने लगी थी. किसी से कुछ भी बात नहीं करती थी।  एक दिन रात में राकेश ने जैसे ही अनीता को छुआ अनीता ने राकेश को एक तमाचा जोर से लगा दिया और उसने बोला कि मैं कोई वस्तु नहीं हूं जिसे जब मर्जी खेलते रहोगे बहुत हो गया राकेश मेरे सहने की भी एक हद है  और वह हद तुम आप पार कर चुके हो।

मुझे नहीं रहना है अब तुम्हारे साथ तुमसे मुझे अब कोई रिश्ता नहीं रखना है अब मैं तुम्हारे इस बंधन से आजाद होना चाहती हूं।  सुबह होते ही अनीता यह घर छोड़ कर अपने मायके चली आई। अनीता के मां बाप ने अनीता की कहानी जानने के बाद यह ठान लिया कि अब वह कभी भी अनीता को उसके ससुराल नहीं भेजेंगे जिस बेटी को उन्होंने इतने अरमानों से डोली में बिठाकर ससुराल भेजा था उन्होंने कल्पना भी नहीं किया था कि उनकी बेटी इतना कष्ट पाती होगी।

कुछ दिनों के बाद अनीता ने अपने पति राकेश से तलाक ले लिया और वह धीरे धीरे नॉर्मल लाइफ जीने लगी और जिस स्कूल में पहले पढ़ाती थी दोबारा से वहां फिर से पढ़ाना शुरू कर दिया।  वहीं पर सत्या नामक शिक्षक से उसकी मुलाकात हुई और उन दोनों के मुलाकात प्यार में बदल गया और सत्या ने ही एक दिन अनीता से शादी करने की बात कही तो अनीता ने अपनी सच्चाई सत्या को बता दिया सत्या ने बोला कि तुम्हारी बीती हुई जिंदगी से मुझे कोई लेना देना नहीं है तुम जैसी भी हो मुझे कबूल हो।

अनीता आज यही सोच रही थी कि अगर मैं अपनी पिछली जिंदगी को याद करूं तो ऐसा लगता है कि किसी भी लड़की को कभी शादी नहीं करनी चाहिए और अगर मैं इस जिंदगी को याद करूं तो ऐसा लगता है कि ऐसा पति मिले तो एक लड़की का जिंदगी  जन्नत से कहीं भी कम नहीं है।

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