अब क्या करूं – लक्ष्मी कानोडिया : Moral Stories in Hindi

जिया ने पानी पिया और आशीष का नंबर डायल किया मगर उसने इस बार भी फोन नहीं उठाया।

जिया ने आशीष को कई बार फोन मिलाया मगर उसने उसकी किसी कॉल का जवाब नहीं दिया। जिया ने सोचा अब तो

आशीष ने बिल्कुल ही बात करना बंद कर दिया है। एक बार को वह फिर उदास हो गई मगर उसे डॉक्टर और मां की दी हुई हिदायत याद आ गई

और वह आंख मूंद कर लेट गई। फिर जिया ने सोचा मैं बेकार ही चिंता

कर रही हूं जो होगा अच्छा ही होगा। वह पिछली बातें याद करने लगी।

जिया पढ़ने लिखने में होशियार थी। उसके माता-पिता ने उसकी पढ़ाई व व्यक्तित्व निर्माण पर  खूब ध्यान दिया।

जिया को 12वीं कक्षा में अच्छे नंबर लाने के कारण एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल

गया। धीरे-धीरे समय बितता गया और जिया की इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में आ गई।

जिया को कॉलेज में प्लेसमेंट के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां आने लगी थी और जिया को उससे बड़ी उम्मीद थी कि किसी न किसी कंपनी

में मेरी नौकरी लगी जाएगी। आखिर प्लेसमेंट के थ्रू जिया को एक अच्छी कंपनी में जॉब मिल गई। इस कंपनी में उसके साथ एक साल सीनियर आशीष भी काम करता था। 

शुरू शुरू में दोनों में हाय हेलो हुई। मगर बाद में मुलाकातें होने लगी। इधर जिया की मां को जिया की शादी की चिंता होने लगी।

जिया की मां ने उससे कहा कि बेटा मैंने तेरे लिए बहुत अच्छा लड़का देखा है। वह लोग

तुझे देखना चाहते हैं। जिया ने  मां से कहा मुझे अभी शादी- वादी नहीं करनी है। अभी मुझे कैरियर बनाना है। इन बातों में दो साल निकल गए। 

 इधर जिया की दोस्ती धीरे-धीरे कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला।

अब जिया आशीष पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी परंतु आशीष बार-बार टाल जाता अभी क्या जल्दी है? अभी हमारी शुरुआत है। जिया

आशीष को मां से मिलवाना चाहती थी। एक दिन दोनों किसी रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे

तो जिया ने फिर आशीष से पूछा आशीष ने कहा यह क्या शादी-वादी की रट लगा रखी है? मुझे इन बंधनों में नहीं फसना है। मैं आजाद

रहना चाहता हूं। इस पर जिया चिल्लाई तुम मेरे साथ ऐसा व्यवहार करोगे। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था और परेशान  जिया घर वापस लौट आई ।

घर आकर जिया का स्वभाव एकदम एकदम बदल गया हमेशा हंसते खेलने वाली लड़की जैसे हंसना मानो भूल गई थी

और  डिप्रेशन में चली गई। काफी पूछने पर जिया ने अपनी मां को सारी बात बताई। जिया की मां ने

कहा देखो बेटा हमने तुम्हें बहुत प्यार से पाला है। यदि तुम ऐसे रहोगी तो क्या हमें अच्छा लगेगा?

हम तुम्हारे लिए ही तो जी रहे हैं। तुम्हें हमारे लिए सोचना होगा। यदि तुम दुखी होगी तो क्या हम खुश रह पाएंगे? जो तुम्हें

छोड़ गया तुम भी उसे भूल जाओ। हम तुम्हारे लिए इससे भी अच्छे लड़के का रिश्ता ढूंढेंगे।

तुम्हारे जैसी पढी-लिखी लड़की के लिए रिश्तो की कोई कमी थोड़े  ही है। मां ने जिया का मूड बदलने के लिए उसे घूमने जाने के

बारे में बात की। उसने कहा जिया क्यों नहीं हम मसूरी घूमने चलें। मसूरी का नाम सुनते ही जिया के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

जिया को हरे-भरे जैसे पहाड़ नदियां समुद्र आदि देखने का बहुत शौक था वह उसमें खो जाया

करती थी।

लक्ष्मी कानोडिया

अनुपम एंक्लेव किशन घाट रोड

खुर्जा  203131(बुलंदशहर), 

उत्तर प्रदेश

मोबाइल नंबर 9258 441 297

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