आत्मसम्मान – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

जैसे जैसे रामदीन काका का गांव , पास आता जारहा था सेठ गिरिधर दास जी केदिल की धड़कन तेज होती जारही थी और ऐसी की कार में बैठे हुए भी उनको पसीना आरहा था।यह सोच सोच कर उनको शर्मिन्दगी महसूस हो रही थी कि किस तरह बेइज्जत करके उन्होंने

अपनी बहू नमिता केकहने पर रामदीन काका कोचोरी का इल्ज़ाम लगा घर करसे निकाला था ,रामदीन काकासेठ जी के पैरोंपर गिर घर रोते रहे गिड़गिड़ाते रहे कि चोरी उन्होंने नहीं की है।लेकिन नमिता ने उनको दोकौडी का नौकर कह घर उनके आत्मसम्मान पर गहरी चोट की थीदूसरे दिन बिना किसी से कुछ कहे वे सेठजी का घर छोड़ कर अपने गांव आ गए थे।

रामदीन काका सेठ जी के यहां पिछले पचास सालों सेकाम कर रहे थे ।सेठजी भी उनको नौकर न मान घर अपने भाई जैसा ही व्यवहार करते थे। रामदीन काका से पहले उनके पिताजी सेठजी के यहां काम करते थे।यही सिलसिला कई पीढ़ियों से चल रहा था।

उम्र बढ़ने पर कई बार रामदीन काका ने अपने गांव जाने की इजाजत सेठजी से मांगी,लेकिन हमेशा सेठजी यह कह घर उनको रोक लेते कि अब गांव में उनका कौन है ,जो उनकी देखभाल करेगा और फिर यह भी तो आपका ही घर है आपने जीजान से हम लोगों की सेवा की है आपने तो अजय को नवजीवन दिया है ,

बह तो आपके हाथों में ही पला बढ़ा है । सेठानी के परलोक सिधारने के बाद आपने ही उसकी मां की तरह देखभाल की है,वह भी तो आपको कितना मानता है।अब जबकि उसके बच्चों को बड़ा करने व उनकी देखभाल करने का समय नजदीक आ रहा है तो आप गांव जाने की बात कयों कर रहे हैं।

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सेठजी रामदीन काका पर बहुत विश्वास करते थे ,पूरे घर की देखभाल व रूपए पैसों काहिसाब किताब भी अब तक रामदीन काका ही करते थे ।और रामदीन काका ने भी पूरी शिद्दत से अपने फर्ज को निभाया था अब तक ,मजाल है जो रूपयों पैसों के मामले में जरा भी हेरा फेरी हुई हो।

समय की गति को भला कौन व कब पहचान सका है। सेठजी के बेटे अजय की पढ़ाई पूरी होचुकी थी,उसने मार्केटिंग में एमबीए किया था।सो पढ़ाई पूरी होने पर सेठजी के व्यापार को ही आगे बढाने में उनका सहयोग करने लगा।

समय आने पर अजय ने अपने साथ पढ़ने बाली नमिता के बारे में सेठजी को बताया कि वह नमिता से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है। सेठजी ने नमिता के परिवार वालों से मुलाकात कीऔर नमिता व अजय कीचाहत के बारे में बताया।नमिता के परिवार ने भी इस रिश्ते पर अपनी रजामंदी की मुहर लगा दी।

चट मंगनी पट ब्याह की तरह नमिता अजय की दुल्हन बन कर सेठजी के घर आगई। नमिता स्वभाव से कुछ जिद्दी टाइप की थी,उसको अपनी मनमानी करने की आदत थी फिर चाहे वह काम गलत ही क्यों न हो।अजय के साथ भी शादी के लिए वह सिर्फ इसलिए तैयार हुई थी कि घर में उसके ऊपर रोक टोक करने वाला कोई नहीं होगा।बिचारोंसे मॉडर्न व घर के कामों में नील बटे सन्नाटा थी । रसोई के काम में उसको जरा भी इन्ट्रेस्ट नही था।

शादी के बाद उसने भी अजय पर जोर डाला कि वह सेठजी से उसको नौकरी करने के लिए राजी करले,लेकिन अजय ने खुद ही यह कह कर मना कर दिया कि क्या जरूरत है तुम्हें नौकर करने की । कुछ दिन घर को समय दो फिर देखते हैं।

सेठजी व अजय तो समय से निकल जाते लेकिन नमिता का गैर जिम्मेदाराना रबैया रामदीन काका को अच्छा नहीं लगता।वे एक बुजुर्ग की हैसियत से नमिता को प्यार से समझाते कि बिटिया मालिक व छोटे मालिक के घर से ऑफिस जाने से पहले उठ कर उनके लिए नाश्ता बना दिया करो,मदद को तो हम हैं ही न और हां सेठजी के सामने ये जींस पैन्ट न पहना करो वे कुछ पुराने ख्यालों के है , कुछ समय के लिए साड़ी या सलवार सूट पहन लिया करो सुबह उठकर उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद ले लोगी तो उनको बहुत अच्छा लगेगा।

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नमिता रामदीन काका की बातें सुन कर मन ही मन झुंझला जाती मन में सोचती ये बुढडा न जाने क्यों मेरी सास बनने की कोशिश कर रहा है किसी न किसी तरह इसे इस घर से बाहर का रास्ता दिखाना ही पड़ेगा। बस नमिता ने मन ही मन प्लान बनाया कि रामदीन पर चोरी का इल्ज़ाम लगा कर ही इसको घर से बाहर किया जासकता है।दूसरे दिन सुबह उठकर नमिता रसोई में पहुंच गई और शब्दों में चाशनी घोलते हुए कह ने लगी

काका आज नाश्ता बनाने में आप मेरी मदद कीजिये।काका बहुत खुश हुए,गदगद हो कर कहने लगे बिटिया तुम सच में बहुत अच्छी हो।नमिता ने अपनी रिंग उतार कर रसोई के प्लेटफार्म पर रख दी और काम करने का नाटक करने लगी उसी समय उसके फोन पर किसी का फोन आया तो यह कह कर रसोई से चली गई कि मैं अभी आती हूं ,हां साथ में अपनी रिंग लाना नही भूली।

जब लौट कर रसोई में आई तो कहने लगी ,अरे काका मेरी रिंग कहां है मैंने तो यही रखी थी उतार कर ,कहीं आपने तो पार नही करली।रामदीन काका नमिता की बात सुन कर दंग रह गए।कैसी बातें करती हो बिटिया हमने इस घर का नमक खाया है सालों से सेवा कर रहे है इस घर की आप हम पर इस तरह का इल्ज़ाम कैसे लगा सकती हो।

हां तभी तो कह रही हूं ,सालों से तुम्हारी मनमानी चलती रह इस घर में लेकिन अब नहीं चलेगी।तुम अपना बोरिया-बिस्तर बांध ने की तैयारी करो।अजय व सेठजी के आने के बाद में उनसे आपकी इस हरकत के बारे में बात करूंगी।फिर देखती हूं कैसे तुम यहां टिकते हो।

वही हुआ जो नमिता ने प्लान बनाया था ,अजय के आने के बाद नमिता ने अपनी रिंग खोने की बात की और इल्ज़ाम लगाया चोरी का रामदीन काका के ऊपर।

सेठजी व अजय ने लाख समझाया कि काका ऐसा हरगिज नहीं कर सकते वे तो इस घर के बुजुर्ग सदस्य की तरह हैं। तुम रिंग कही रख कर भूल गई होगी,मिल जायगी ,यहीं कहीं होगी।आप लोगों को इस नौकर पर तो भरोसा है पर मेरी बात पर नही मै भला झूठ क्यों बोलूंगी

नहीं मैने पूरा घर देख लिया है , रिंग कही नही मिली,ये करामात इस दो कौड़ी के नौकर कही है।अब तक इसने मनमानी करके आप लोगों का विश्वास जीत लिया है लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। मैं कहती हूं इसको चलता करो इस घर से।

सारी बाते सुनने के बाद सेठजी ने फिर कहा रामदीन काका ऐसा हरगिज नहीं कर सकते,मैं पिछले पचास सालों से उनको जानता हूं।आज तक एक भी रूपये पैसों की हेराफेरी नही हुई। रामदीन काका सब सुन रह थे बिना कुछ बोले कि किस तरह दो दिन पहले आई बहू ने उनके उपर चोरी का इल्ज़ाम लगाकर उनके # आत्म सम्मानको ठेस पहुचाई है अतः दूसरे दिन बिना किसी से कुछकह अपने गांव वापस आगे थे।

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नमिता कीरिंग उसी की अलमारी में एक दिन अजय को।मिल गई थी।

अजय ने यह बात सेठजी को बताई और कहा कि उनके गांव जाकर उनसे माफी मांग लेंगें औरउनको वापस ले आएंगे। लेकिन कहते हैं न कि शरीर पर लगी चोट काघाव तो भर जाता है लेकिन आत्मसम्मान पर लगी चोट दिल दहला देती है।सो किसी पर झूठा इल्जाम लगाकर उसके आत्म सम्मान को चोट न पहुंचाएं।

स्वरचित

माधुरी गुप्ता

नई दिल्ली

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