आत्मग्लानि (अंतिम भाग) – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बेटा , बस यही वजह थी कि वह घर के कामों से बचने के लिए मुझे भी कहीं आने जाने नहीं देना चाहती थी , मैं जिसे उसका प्यार समझती थी वह उसका स्वार्थी पना था बस ओर कुछ नहीं , मुझे बड़ी देर से सब समझ में आया !!

यह सब सुनकर स्वरा को बहुत दुःख हुआ और वह उदास हो गई और वह सोचने लगी शायद मेरी सास का फैसला ही सही था , उनकी वजह से मैं घर के सारे काम सीख गई , पहले पहले मुझे बहुत गुस्सा आता था मगर आज इतनी देर बाद यह बात समझ में आई !! गायत्री जी से बहु की उदासी छुप ना पाई , उन्होने बहु से उदासी का कारण पूछा तो स्वरा पहले बताने में हिचकिचाई मगर फिर उसने सारी बात बता दी !!

गायत्री जी बोली बहु यही कारण था कि तुम्हारी शादी के बाद मैंने घर के काम करने से मना कर दिया था क्योंकि मैं जानती हुं कुछ बहुएं इस बात का नाजायज फायदा उठाती हैं और ढीट बन जाती हैं जैसे अब तुम्हारी भाभी बन गई हैं , खैर तुम तुम्हारी मां को थोड़े दिन यहां बुला लो क्योंकि तुम्हारी भाभी की अक्ल ठिकाने लगाने का समय आ गया हैं !!

कावेरी जी को स्वरा ने थोड़े दिन अपनी बीमारी का बहाना बनाकर अपने घर बुला लिया !! कावेरी जी के स्वरा के घर जाने पर नेहा यहां घर के काम और ऑफिस साथ में मैनेज नहीं कर पाई और मुकेश से बोली जल्दी तुम्हारी मां को वापस ले आओ , मुझसे अकेले सब कुछ मैनेज नहीं हो रहा हैं !!

मुकेश स्वरा को फोन कर मां को भेजने की बात करता हैं तो स्वरा भैया भाभी से अपने घर आने कहती हैं !!

मुकेश और नेहा कावेरी जी को लेने स्वरा के घर आते हैं तब गायत्री जी स्वरा से एक नाटक रचने कहती हैं !!

भाई भाभी के आने पर स्वरा अपनी मां से कहती हैं मां भाई भाभी के लिए पानी ले आओ , कावेरी जी पानी लेकर आती हैं !! थोड़ी देर बाद स्वरा कहती हैं मां भाई भाभी के लिए पकोड़े और चाय ले आओ , कावेरी जी पकोडे और चाय लाती हैं !!

मुकेश बोला स्वरा तुमने कहा था तुम्हारी तबीयत खराब हैं मगर तुम तो भली चंगी दिखाई दे रही हो और बैठे बैठे मां को आर्डर दिए जा रही हो , तुमने तो मां को नौकरानी बनाकर रख दिया हैं , मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी , उतने में गायत्री जी बोली तुम्हारी मां को नौकरानी स्वरा ने नहीं तुम्हारी पत्नी नेहा ने बनाकर रखा हैं !! स्वरा बिचारी तो कभी मुझसे भी ऐसे लहजे में बात नहीं करती , यह नाटक मैंने ही स्वरा से रचने कहा था ताकि तुम लोगों को यह एहसास हो सके कि तुम लोगों ने तुम्हारे घर में तुम्हारी मां की क्या हालत करके रखी हैं ??

आज स्वरा तुम्हारी मां के साथ यह सब कर रही हैं तो तुम्हें बुरा लग रहा हैं मगर तुम्हारे घर में तुम्हारी पत्नी नेहा तुम्हारी आंखों के सामने तुम्हारी मां के साथ नौकरो वाला व्यवहार करती हैं तब तुम्हें बुरा नहीं लगता क्या ?? तुम्हारी जवान पत्नी तुम्हारी बुढ़ी मां को घर का सारा काम करवाती हैं तब तुम्हें बुरा नहीं लगता क्या ?? पैसे बचाने के चक्कर में तुम लोग कामवाली भी नहीं रखते और घर के बुढों को कामवाला बना देते हो !!

यह सुनकर मुकेश और नेहा शर्म से जमीन में गडे जा रहे थे और उन्हें अपने आप पर आत्मग्लानि महसूस हो रही थी , दोनो को आज सच में अपने आप पर शर्मिंदंगी महसूस हो रही थी !! दोनों कावेरी जी से माफी मांगने लगे और उन्हें घर लाते ही दूसरे दिन से नेहा ने सभी कामों के लिए बाई लगा दी !!

स्वरा को यह जानकर खुशी हुई कि अब उसकी मां को कोई तकलीफ नहीं !! वह यह खुशखबरी सुनाने गायत्री जी के पास पहुंची तो देखा गायत्री जी हाथों में नेलपेंट लगा रही थी , उनके पति प्रकाशजी बोले अब इस उम्र में किसे दिखाना हैं तुम्हें जो इतना संज सवर रही हो !!

गायत्री जी बोली मैं किसी ओर के लिए नहीं अपने लिए संजती संवरती हुं , पहले पुरी उम्र घर गृहस्थी , बच्चों और ससुराल वालों की सेवा में गुजार दी , अब बहु आने के बाद तो कम से कम अपने लिए जिऊं !!

स्वरा सोचने लगी सच ही तो कह रही हैं मम्मीजी कम से कम बुढ़ापे में तो इंसान को अपने लिए जीना चाहिए , जिंदगी का वैसे भी क्या भरोसा और उसकी सास ने जिस चतुराई से उसकी भाभी की अक्ल ठिकाने लगाई थी उसकी तो बात ही अलग थी !!

स्वरा अपनी सास के बारे में जितना बुरा सोचती थी उतनी वे थी नहीं बल्कि वे सारे काम सोच समझकर करने वाली महिला निकली !!

कहां स्वरा ने सोचा था कि उसकी मां और भाभी उसकी सास की अक्ल ठिकाने लगाएंगी और हुआ यह कि उसकी सास ने सभी की अक्ल ठिकाने लगाई !!

आज स्वरा अपनी सास की एहसान मंद थी जिन्होने अपने घर के साथ साथ उसका मायका भी संवार दिया था और उनकी वजह से ही उसकी मां को भी अब बुढ़ापे में आराम था !!

दोस्तों , कुछ बहुएं यह सोचती हैं कि उनकी सास भी उनके जितना काम करें मगर वे यह क्यों नहीं सोचती कि उन्होने अपनी आधे से ज्यादा उम्र घर गृहस्थी , पति और बच्चों की सेवा में बिता दी , अब बहुओ का फर्ज हैं कि वे उन्हें आराम दे , नौकरी करना हर लड़की का सपना हैं और उसे करनी भी चाहिए मगर जब पति उसका घर गृहस्थी में हांथ बटाने तैयार हैं फिर घर के कामों से चिढ़ कैसी ?? एक पति और पत्नी दोनों ऑफिस से आकर या तो मिलकर काम कर ले या सब कामों के लिए बाई लगा दें !!

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आत्मग्लानि (भाग 3)

आत्मग्लानि (भाग 3) – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

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स्वाती जैंन

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