दिल्ली के पास राजनगर नाम की पॉश कॉलोनी में हमारे पड़ोस में श्याम अंकल का घर था। श्याम अंकल बहुत ही हँसमुख दयालु और अच्छे स्वभाव के आदमी थे। अंकल बिजली बोर्ड में बड़े अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। उनके दो बेटे थे बड़ा बेटा नबीन तेरह साल की उम्र का था और छोटा राहुल दस साल के आसपास था। दोनों ही एक बड़े नामी स्कूल में पढ़ाई करते थे।
सुनीता आंटी सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर थी। घर में काम करने के लिए एक औरत रखी हुई थी जिसका नाम सुशीला था जो उनके घर मे ही रहती थी। बो उनके घर में पिछले पन्द्रह साल से काम कर रही थी बो उनके लिए परिवार का ही एक सदस्य बन चुकी थी पूरा घर उसके हवाले छोड़कर बो लोग बिना किसी डर के कहीं भी चले जाते थे।
जब भी सुशीला आंटी को दस पन्द्रह दिन अपने घर जाना होता तो अंकल आंटी मिलकर अपने अपने काम से पांच सात दिन की छुट्टी ले लेते ताकि घर मे दोनों मे से कम से कम एक मौजूद रहे। एक दिन अचानक खवर आई कि सुशीला आंटी के पति का एक्सीडेंट हो गया जिसमें उसकी एक टांग टूट गयी थी।
अबकी सुशीला घर तो गई मगर घर जाकर फ़ोन कर दिया कि अब बो बापिस नही आ पाएगी क्योंकि पति को चरपाई पर छोड़कर आना मुमकिन नही था। अंकल आंटी बच्चों के साथ सुशील के घर गए और जितनी हो सकती थी पैसे आदि की मदद करके आए।
अब उनके घर का सारा हिसाब किताब बिगड़ गया था। कभी किसी को रखते कभी किसी को मगर ईमानदारी के टेस्ट में सब फेल हो जाते क्योंकि अंकल आंटी जानबूझकर थोड़े पैसे या कोई कीमती सामान खुले में छोड़ देते और शाम तक बो गायब हो जाते।
अंकल के दफ्तर के बाहर सोनू एक चाय परांठा बेचने वाला लड़का था बो रोज दफ्तर में चाय लाता तो अंकल की उसके साथ अच्छी जान पहचान हो गई थी। अंकल उस लड़के की कार्यशैली बातचीत करने के तरीके से काफी प्रभावित थे।
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सोनू ने सबको बता रखा था कि बो अनाथ है उसके माता पिता बाढ़ में बह गए थे इस कारण भी लोगो की सहानुभूति उसके साथ थी।एकदिन अंकल ने उसको पुछा की अगर मैं तुम्हे कोई काम डन तो करोगे क्या? सोनू ने फट से हां कहते हुए पूछा कि करना क्या है।
अंकल ने उसे कहा कि मेरे घर मे काम करलो ममें तुम्हे अच्छी तनख्वाह रहने खाने की सुविधा सब दूंगा। सोनू अगले दिन अंकल के साथ उनके घर आ गया उसकी बातों में जादू था कुछ ही दिन सारे आस पड़ोस में ऐसे मिल गया मानो बो बहीं पैदा हुआ हो। अंकल आंटी ने उसका भी ईमानदारी का टेस्ट कई बार लिया मगर बो हमेशा सफल रहा।
अभी दो साल हो गए थे सोनू घर का सारा काम करता बच्चों के साथ खेलता और हमेशा सबको खुश रखता। सर्दियों की सुबह एक दिन नवीन छत पर बैठा था कि अचानक नीचे गिर गया सोनू आंटी अंकल के सामने नबीन को आवाज लगाने लगा जब बो नही आया तो ऊपर जाकर लाने को बोलकर गया।
बो चिल्लाता हुआ नीचे आया कि नबीन नीचे गिर गया है भागकर ब पीछे गए तो देखा नबीन का सर फट गया था जल्दी जल्दी हॉस्पिटल लेकर गए मगर उसको बचाया न जा सका।
अभी छः महीने ही गुजरे थे कि छोटे बेटे को एक गाड़ी ने उस बक्क्त कुचल दिया जब बो स्कूल बस से उतरकर घर की तरफ आ रहा था। सोनू उसे लेने बाहर खड़ा था उसकी आँखों के सामने कार ने राहुल को कुचल दिया था।
कार वाला पकड़ा गया राजू ने गवाही दी कि कार तेज रफ्तार में थी और राहुल बस के आगे से अचानक भागकर रोड क्रॉस करने लगा और अचानक ये हादसा हो गया। कार वाले पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगा जिसकी कार्यवाही अभी चल ही रही है। इस हादसे ने मानो अंकल आंटी की रीढ़ ही तोड़ दी थी बो बिलकुल खामोश से रहने लगे थे
मगर सोनू हमेशा जनके आगे पीछे रहता पूरा ख्याल रखता। एकदिन अंकल काम पर गए तो मन ठीक न होने के कारण दो घण्टे बाद ही बापिस आ गए। अंकल ने अपनी चाबी से दरवाजा खोला और अंदर चले गए सोनू किचन में किसी से फोन पर बात कर रहा था।
कह रहा था बाबा आप अम्मा को बोलो बस थोड़ा इंतज़ार करे उसके बाद ये सब कुछ अपना होगा। अंकल का अचानक माथा ठनका क्यों सोनू ने सबको अनाथ बता रखा था। अब अंकल बहीं रुककर उसकी बात सुनने लगे तो सोनू अपने बाप को कहने लगा कि नहीं नही मुझपर कैसे शक होगा किसी को गाड़ी वाला मेरा दोस्त है ये किसी को पता नही है उसको ज्यादा से ज्यादा तीन साल की सजा होगी उसके बाद बो छूट जाएगा।
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एक बार ये दोनो मुझे गोद लेकर अपना बेटा बना ले फिर दोनों को ठिकाने लगाकर ये सबकुछ हमारा हो जाएगा तो गली वाले को पांच दस लाख देकर उसका हिसाब कर दूंगा बस। अंकल ने जैसे ही ये सुना बाहर आकर पुलिस को फ़ोन करके बुला लिया सोनू को रिमांड पर लिया गया तो उसने सब उगल दिया ।
उसने बताया कि बड़े बेटे को उसी ने छत्त से धक्का देकर मारा था और फिर चुपके से नीचे आकर ड्रामा किया था छोटे बेटे को मारने के लिए उसने अपने एक दोस्त को लालच दिया था बो उसकी चाय की दुकान पर चाय पीने आया करता था इसलिए दोनों दोस्त बन गए थे । जब सोनू ने उसको अपनी प्लानिंग बताई तो बो मान गया और राहुल को मार दिया। जिस आदमी को अंकल आंटी ने अनाथ गरीब समझकर रखा था बो आस्तीन का सांप निकला था। जिसने पूरे परिवार को डँस लिया था।
अमित रत्ता
अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश