#एक_टुकड़ा
साधना अपनी 2 साल की बेटी स्वीटी को लेकर ट्रेन लाइन पर आगे बढ़ते चले जा रही थी….. यह सोचते सोचते कि आखिर साहिल ने आत्महत्या क्यों की यूं हमें रोते हुए अकेला क्यों छोड़ गया??? वह तो बहुत बहादुर था उसने तो जब मैं जिंदगी से निराश और हताश होकर आत्महत्या करने जा रही थी…उस समय उसने मुझे सहारा दिया और मेरी जिंदगी को संवारा…. फिर ऐसा क्या हुआ कि उसे दुनिया ही छोड़नी पड़ी…..
जैसे ही ट्रेन करीब आई…. मां बेटी को कुचलने वाली ही थी….. बच्ची डर से रोए जा रही थी…. और कहती जा रही थी मम्मी ट्रेन आ रही है…. पर साधना अवसाद में डूबी बदहवास सी चली जा रही थी…. उस पर कोई असर नहीं था….. तभी वहां से सुंदर नामक एक युवक गुजर रहा था…..
उसने फटाफट पहले तो दोनों का हाथ पकड़ कर जल्दी से दूसरी पटरी पर ढकेल कर साइड किया….. फिर साधना को एक जोरदार करारा थप्पड़ मारा….. तब जाकर साधना कहीं होश में आई. …..
उसने कहा क्यों बचाया भैया मुझे आपने ….मरने क्यों नहीं दिया??
अब मेरा और मेरी बच्ची का इस दुनिया में कोई नहीं है…. सुंदर ने कहा तुमने मुझे भाई कहा है तो भाई की एक बात भी माननी होगी आखिर ऐसा क्या हो गया कि तुम अपने साथ-साथ इस मासूम बच्ची की भी जान लेने पर उतारू थी…. तुम्हें किसने हक दिया इसकी जिंदगी को खत्म करने का….. जवाब दो? ?
अभी तो यह बच्ची दुनिया में आई है इसने तो दुनिया भी ठीक से नहीं देखी और तुम इसे मारना चाहती थी….
खेल छोड़ो तुम मुझे अपनी आपबीती सुनाओ….
तब साधना ने बताया मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी घर में मेरे माता-पिता और एक छोटा भाई था मेरे पिता एक स्कूल टीचर थे….और मां घर में सिलाई बुनाई का काम करती थी….. सुंदर सुशील और पढ़ी-लिखी होने कारण मेरे लिए बहुत बड़े-बड़े खानदान से रिश्ते आ रहे थे…..लड़के वालों की कोई डिमांड भी नहीं थी…… लेकिन मुझे शादी करनी ही नहीं थी ..मेरे कुछ और ही सपने थे….. मैं बॉलीवुड की दुनिया की बेहतरीन नायिका बनना चाहती थी…..
बचपन से ही मेरे रग रग में अभिनय बसा हुआ था….. यूं कहो कि मैं अपने पंख फैला कर आसमान की सैर करना चाहती थी….. लेकिन यह बात मैंने कभी अपने मां बाबूजी को नहीं बताइ…क्योंकि मैं जानती थी वह कभी मुझे इसके लिए मंजूरी नहीं देंगे…. शादी की सारी तैयारियां हो चुकी थी…पूरे घर को फूलों और लाइटों की लडियों से सजाया गया…. सारे मेहमान आ चुके थे उसी पल मैं घर से शादी के जोड़े में बिना किसी को बताए…. घर से कैश और गहने जो बाबू जी ने मेरी शादी के लिए गहने बनाए उसे लेकर सीधे मुंबई भाग गई…..
वहां जाकर पता चला कि मैं जितना आसान समझ रही थी आसमान की सैर करना इतना भी आसान नहीं था . … वहां जाकर मैं हकीकत से रूबरू हुई…. मैं जहां भी काम के लिए जाती वहां लोग मेरे अभिनय को देखे बिना ही मेरे रंग रूप और मेरी जवानी से खेलना चाहते थे….. लेकिन फिर भी मैंने हार नहीं मानी मैं कोशिश करती रही…..शायद कोई तो ऐसा मिलेगा जो मेरे अभिनय की कद्र करेगा….. आखिरकार 3 महीने बाद एक डायरेक्टर ने मेरा ऑडिशन लिया और मुझे पास करके साइनिंग अमाउंट का चेक भी दे दिया…
मैं बहुत खुश थी…. लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह कामयाबी नहीं मेरी बर्बादी की सीढ़ी है…. दूसरे दिन फिल्म निर्माता ने मेरे ओनर में एक छोटी सी पार्टी रखी….. पार्टी में सब ने मुझे पीने के लिए बहुत जोर दिया लेकिन मैंने मना कर दिया कि मैं ड्रिंक नहीं करती….तब किसी ने सॉफ्ट ड्रिंक में नशे की गोली डाल कर मुझे पिला दिया…. और मुझे पता भी नहीं चला….. और मैं कुछ देर में ही बेहोश हो गई. … सुबह जब मुझे होश आया . … मेरी इज्जत लूट चुकी थी…..
मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं थी घर भी जाती तो किस मुंह से मैंने पहले पहले बहुत बार फोन लगाया तो मेरा नाम सुनते ही सब ने फोन काट दिया….. इसमें किसी की गलती भी नहीं थी मैंने काम ही कुछ ऐसा किया था . …
अब मेरी वीरान जिंदगी में कुछ भी नहीं बचा था…. मै जिस आसमान की सैर की चाह में घर से निकली थी वह इतनी भी आसान नहीं थी यह बात मुझे भली-भांति समझ में आ गई. … मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि अगर मुझे अभिनेत्री बनना है तो कितनों के बिस्तर से होकर गुजरना पड़ेगा….. लेकिन यह मुझे मंजूर नहीं था जाने अनजाने एक बार पहले मेरी इज्जत लूट चुकी थी….. मैं अपनी लूटी हुई इज्जत और खोए हुए आत्म सम्मान के साथ और नहीं जीना चाहती थी इसलिए मैं आत्महत्या करने समुद्र किनारे लहरो पर आगे आगे चली जा रही थी तभी वहां मुझे साहिल मिला….
उसने मुझे बचाया…. और मेरे बारे में सब कुछ जानने के बावजूद अपने घर वालों के विरुद्ध जाकर मुझसे शादी की…. साहिल ऑफिस में क्लर्क का काम करता था……. लेकिन उसमें हम दोनों का गुजारा हो जाता था फिर शादी के एक साल बाद स्वीटी पैदा हुई…..
हमारी खुशियों में और चार चांद लग गए और साहिल की तरक्की भी हो गई. …. सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था….. लेकिन करीब 2 महीने से साहिल बहुत परेशानी और तनाव में रहता था जब भी कुछ पूछती तो कुछ बताता नहीं था…. कल जब मैं सब्जी बाजार से लौटी तो देखा….. स्वीटी जोर जोर से रो रही थी…. तब मुझे घर के बाहर ही किसी अनहोनी के होने का आभास हो गया…. जैसे ही मैं घर में घुसी साहिल मृत अवस्था में पड़ा था लेकिन फिर भी मन को विश्वास नहीं हुआ तो मैं उसे हॉस्पिटल लेकर भागी…. लेकिन शायद बहुत देर हो गई थी जहर पूरे शरीर में फैल चुका था डॉक्टर ने जवाब दे दिया……
मेरा तो रो रोकर बुरा हाल था…. यह सोच कर कि अब मेरा और मेरी 2 साल की बच्ची का क्या होगा मुझे यह बात समझ में नहीं आई…कि जो खुद इतना बहादुर था ….जिसने मुझ जैसी बेसहारा लड़की को सहारा दिया वह अपनी पत्नी और बेटी को बीच मझधार में छोड़ कर आत्महत्या कैसे कर सकता है? ? अगर कोई परेशानी थी तो मुझे बताता . … हम मिलकर मुकाबला करते….
तब सुंदर ने कहा बहन तुमने मुझे भाई कहा है तो अब गुड़िया और तुम मेरी जिम्मेदारी हो…मैं जीजाजी को वापस तो नहीं ला सकता …लेकिन तुमसे एक वादा जरूर करता हूं….कि मौत का पता लगा कर रहूंगा…. तुम उनके दोस्तों के बारे में तो कुछ जानती होगी बस उनके फोन नंबर या पता बता दो…मैं पता करने की कोशिश करता हूं कि आखिर उन्होंने आत्महत्या क्यों की??
मेरी एक दो कमरे की छोटी सी खोली है….जिसमें हम तीनों का गुजारा आराम से हो जाएगा…..मैं मानता हूं …कि बहन तुम्हारे ऊपर मुसीबतों और दुखों का पहाड़ टूट पडा़ है….लेकिन जिंदगी को खत्म कर लेना किसी समस्या का समाधान नहीं…
तुमने तो अपनी आप बीती सुना दी क्या मेरी आप बीती नहीं सुनना चाहोगी बहन??
हाँ हाँ भैया जरूर…
तो सूनो…. मैं एक अच्छे खासे रहीस खानदान में पैदा हुआ था….लेकिन मैं तुम लोगों की तरह मेल ,फीमेल नहीं बल्कि किन्नर था …..पहले तो मेरे माता पिता ने मुझे बहुत पढ़ाया लिखाया मेरे लिए वो सब कुछ किया जो हर माता-पिता अपनी औलाद के लिए करते हैं लेकिन मैं जैसे-जैसे जवान हुआ…..
मुझे औरतों की तरह सजना सवरना अच्छा लगने लगा…किसी भी गाने की धुन पर मेरे पैर अपने आप ही थिरकने लगते …यह बात घर में सब को पता चल गई और धीरे-धीरे आसपास पड़ोसियों में भी खबर फैलने लगी तो मेरे माता पिता ने मुझे घर से निकाल दिया …. घर से निकलते वक्त वो मुझे ढेर सारे रुपए भी दे रहे थे ….लेकिन मैंने रुपए लेने से इनकार कर दिया कि जब आप मुझे अपना बेटा ही नहीं समझते तो मुझे आपके पैसों की भी कोई जरूरत नहीं है …मैं भी तुम्हारी तरह असहाय हो गया …
पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी मुझे कहीं कोई काम नहीं मिला क्योंकि जहां भी काम के लिए जाता वहां मुझसे पहले मेरी पहचान चली जाती कोई भी अपने ऑफिस में मुझ जैसे किन्नर को रखने के लिए तैयार नहीं था लेकिन मैंने तुम्हारी तरह हार नहीं मानी बहन मैंने कुछ दिन औरतों की तरह सज धज कर नाच गाकर पैसे कमाए कभी किसी के यहां शादी होती तो वहां चला जाता तो कभी किसी के यहां बच्चा होता तो वहाँ चला जाता….फिर धीरे-धीरे पैसे जम गए तो मैंने एक छोटी सी चाय की दुकान खोल ली…अब मेरी तीन दुकानें
हैं….. मेरे जैसे ही 6 लोग जो बेरोजगार है उस दुकान में काम करते हैं जिन्हें समाज और उनके घरवालों ने ठुकरा दिया है….
इसलिए बहन तुम पैसों की चिंता मत करो मैं अकेले ही हम तीनों का पेट पालने में सक्षम हूँ….बल्कि मैं तो कहूंगा कि मैं बहुत खुशनसीब हूं..कि जिसे एक परिवार मिल रहा है अब मेरी भी एक बहन और भांजी होगी जो मुझे मामा कहेगी बहन के हाथों का बना हुआ घर जैसा खाना मिलेगा सच कहूं तो जब से मां पापा ने घर से निकाला है …मैं घर के अच्छे खाने के लिए तरस गया हूं…… ये कच्चा पक्का खाना अब और नही खाना पडेगा…
भैया सच में तो मैंने कभी भगवान को तो नहीं देखा लेकिन आज आपको देख कर लग रहा है कि भगवान आप से ज्यादा अच्छे नहीं होंगे….
मुझे तो यही नहीं समझ में आता कि क्यों लोग आप लोगों को घृणा की दृष्टि से देखते हैं ….जबकि हम जैसे इंसानों से कहीं ज्यादा अच्छा और कोमल दिल आप लोगों का होता है आज आपको मिलाकर भगवान ने मुझे एक टुकड़ा आसमान की सैर करा दी क्योंकि आप जैसे ममतामयी लोग इस धरती पर तो हो नहीं सकते जरूर आसमान से ही आए हैं….
ऐसा कुछ भी नहीं है अगर मेरी जगह कोई और होता तो वह भी यही करता चलो अब मेरी तारीफ ही करती रहोगी या घर भी चलोगी….
तीनों एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे साधना के बहुत कहने पर कि वह काम करना चाहती है तो सुंदर ने उसे इजाजत दे दी …और स्वीटी का एडमिशन स्कूल में करा दिया स्वीटी को छोड़ने से स्कूल से घर लाने की पूरी जिम्मेदारी सुंदर ने उठाई उसके साथ खेलता उसे बाहर घुमाने ले जाता …सब कुछ करता…… उसे कभी उसके पापा की कमी महसूस नही होने दी….स्वीटी भी उसे मामा मामा कहते थकती नही थी….इसी तरह 2 साल गुजर गए ….सुन्दर ने साहिल के सभी दोस्तों से पूछताछ करने के बाद पता लगाया कि साहिल को एड्स हो गया था….
जो कि लास्ट स्टेज पर था…. उसने आत्महत्या इसलिए की क्योंकि उसे डर था कि उससे ये बीमारी उसकी बीवी और बच्ची को ना हो जाए…. क्योंकि डॉक्टर ने बताया था कि यह छुआछूत की बीमारी है….
साधना को जब यह पता चला तो उसे बहुत दुख हुआ लेकिन कहीं ना कहीं मन में शांति भी हुई….कि कम से कम उसे पता तो चला कि साहिल ने आत्महत्या क्यों की थी???
आज स्वीटी पूरे दस साल की हो गयी है…. और सुन्दर और साधना ने मिलकर 15 चाय दुकान अलग अलग जगहों पर खोल ली है…. जिसमें सुंदर जैसे 30 वेरोजगार लोग काम करते हैं…. और इज्जत से अपनी जीविका चलाते है….
स्वरचित और मौलिक
आपको मेरी कहानी कैसी लगी पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा
आपकी दोस्त
@ मनीषा भरतीया