Moral stories in hindi : जैसे ही मुकुल घर में घुसा,उसे कुछ तेज आवाजे सुनाई दी, ओह!उसकी छठी इंद्री ने उसे चौंका दिया,आज फिर ये दोनो सास बहू शुरू हैं।
उसकी पत्नी की आए दिन,उसकी मां से तकरार होती रहती,माना की उसकी पत्नी राधा बहुत सरल स्वभाव की थी और गलती हमेशा उसकी मां कमला देवी की ही होती पर मुकुल राधा की समझा बुझा कर शांत कर देता।
आज भी राधा सुबकती हुई कह रही थी, मांजी!आप क्यूं हमें खरा खोटा सुनाती रहती हैं,हम अपनी जान से बढ़कर आपका ख्याल रखते हैं पर आप हमेशा दूसरों से तुलना कर हमे नीचा दिखाती हैं।
हाय! हाय!ये। ख्याल रखना होता है,मेरी पेंशन आती है, मै कौन सा तुम्हारा खाती हूं जो मुझपर खर्च करोगे तुम लोग, बिन बात,सुनाती रहती है कि ख्याल रखते हैं।
आप चाहती क्या हो?ख्याल रखें तो सब आपका पैसा है का रोना शुरू नहीं तो वैसे ही बुरा भला बोलना,किसी सूरत में चैन नहीं आपको.
बस..चुप जा,बहुत जुबान चलाती है,आने दो मुकुल को,बताऊंगी मै उसे तेरी करतूत।
“क्या बवाल मचा रखा है अम्मा?”घर ने घुसते ही मुकुल बोला।
देख ले!तेरी घरवाली मुझे रात दिन परेशान करती है।
ये ही मुझे बुरा भला कह रही हैं मुकुल!आंखों में आंसू भर राधा बोली।
चलो!अंदर जाओ,कुछ काम करो,अम्मा!आप भी आराम करो,इस उम्र में भगवान का नाम लो ये सब छोड़कर।
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“ये क्या करती हो राधा प्यारी?अम्मा बुजुर्ग हैं, सठिया गई हैं पर तुम तो समझदार हो,सारे मोहल्ले में लोग क्या कहेंगे?”
मोहल्ले की फिक्र तुम करो,इनकी ऊट पटांग बातों से जी घबरा जाता है मेरा।चली जाऊंगी कहीं घर छोड़कर किसी दिन।”गुस्से से बोली राधा पहली बार।
“क्या गजब करती हो यार!बूढ़े लोगों की ये कड़वी बातें उनका आशीर्वाद ही होती हैं,सुन लिया करो चुपचाप, दवा भी तो कड़वी होती है पर कितने अच्छे प्रभाव होते हैं शरीर पर।”
कुछ भी!!”बड़बड़ाती हुई राधा काम में लग गई।
कुछ दिन बाद,राधा मुकुल और उनका पांच वर्ष का बेटा अपनी गाड़ी से वहीं जा रहे थे,सामने से आती गाड़ी ने इतनी जोरदार टक्कर मारी कि उनकी गाड़ी चकनाचूर हो जाती पर पता नहीं क्या चमत्कार हुआ कि वो बाल बाल बच गए,जिसने भी देखा वो दंग रह गया,कोई आपकी मौत अपने सिर ले गया आज तो,आप तीनो कैसे बचे,ये चमत्कार है।
मुकुल झट पलट कर घर लौटा।
कहां जा रहे हो?आगे नहीं जाओगे क्या? राधा ने पूछा।
नहीं,जी घबरा रहा है,घर लौटेंगे अब।वो बोला।
लौटकर देखा तो उसकी मां के प्राण पखेरू उड़ चुके थे।डॉक्टर का बताया टाइम लगभग वो ही वक्त था जब वो दुर्घटना में बचे थे।
समझ आया आज तुम्हें कि बूढ़े मां बाप की कुछ खरी खोटी बातें क्यों आशीर्वाद कही जाती हैं या कुछ और साक्ष्य चाहिए।
राधा भोंचककी सी सब बातों को दिमाग में जोड़ घटा रही थी।
समाप्त
डॉ संगीता अग्रवाल
#खरी खोटी सुनाना
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